RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
“तुझे तो पता होना चाहिये... याद नहीं क्या...? ड्रिक्स के नशे के साथ-साथ मुझ पर चुदाई का नशा भी चढ़ जाता है... तू भी तो ऐसी ही थी... हम दोनों हॉस्टल में नशे में चूर होकर आपस में कितनी चुदाई करती थीं.. और क्या-क्या हमने अपनी चूतों में नहीं घुसेड़ा... मोमबत्तियाँ... सब्जियाँ... बीयर की बोत्तले सैंडलों की हील्स... टेनिस के रैकेट
का हैंडल और यहाँ तक की एक बार तो तूने मेरी गाँड में झाडू का हैंडल पेल दिया था... | याद है...??”
हाँ सब याद है.. तो आज क्या चोद रही थी अपनी चूत में तू...? और फिर यहाँ क्या मुझे ढूंढने आयी थी...?” शाजिया ने पूछा।
“आज तो पूछ ही मत... मैं तो अगुलियों से ही काम चला रही थी पर अचानक तेरे कुत्ते... ओह नो..', नजीबा रुकी पर तीर तो छूट ही चुका था।
“क्या तू मेरे औरंगजेब और टीपू से चुदवा रही थी... यू बिच...', शाजिया यकायक उत्तेजित हो कर बोली।
शाजिया के उत्तेजना भरे स्वर से नजीबा को लगा कि कुत्तों से चुदवाने पर शाजिया उस पर बिगड़ रही है। नजीबा भी तड़क कर गुस्से से बोली “यू रंडी... साली तू तो यहाँ गधे पर चूत निसार कर रही थी...”
नहीं... नहीं... तू मुझे गलत समझ रही है.. वो तो बस... मैं... तो तू भी कुत्तों से चुदवाती है... कब से... ओह मॉय... ऑय कान्ट बिलीव..." शाजिया हँसते हुए बोली।
“कब से नहीं... आज पहली बार.. वो भी शुरूआत तो तेरे कुत्तों ने ही की थी... पर तू भी से तेरा क्या मतलब... तू क्या रेग्युलरली चुदवाती है उनसे...?” अब नजीबा को समझ आया कि कुत्ते इतने बेधड़क हो कर क्यों चोद रहे थे।
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यार... आज तक ये बात किसी को भी नहीं पता... राज भी नहीं जानता... एक्चुअली दो साल से मैं औरंगजेब और टीपू से चुदवा रही है... उनसे चुदवाने की खातिर ही मैं यहाँ... इस फर्म पर रह रही हैं... जब तक मैं दिन में कम से कम एक बार दोनों से चुदवा नहीं लू... मुझे चैन नहीं आता... और इन कुत्तों को भी चैन नहीं पड़ता जब तक मुझे चोद ना लें... दे आर माय स्टड्स... माय डर्लिंग..." शाजिया को अपना यह राज़ अपनी सहेली को बता कर बहुत अच्छा लगा।
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लेकिन देख मैं नहीं मिली तो तुझ पर चढ़ बैठे... आदमी हो या कुत्ता.. सब एक जैसे हैं... जहाँ चूत देखी... बस चोदने को तैयार हो गये... चाहे किसी की भी चूत हो..." शाजिया । अपनी बात पर ही जोर से हँसी।
उन्हें क्यों दोष देती है... मेरी चुदास सहेली! अपने गरेबान में भी झाँक... जहाँ लंड देखा... चत और गाँड खोल कर चुदवाने लगती है... फिर वो लौड़ा इंसान का हो या जानवर का... और फिर लौड़ा ही क्यों... मेरी तरह तू भी तो चूत और चूचियाँ देख कर राल बहाने लगती है...” नजीबा ने शाजिया की चूचियों पर हाथ फिराते हुए कहा।
तो क्या इसीलिए तू मुझे ढूँढती हुई यहाँ आयी थी... कुत्तों से चुदवाने के बाद चैन नहीं मिला था जो मेरी चूत याद आ गयी थी तुझे... पता है कई सालों से मैंने लेसबियन चुदाई का मजा नहीं लिया..." शाजिया बोली।
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