RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
उसने औरंगजेब की तरफ नज़र डाली तो देखा कि उसका लंड तुरंत अपने खोल में सिकुड़ कर लुप्त नहीं हुआ था। नजीबा को विश्वास नहीं हो रहा था कि वो लंड और गाँठ उसकी गाँड में कैसे समा पाये थे। कुत्ते लंड की जड़ में गेंद जैसी गाँठ अभी भी काफी मोटी फूली थी। वो बैंगनी से लाल रंग की गाँठ आलूबुखारे जितनी बड़ी लग रही थी और वैसे ही बैंगनी-लाल रंग का कुत्ते का लंड भी इस समय कम से कम आठ इंच का था। यह सोच कर कि उसकी गाँड में चोदते हुए वो लंड इससे भी बड़ा रहा होगा, नजीबा के बदन में एक लहर सी दौड़ गयी।
वीर्य में भीगा और चमचमाता हुआ लंड झुलाते हुए औरंगजेब चलता हुआ एक तरफ जा कर बैठ गया और अपना लंड चाट कर साफ करने लगा। टीपू भी पास ही बैठा अपने लंड पर जीभ फिरा रहा था।
* * * * * * * * * * * * * * * * * * * *
* * * * * * * * * * * * * * * * * * * *
गधे का वीर्य पीने के बाद शाजिया की कामोत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी कि उसकी चूत ऐसे महसूस दे रही थी कि कभी भी उसमें आग की लपतें धधक उठेगी। गधे ने अपनी जीभ और जबड़े से शाजिया को तृप्त किया था पर शाजिया की संतुष्टि ज्यादा देर कायम नहीं रही। और अब, उसके लंड को चूस कर उसका वीर्य-पान करने के पश्चात उस कामुक चुदक्कड़ औरत को ऐसा लग रहा था कि वो गधे के विराट लंड से चुदवाये बिना नहीं रह पायेगी।
उसने टकटकी लगा कर गधे के लंड को घूरा तो उसका बदन थरथरा गया। उसके लंड का आकार दिल दहला देने वाला था। फिर भी उस लंड का सुपाड़ा उसके मुँह मे समा सका था और वो अच्छी तरह जानती थी कि उसके होंठों से ज्यादा लचीली उसकी चूत थी - और ज्यादा भूखी भी। उसकी चूत बहुत खोखली और खाली महसूस दे रही थी।
और चुदने के लिये तरस रही थी। शाजिया उस कुंआरी लड़की की तरह काँप रही थी आ जिसका कौमार्य भंग होने वाला हो। एक तरह से ये सच भी था - शाजिया ने सोचा। क्योंकि गधे का वो विशाल लंड उसकी चूत में इतनी गहरायी तक घुसने वाला था जहाँ तक पहले कोई लंड नहीं गया था।
वो हाँफ रही थी। उसकी गर्म साँस गधे के लंड के सुपाड़े पर पड़ी तो वो धड़कने और कूदने लगा। उसका लंड तड़क कर ऊपर उठ गया। शाजिया के मुँह में झड़ने के बाद वो * थोड़ा ही ढीला पड़ा था और इस समय झटक कर वापस सख्त बन गया था।
| शाजिया की आँखें इस तरह गधे के लंड पर चिपकी हुई थीं जैसे कि वो सम्मोहन से अचेतन हो गयी हो। वो धीरे से अपने सैंडलों की ऐड़ियों के बल बैठते हुए पीछे की तरफ अपने चूतड़ों के बल गिर गयी और फिर वो गधे के नीचे खिसक गयी। उसका सिर और कंधे ज़मीन पर टिके थे, उसके सैंडल युक्त पैर दृढ़ता से ज़मीन पर जमे थे और उसकी गाँड हवा में ऊपर उठ कर झूल रही थी जिससे उसकी झाग उठती चूत गधे के लंड के सुपाड़े के स्तर तक पहुँच गयी थी।
|