RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा को यह पूरा अनुभव अपनी सबसे विकृत कामकल्पना से भी बढ़ कर महसूस हो रहा था। वो कभी सोच भी नहीं सकती थी उसे ऐसा यौन सुख भी कभी मिल सकता है। उसकी कमोत्तेजना इस कद बढ़ गयी थी कि उसके निप्पल बिना छुए ही कड़क हो गये। थे। नजीबा पर कामुक्ता का जुनून सा सवार हो गया था। अपनी गाँड में कुत्ते के लंड की धुंआधार चुदाई से नजीबा की साँसें उखड़ सी रही थीं और वो अनाप-शनाप बक रही। थी... “चोद गाँडू.... मेरी गाँड... मार ले मेरी गाँड... फाड़ डल साले... गाँड मेरी... कुत्तिया की गाँड... पेल दे... चूत का भी भोसड़ा हो गया... मादरचोद कुत्तों... भर दो मेरी चूत और गाँड अपने वीर्य से... तुम दोनों की कुतिया हूँ मैं... हाय.. ऊऊऊऊ... कितना मज़ा... क्या जिंदगी है... चोदो.. गाँड.. चूत... लंड... आआआआहहहह....” इस समय अपनी चूत और गाँड में एक साथ दो लंड भरे होने के कामुक एहसास के अलावा उसे और किसी। बात की परवाह नहीं थी।
।
।
औरंगजेब अपना बड़ा लंड पूरे जोश से उस औरत की गाँड में पेल रहा था। उसके लंड के आखिर की बड़ी गाँठ नजीबा की गाँड पर जोर-जोर से टकराने लगी। औरंगजेब अपनी गाँठ भी गाँड में ठेलने का भरसक प्रयास कर रहा था पर उसे सफ़लता नहीं मिल रही थी। नजीबा का दिमाग शराब और वासन के नशे में चूर हो कर सन्न हो गया था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी गांड के छेद पर क्या चीज़ इतनी जोर से चोट मार रही है। टीपू से दो बार चुदने के बाद उसे गाँठ के बारे में तो पता था और उसकी चूत में इस समय भी टीपू के लंड की गाँठ फैंसी हुई थी पर उसकी गाँड पे टकराने वाली चीज़ उसे गाँठ से भीन्न लग रही थी। उसने अपना एक हाथ पीछे ले जा कर अपनी गाँड पे टकराती हुई चीज़ को छुआ। उसने मुँह खोल कर जोर से गहरी साँस ली जब छू कर उसे महसूस हुआ कि वो कुत्ते के लंड की गाँठ ही थी। उसकी चूत में दो बार फंस चुकी टीपू की बड़ी गाँठ जैसी ही थी पर आकार में उससे कहीं ज्यादा फूली हुई थी। जब नजीबा ने औरंगजेब का लंड अपने मुँह में चूसा था तब भी यह गाँठ इतनी नहीं फूली थी।
|
इतनी मस्ती और उत्तेजना में होने के बावजूद भी नजीबा को पहली बार थोड़ी चिंता सी हुई और ना चाहते हुए भी क्षणिक प्रतिक्रिया से उसने कुत्तों से स्वयं को दूर खींचने की कोशिश की। लेकिन उसकी चूत में एक कुत्ते का लंड हँसा हुआ अभी भी धड़क रहा था और दूसरा कुत्ता उसकी गाँड में लंड पेलते हुए उसकी कमर को जोर से जकड़े हुए था जिस वजह से नजीबा उनसे अलग नहीं हो पायी।
।
।
औरंगजेब ने धक्के लगाना जारी रखा और हर धक्के के साथ नजीबा उसके लंड की गाँठ अपनी गाँड पर और जोर-जोर से और बर्बरता से टकराती महसूस होने लगी। दर्द के कारण उसकी आँखों में आंसू निकल आये। इसके बावजूद चुदाई के जुनून में भरे उसके जिस्म को मज़ा भी आ रहा था और उसका प्रतिरोध कुछ कम हो गया था। काफी समय तक औरंगजेब अपनी गाँठ नजीबा की गाँड के हल्के प्रतिरोध के बावजूद अंदर ठेलने की कोशिश करता रहा। हालाँकि नजीबा ने अपनी गाँड में कई छोटे-बड़े लंड मज़े से लिये थे पर वो जानती थी कि कुत्ते की इस असमान्य मोटी गाँठ का अंदर घुसना संभव नहीं होगा। पर फिर एक जबरदस्त धक्के के बाद वो क्रिकेट की गेंद जितनी मोटी गाँठ अंदर घुस गयी और वो दोनों चिपक गये।
|
।
“आआआआईईईईईईईईई भोंसड़ी के... फाड़ डाली मेरी गाँड. चिपक गया तू भी मादरचोद... ऊऊऊईईई आआआईईई...” नजीबा को जब वो फूली हुई गाँठ अपनी गाँड में चीरती हुई अंदर धंसती हुई महसूस हुई तो वो आश्चर्य और पीड़ा से चींख उठी।
चुदाई और व्याभिचार से भरी अपनी जिंदगी में नजीबा ने कभी स्वयं को इतना भरा हुआ महसूस नहीं किया था। वो दो कुत्तों के लंड अपनी चूत और गाँड में फँसाये उनसे चिपकी हुई थी। औरंगजेब के लंड की संपूर्ण लंबाई नजीबा को अपनी गाँड में ऊपर-नीचे फिसलती महसूस हो रही थी। वो लंड जितना हो सके, उतना अंदर तक पहुँचने का प्रयास कर रहा था। अंदर फैंसी लंड की गाँठ की मोटाई नजीबा की गाँड को बुरी तरह फैला कर चौड़ा कर रही थी। नजीबा ने प्रैशर थोड़ा कम करने की नियत से थोड़ा हिलने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ।
|
औरंगजेब ने नजीबा की गाँड में चुदाई जारी रखी। उसे परवाह नहीं थी कि उसका लंड कितना बड़ा था और उसकी कुत्तिया, नजीबा, की गाँड उस लंड की मोटी गाँठ को अपने अंदर समायोजित करने के लिये बहुत छोटी थी। जहाँ तक उस कुत्ते की दिलचस्पी का सवाल था, तो उसका लंड उसकी कुत्तिया की गाँड में फँसा हुआ था और जब तक वो झड़ नहीं । जाता तब तक उसकी कुत्तिया के परे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता था। उसने तुरंत नजीबा को और भी जोर से जकड़ लिया जितना हो सके अपना लंड नजीबा की जकड़ती गाँड में गहरायी तक पेलते हुए कस कर चोदना जारी रखा।
|
जब कुत्ते के लंड की गाँठ ने फूलना जारी रखा तो नजीबा ने अपना सिर झटकते हुए कराहना शुरू कर दिया। अपनी गाँड में एक कुत्ते के लंड के धक्कों की ताकत और उसकी गाँठ की मोटाई और दूसरे कुत्ते के लंड की उतनी ही मोटी गाँठ के चूत में फँसे होने से कुछ ही क्षणों में उसके हलक से “ऑऑघंघ आआओं ऊऊ आआऑघ' जैसी घुरघुराने की आवाजें निकलने लगीं। नजीबा के कराहें और ‘घों घों की आवाजें उसके चूतड़ों पर पड़ रही औरंगजेब के टट्टों की थाप के साथ मिलने लगी।
। | |
|