RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया उसे अति-लोलुप्ता से चूस रही थी। उसके दोनों मुलायम गाल लंड से पूरी तरह भरे हुए थे और बाहर की तरफ फूले हुए थे। उसके होंठ भी सुपाड़े के ऊपर खिंच कर सुपाड़े
को बिल्कुल पीछे जकड़े हुए थे। सुपाड़े का टपकता हुआ अग्रभाग शाजिया के गले में दबा हुआ था पर वो इतना मोटा था कि हलक के नीचे नहीं फिसल सकता था और हलक के द्वार पर फँसा हुआ शाजिया के उदर में वीर्य छलका रहा था। शाजिया के मुँह में उसकी जीभ के लिये कोई स्थान नहीं रह गया था वो चुस्त और चटोरी जीभ सुपाड़े के तले फँसी हुई थी।।
शाजिया को साँस लेने में दिक्कत हो रही थी और जब वो अंदर साँस लेती तो सुपाड़े के चारों ओर सीटी सी बज रही थी। शाजिया हाँफ रही थी और गोंगिया रही थी पर उसने लंड चूसना जारी रखा। वो लंड के मस्की स्वाद का आनन्द लेते हुए उसके वीर्य के छूटने की लालसा कर रही थी।
मुख मैथुन के प्रथागत तरीके (ट्रेडिशनल मैनर) के अनुसार उसने अपने सिर को ऊपरनीचे हिचकोले देने की कोशिश की पर वो उस लंड की मोटी छड़ पर और आगे अपने होंठ नहीं खिसका पायी। लंड के सुपाड़े ने ही उसका मुँह आखिर तक भर दिया था।
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शाजिया ने अपने खुले हाथ गधे के लंड पर पर पीछे खिसका कर लंड की नाल को अपने दोनों हाथों में भर लिया। फिर उसके टट्टों को सहलाती और पुचकारती हुई उन्हें प्यार से ऐसे ऊपर-नीचे खींचने लगी जैसे कि गाय का दूध दुह रही हो - पर वो तो इतने गाढ़े और मालईदार दूध की लालसा कर रही थी जितना कभी किसी गाय के थन से ना निकला होगा।
गधे के टट्टों से खेलते हुए शाजिया लगातार उसके लंड के सुपाड़े को चूस रही थी। अपने होंठ, जीभ और गालों को समान स्वर में उपयोग करती हुई शाजिया अपने मुँह में लंड के माँस के स्वाद का मज़ा लेती हुई डेज़र्ट के लिये उत्सुक हो रही थी।
अपने नये अनुभव से सन्न होकर वो गधा अपनी टाँगें फैलाये स्थिर खड़ा था। उस जानवर । को एहसास हो गया था कि औरत का मुँह, चूत का अच्छा विकल्प था और यह कि औरत दोनों छोरों से चुदाई योग्य बहुत ही शानदार जीव थी।
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वो गधा अपने लंड को ठेलता हुआ शाजिया के मुँह को ऐसे चोदने लगा जैसे वो चूत हो। जब उसने अपना लंड आगे ठेला तो शाजिया का सिर पीछे झुक गया और जब उसने लंड पीछे लिया तो शाजिया ने अपने होंठ लंड पर लपेट कर अपना चेहरा तिरछा मरोड़ लिया।
जब मोटे मूसल जैसे लंड के सुपाड़े ने और वीर्य शाजिया के मुँह में छलकाया तो वो उसके आफैले हुए होंठों के किनारों से बाहर बह निकला। शाजिया की जीभ मानो लिसलिसे वीर्य के
समुद्र में तैर रही थी। उसने मुँह भर कर वो चिपचिपा वीर्य निगला और उसके मूत-छिद्र से और वीर्य दुहने लगी। वो हाँफते हुए गलल-गलल करती हुई पूँट पी रही थी और वासना में डूब कर गधे के रसभरे लंड की मन ही मन प्रशंसा कर रही थी।
जब वो झड़ने के कगार पर आया तो गधे ने एक झटका लगाया और उसका लंड शाजिया के मुंह में और फैल गया और उसके होंठों को इलास्टिक बैंड की तरह फैला कर और चौड़ा कर दिया। शाजिया उसके टट्टों को खींच रही थी और उसे वो फूलते और हिलकोरे मारते महसूस हुए। गधे के वीर्य के लिये शाजिया इतनी अधीर हो रही थी कि उसने अपने हाथ गधे के टट्टों से हटा कर उसके लंड को फकड़ लिया और चूसने के साथ-साथ अपनी मुट्टियों से रगड़ कर लंड को उकसाने लगी।
शाजिया जोर-जोर से अपने हाथ लंड की नाल पर चलाने लगी और जब टट्टों में से वीर्य तेजी से बाहर बढ़ने लगा तो शाजिया को लंड में धड़कन महसूस हुई। शाजिया आशा से चींख
उठी पर मुँह में भरे लंड के सुपाड़े पर उसकी चींख दब गयी। वो लालसा से लंड को | चूसते हुए फिर अपने हाथों में मसलने लगी।
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