RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
खड़े होने से उसकी चूत में से फिर से वीर्य बाहर बह निकला। उसकी टाँगें तो वीर्य से सनी थीं और उसके हाई हील के सैंडल और पैर तो वीर्य से बुरी तरह तरबतर थे। शाजिया का कहना सही था कि उसका नशा उतरा नहीं था और वो पहले जैसी ही डगमगा रही थी। इसके अलावा ज़मीन गधे के वीर्य से चिपचिपा रही थी। शाजिया ने लड़खड़ाते हुए धीरे-धीरे कदम बढ़ाये। ज़मीन पर फैले वीर्य के कारण वो एक-दो बार फिसलते-फिसलते। बची और अपनी हालत पर खिलखिला कर हँस पड़ती।
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“संभल कर जा मेरी गुलबदन...', नजीबा भी हँसी। उसने देखा कि शाजिया जब भी कदम आगे बढ़ाती तो उसके पैरों और सैंडलों के बीच के गैप में भरा वीर्य ‘फचाक-फचाक’ करता हुआ प्रैशर से बाहर निकल रहा था। शाजिया वैसे ही लड़खड़ाती बाहर निकल गयी और नजीबा वहीं आँखें बंद किये अचेत सी पड़ी रही। गधा मजे से अपने सामने पड़ी सूखी घास खा रहा था।
शाम से लॉन में ही बाहर रखे मूवेबल बॉर में से शाजिया को व्हिस्की की बोतल मिल गयी। नशे के कारण हाई-हील सैंडलों में लड़खड़ा कर झुमते गिरते-पड़ते वापस लौटने में करीब पंद्रह मिनट लग गये। जब वो छप्पर में घुसी तो वो सावधान नहीं थी। जैसे ही उसका पैर वीर्य पर पड़ा तो चीखती हुई फिसल कर नजीबा की बगल में गिरी। वैसे भी मिट्टी का फर्श था और नशे में चूर होने से उसे दर्द का एहसास नहीं हुआ, बल्कि वो खिलखिलाकर कर हँसने लगी।
नजीबा को फर्श पर चित्त पड़े देख कर शाजिया और भी जोर से हँसते हुए बोली, “क्या हुआ...? मुझे तो लगा कि तू अब तक गधे का लंड अपनी सुलगती हुई बेसब्री-चूत में ले चुकी होगी... पर तू तो... खेर... ये ले व्हिस्की की बोतल... इसे पी कर और गर्मी आ जायेगी।
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नजीबा उठ कर छप्पर की दीवार का सहारा ले कर बैठ गयी और शाजिया भी उसके सामने लकड़ी के खंबे से पीठ टिका कर बैठ गयी। “ये ले... बोतल से ही सीधे नीट पानी पड़ेगी..." शाजिया ने उसे बोतल पकड़ायी।
नजीबा ने गटा-गट चार-पाँच बँट पिये और फिर थोड़ा सा चेहरा बिगाड़ कर लंबी साँस लेते हुए बोतल शाजिया के हाथ में दे दी। शाजिया ने भी होंठों से बोतल लगा कर कुछ पैंट लिये। इसी तरह दोनों धीरे-धीरे व्हिस्की पीती हुई कुछ भी ऊटपटाँग बोलती हुई हँसने लगीं। दोनों का नशा पूरी बुलंदी पर था।
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नजीबा हँसते-हँसते अपनी चूत पर हाथ रख कर बोली... “अरे यार पेशाब लगा है... तुझे दिक्कत ना हो तो यहीं मूत हूँ क्या...??”
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“मुझे क्या दिक्कत होगी मादरचोद... तू तो ऐसे पूछ रही जैसे मेरे ऊपर मूतेगी...???” शाजिया फिर खिलखिलायी।
दोनों की आवाज़ नशे में ऊँची हो गयी थी और लड़खड़ा भी रही थी।
“आइडिया बुरा नहीं है... तेरे ऊपर ही मूत देती हैं... साली हरामजादी... तेरे मुंह में भी मूतूगी अब तो... याद है ना रैगिंग में कैसे फ्रेशर लड़कियों को तूने अपना मूत पिलाया था...” नजीबा जोर से हँसी।
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