RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
छप्पर की दिशा से शाजिया को गधे के रेंकने की मंद सी आवाज़ आयी। उसे गधे के विशाल लंड के बारे में सोचने के कारण ही शाजिया की चूत का ये हाल था। शाजिया ने झुक कर अपनी चूत को निहारा। नजीबा की तरह उसने भी कई बार कोशिश की थी अपनी चूत स्वयं चाट सके पर कभी सफ़ल नहीं हो पायी थी। चूत-रस उसे बहुत स्वादिष्ट लगता था। कॉलेज के दिनों में हॉस्टल में वो दूसरी लड़कियों की चूत चाट कर उनके चूत-रस का पान करती थी और अपनी चूत दूसरी लड़कियों से चुसवाती थी। परंतु पिछले कई वर्षों से वो किसी लड़की या औरत के साथ हमबिस्तर नहीं हुई थी। शाजिया को नजीबा का ख्याल आया। दोनों ने हॉस्टल में कितनी ही बार एक दूसरे की चूत चाटी थी। नजीबा आज भी उसे काफी सैक्सी लगी थी। शाजिया ने सोचा कि नजीबा के वापिस जाने के पहले एक बार उसे को रिझा कर जरूर चुदाई करेगी। पर इस समय तो गधे के लंड का विचार उसके ख्यालों में था और अपनी चूत की ज्वाला शांत करने के लिए उसे अपने दोनों कुत्तों के लौड़ों की जरूरत थी।
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वो अपनी चूत-रस से भीगी अंदरूनी जाँचें सहलाने लगी और बीच-बीच में चूत पर भी हाथ फेरने लगी। उसकी चूत के होंठ फड़कते हुए फैल गये और उसकी क्लिट किसी बंदूक की गोली की तरह छूट कर बाहर को निकली। शाजिया की चूत में से मादक सुगंध बाहर बह कर मंद-सी ठंडी सुहानी हवा में फैलने लगी।
शाजिया की चूत की मीठी सुगंध हवा के साथ बह कर पीछे छप्पर तक पहुँची जहाँ वो गधा खड़ा था और उसका लंड अभी भी उसकी टाँगों के बीच झूल रहा था। उसके मुलायम | और गीले नथुने फड़कने लगे और चूत की खुशबू से उसका लंड हथौड़े की तरह हवा को कूटने लगा और उसके बड़े आँड उसकी पिछली टाँगों के बीच में घूमने लगे। वो लालसा स रकने लगा।
शाजिया को उसकी विलापी कराहट सुनायी दी और उसकी अंगुलियाँ चूत में धंस गयी। उसे ख्याल आया कि गधे का लंड कितना विशाल, कठोर और गरम था - और निश्चय ही इस समय भी वो इसी अवस्था में होगा। इस ख्याल ने उसके अंदर एक नयी प्रेरना फेंक दी। और वो पूरे जोश में अपनी चूत में चार अंगुलियाँ डाल कर चोदने लगी। उसकी क्लिट जोर से फड़क रही थी और उसकी अंगारे जैसी चूत से उसका अमृत-रस किसी छोटेसे दरिया कि तरह बाहर बहने लगा।
छप्पर में से फिर गधे का विलाप सुनायी पड़ा और शाजिया का हाथ एक बार फिर धीरे पड़ गया।
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अगर गधे के लंड और टट्टों की कल्पना करके अपनी चूत को अंगुलियों से चोदने में | इतना रोमाँच आ रहा था तो उसे यथार्थ में देखते हुए झड़ने में कितना मज़ा आयेगा। नशे
में चूर उसके दिमाग में नयी लालसा छा रही थी। उसने अपना सिर झटका तो गधे के लंड की तसवीर थोड़ी सी डाँवाडोल हुई पर मिटी नहीं। ऐसा लग रहा था जैसे उस मुर्ख गधे के मूसल जैसे लंड की तसवीर शाजिया के दिमाग में छप गयी थी। उसे अपनी विकृत कामना पर हल्की सी ग्लानि हुई पर ये ग्लानि क्षण भर का एक तुच्छ मनोभाव था जो काम लिप्सा और उत्तेजना की गरमी में आसानी से पिघल गया। शाजिया के होंठों पर एक मुस्कुराहट आयी और उसने फैसला कर लिया।
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वो छप्पर में जायेगी और अपनी चूत को अंगुलियों से चोदते हुए जब तक जोर से झड़ नहीं जाती तब तक गधे के लंड और टट्टों पर अपनी आँखें सेंकेगी।
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ये इतना भी विकृत नहीं था, शाजिया ने स्वयं को आश्वासित किया। लंड को देखना उसकी कल्पना करने के बराबर ही तो था -- और निस्संदेह इतना ही उसका इरादा था। हालांकि उसने गधों और घोड़ों के लंड को चूसने और चुदने की अनेक बार कल्पना की थी पर शाजिया को अपने ऊपर भरोसा था। और अगर उसके दिमाग में संदेह था भी तो आश्वासन के लिये नशे में वो जोर से चिल्लाते हुए बोली, “मैं सिर्फ उसके लंड को निहारूगी?”
फिर उसने अपनी गर्दन हिलायी जैसे कि आश्वासित हो गयी हो।
अपने विकृत इरादों से वो और भी उत्तेजित हो गयी हालांकि उसे एहसास नहीं था कि उसकी करतूत कितनी विकृत होने वाली थी। नजीबा की नामौजूदगी के आश्वासन के लिए शाजिया ने एक बार घर के दरवाजे की तरफ देखा। वो अपनी दुराचारी हरकतों में नजीबा द्वारा कोई बखेड़ा नहीं चाहती थी पर नजीबा का वहाँ कोई नामोनिशान नहीं था।
असल में, नजीबा जो खुद कुछ कम नहीं थी, घर के अंदर अपनी ही हरकतों में लिप्त थी - और जल्दी ही और भी ज्यादा व्यस्त होने वाली थी जिसका ना तो उसे और न ही शाजिया को एहसास था।
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