RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
उस गधे को भी शायद उन दोनों की चूत की महक आ गयी थी। वो उनकी कुर्सियों के पीछे बिल्कुल पास आकर खड़ा हो गया। शाजिया ने हाथ बढ़ा कर उसकी गर्दन पर हल्के से मारते हुए उसे भगाने की कोशिश की। पर गधा कहाँ इतनी आसानी हटने वाला था।
ये गधे बहुत अड़ियल होते हैं... शाजिया इतनी आसानी से नहीं हटेगा ये, नजीबा ने हँसते हुए कहा।
।
शाजिया भी अब नशे में थी और वो भी जोर से अपनी हर्कत पर खिलखिला कर हँस पड़ी। छोड़ यार... खड़ा रहने दे... अपने आप ही छप्पर में चला जायेगा।
उस गधे के आँड उसकी पिछली टाँगों के बीच खरबूजे की तरह फुलने लगे। भुरे रंग की बालों से भरी खाल धीरे से पीछे खिसकने लगी और उसका काला विशाल सुपाड़ा खिसकता हुआ बाहर निकलने लगा। वो विशाल सुपाड़ा काले ग्रेनाइट के पत्थर की तरह चमक रहा था। गधे का लंड पहले तो नीचे लटक गया और फिर दाँये-बाँये फड़फ़ड़ाने लगा। उसका लंड डगमगाता हुआ और बाहर निकल कर लंबा होने लगा और जल्दी ही लगभग ज़मीन तक पहुँचने लगा। फिर उसका वो विशाल लंड फूल कर मोटा और कड़क होने गया और अंत में झटक कर उसके पेट के नीचे समानंतर (हॉरिज़ोंटल) उठ गया।
नजीबा ने गधे के नथुने की घरघराहट सुनी तो उसने अपने पीछे तिरछी नज़र डाली और उसकी आँखें हैरत से फैल गयीं। वो इतने बड़े लंड को पहली बार इतनी करीब से देख रही थी। गधे के लंड का सुपाड़ा उसकी तगड़ी छाती तक पहुँच रहा था और उसका वो मोटा लंड खरबूजे जितने बड़े टट्टों से बाहर को विकसित हो रहा था।
नजीबा के चेहरे पर लाली आ गयी और उसने फटाफट अपने बराबर में बैठी शाजिया की तरफ नज़र घुमा ली। शाजिया अपने ड्रिंक की चुसकियाँ लेती हुई कोई किस्सा बता कर हँस रही थी। नजीबा ने अपने ड्रिंक का बड़ा पूँट पिया और उसकी नज़रें चुंबक की तरह उस विराट लंड की तरफ खिंच गयीं। उसका ध्यान शाजिया की बातों में बिल्कुल नहीं था। वो ऐसे ही उसकी बातों पे ‘हाँ... हुँ” कर रही थी। अचानक शाजिया ने नजीबा के हाथ से उसका खली ग्लास लेना चाहा तो नजीबा चौंक गयी और हड़बड़ाहट में उसका हाथ गधे की टाँगों को छू गया। उसे अपने हाथ के नीचे गधे का बलवान शरीर धड़कता सा महसूस हुआ और उसने लंड को भी फड़फड़ाते हुए महसूस किया।
नजीबा ने शाजिया पर एक नज़र डाली कि शाजिया उसे देख तो नहीं रही। शाजिया तो नशे में। डगमगाते हाथों से उन दोनों के लिये फिर से डिंक बना रही थी। नजीबा भी नशे में खुद पर काबू नहीं रख पा रही थी उसने धीरे से अपना हाथ गधे के पेट के नीचे खिसका दिया। उसकी अंगुलियाँ गधे के फड़कते लंड को छूने के लिये सनसना रही थीं। पर जैसे ही गधे को नजीबा का हाथ अपने पेट के नीचे खिसक कर अपने लंड की तरफ बढ़ता महसूस हुअ तो वो उत्तेजना में जोर से रेंकने लगा। शाजिया भी चौंक कर पीछे पलटी कि एकाएक गधे को क्या हो गया।
|
|
।
नजीबा ने अपना हाथ ठीक समय पर फटाफट हटा लिया और जितना हो सके उतनी सहजता से आगे देखते हुए अपना ड्रिंक पीने लगी। उसे ग्लानि के साथ-साथ काफी उत्तेजना महसूस हो रही थी। उत्तेजना से उसका सिर घूम रहा था पर वो सोच रही थी कि सिर तो इतनी शराब पी लेने की वजह से घुम रहा है। शाजिया ने वैसे भी नजीबा के चेहरे के भावों पर ध्यान नहीं दिया।
शाजिया तो स्वयं आँखें फाड़े और मुँह खोले हुए गधे के विराट लंड को देख रही थी। गधे की टाँगें चौड़ी फैली हुई थीं और शाजिया की नज़र ठीक उसके फूले हुए सुपाड़े पर थी। वो गहरे रंग का विशाल लंड गधे की छाती तक बढ़ा हुआ था और लगभग उसकी अगली टाँगों के आगे निकल रहा था। गधे का लंड अंदर-बाहर ऐसे धड़क रहा था जैसे कि साँस लेते हुए फेफड़े और उसका मूत-छिद्र भी फैला हुआ था और उसमें से अग्रिम वीर्य-रस के कतरे बुदबुदा रहे थे। शाजिया ने उसके लंड की अविश्वसनीय लंबी छड़ पर नज़र दौड़ायी जैसे कि तोप की नाल को देख रही हो और फिर उसे खरबूजे जितने बड़े और प्रचुर वीर्य से भरे हुए आँड दिखायी दिये।
|