RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया कामोत्तेजना से अभिभुत हो रही थी। उसकी टाँगें काँप रही थीं और सिर घूम रहा था। अपनी चूत में अंगुलियाँ अंदर-बाहर चोदती हुई शाजिया गधे के निकट खिसक गयी। उसने अपना हाथ चूत से हटया। उसकी अंगुलियों पर चूत-अमृत बह रहा था और उसकी हथेली भी मलाईदार द्रव्य से प्लावित थी। शाजिया ने अपना हाथ गधे के थुथन के नज़दीक लाया तो गधे के नथुने फड़कने लगे और उसकी आँखें चमक उठी। उसकी जीभ बाहर लपकी और और उस गधे ने शाजिया के हाथ से चूत-रस सुड़कना शुरू कर दिया।
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आ गधे की भीगी हुई गर्म जीभ काफी फुर्तीली और अधीर थी। जब वो गधा अपनी भीगी।
जीभ से इतनी उत्साह से उसका हाथ चाट रहा था तो शाजिया के विकृत दिमाग में ये ख्याल आना स्वाभाविक था कि गधे की जीभ उसकी चूत पर फिरती हुई कैसी महसूस होगी।
शाजिया अपने हाथ बदलने लगी। वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत चोदती और दूसरा हाथ गधे के थुथन को पेश करती और फिर हाथ बदल लेती। चूत के मलाईदार रस से भीगा हुआ शाजिया का हाथ गधे के थुथन पर जाता और फिर जब वो हाथ चूत पर वापस आता तो उस उत्तेजित जीव के थूक से तरबतर होता।
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ऊम्म --- कोशिश करू क्या?” शाजिया ने सोचा। उसकी अन्तरात्मा विरोध कर रही थी। पर वो विकृत वासना से अभिभुत थी। सिर्फ उसकी जीभ ही तो है, उसने स्वयंसेवी तर्क किया। वो पहले से मेरे हाथ से चूत क रस चाट रहा है तो सीधे चूत से रस चाटने में क्या बुराई है। औरंगजेब और टीपू भी तो मेरी चूत चाटते हैं और फिर जीभ ही तो है... मैं कौनसा इससे चुदवाने वाली हैं। बेचारा इतना उत्तेजित है... मैं तो सिर्फ इसकी सहायता कर रही हैं... एक बेजुबान जानवर के प्रति दया। और फिर जब मैं इसकी जीभ पर झड़ेंगी तो मेरी चूत भी शाँत हो जायेगी, जिससे वासना में बह कर और आगे बढ़ने का खतरा भी नहीं रहेगा?”
यहाँ तक कि शाजिया अपने तर्क पर मुस्कुराये बिना नहीं रह सकी। शाजिया गधे के और नज़दीक आ गयी और अपनी चिकनी जाँचें फैलाते हुए अपने घुटने थोड़े से झुका कर उसने अपनी चूत ऊपर को ठेल दी। शाजिया ने अपने दोनों हाथ अपनी टाँगों के बीच में ले जाकर अपनी लचीली चूत के होंठ फैला दिये और चूत को मलाई के कटोरे की तरह खोल दिया।
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गधे ने अपना थुथन शाजिया की जाँघों के बीच में ढकेल दिया। शाजिया थरथरा उठी जब उसे अपनी चूत पे गधे का थुथन फड़कता हुआ महसूस हुआ। जब वो गधा घुरघुराया तो उसकी गर्म साँस सीधे शाजिया की चूत में लहरा गयी। उसका मुलायम थुथन शाजिया की क्लिट पर रगड़ा और वो कठोर कलिका ऐंठ कर फड़फड़ाने लगी।
“ओहह” शाजिया ने गहरी साँस ली, “भोसड़ी के
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शाजिया ने अपनी चूत के अधर और भी चौड़े खोल दिये और उन लचीले अधरों को गधे के थुथन पर इस तरह खींच के अपनी चूत उसके थुथन पर घुमाने लगी जैसे कि लंड पर कॉन्डम चढ़ा रही हो।
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गधा उसकी चूत में घरघराया और फिर चूत की भिनी सुगंध अपनी नाक में खिंची। उसकी नाक चूत में फड़क रही थी। उसकी जीभ धीरे-धीरे बाहर फिसलने लगी, जैसे कि वो । गधा अनिश्चित हो कि क्या करना है। गर्म चूत की सुगंध से वो गधा अवश्य परिचित था। वो एक चोदू गधा था जिसने अपने जीवन में कईं गधियों को चोदा था। परंतु पहले कभी उसके थुथन पर किसी औरत की चूत नहीं दबायी गयी थी और इसलिए वो चकराया हुआ था।
पर फिर उसकी पाश्विक फितरत ने उसे अपने प्रभाव में ले लिया। वो शाजिया की चूत के बाहर चाटते हुए चूत के अंदर सुड़कने लगा और फिर उसने अपनी लंबी जीभ सीधे शाजिया की चूत में घुसेड़ दी। शाजिया जोर-जोर से कराहने और सिसकने लगी। गधे की जीभ इतनी बड़ी थी कि वो शाजिया की चूत इतनी अंदर तक भर रही थी जितना की औसत लंड | उसकी चूत भर सकता था।
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