RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
एक क्षण के लिए तो शाजिया को लगा कि राज उसकी गाँड मारने वाला है और शाजिया को इसमें कोई आपत्ति भी नहीं थी पर राज का एक हाथ उसकी चूत पर फिसल कर चूत की फाँकों को फैलाते हुए उसकी फड़कती क्लिट को रगड़ने लगा।
“हाँ... हाँ.. ऐसे ही कुत्तिया बना कर चोद मुझे अपनी चूत में राज का विशाल लौड़ा पिलवाने की तड़प में शाजिया गिड़गिड़ाने लगी। राज के चोदू-झटके की आशा में शाजिया पीछे को झटकी।
तुझे कुत्तिया बन कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है ना, राँड?” राज उसके कुल्हों। को हाथों में पकड़ते हुए फुसफुसाया। उसका स्वर व्यंगात्मक लग रहा था।
शाजिया थोड़ी सी चौंक गयी। क्या मतलब था उसका? कहीं उसे शक तो नहीं हो गया था? क्या वो जान गया था कि शाजिया कुत्तों से चुदवाती है। एक क्षण के लिए तो शाजिया का जोश । हँडा पड़ गया और उसे डर लगने लगा। उसने अपने कंधे के ऊपर से पीछे निगाह डाली। पर उसे राज के चेहरे पर कोई गुस्सा नज़र नहीं आया और उसने राज के लंड को अपनी गाँड के ऊपर लहराते हुए देखा। इस दृश्य से शाजिया की कामेच्छा इतनी बढ़ गयी कि किसी प्रकार की चिंता य ग्लानि के भावों का कोई स्थान नहीं रह गया था।
“हाँ! मुझे कुत्तिया बना कर चोद!” शाजिया कराही।।
राज ने मुस्कुरा कर अपने लंड की नोक से उसकी दहकती चूत को छुआ और उसे
शाजिया की क्लिट पर रगड़ने लगा। शाजिया दुगनी कामेच्छा से कराहने लगी और उसने अपने । चूत्तड़ राज के लंड पर पीछे धकेल दिये।
राज ने अपना भीमकाय, फड़कता हुआ लंड पूरी ताकत से एक ही झटके में शाजिया की गाँड के नीचे उसकी पिघलती हुई चूत में ठाँस दिया। उसका लंड अंदर फिसल गया और उसका सपाट पेट शाजिया के चूत्तड़ों से टकराया। अपनी झुकी हुई जाँघों के बीच में से अपना हाथ पीछे ले जाकर शाजिया उसके आँड सहलाने लगी। राज अपना लंड शाजिया की चूत में अंदर तक पेल कर उसे घुमाता हुआ उसकी चूत को पीस रहा था।
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फिर राज ने पूरे आवेश में अपना लंड शाजिया की चूत में आगे-पीछे पेलना शुरू कर दिया। शाजिया कसमसाती हुई अपने चूत्तड़ पीछे ठेल रही थी और उसकी चूचियाँ भी जोरजोर से झूल रही थी। राज कुत्ते की तरह वहशियाना जोश से शाजिया की चूत चोद रहा। था और कुत्ते की तरह ही हाँफ रहा था।
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राज ने थोड़ा झुक कर जोर सा अपना लंड ऊपर की तरफ चूत में पेला जिससे शाजिया की गाँड हवा में ऊची उठ गयी और उसके घुटने भी बिस्तर उठ गये। फिर अगला झटका राज ने ऊपर से नीचे की तरफ दिया और फिर से शाजिया के घुटने और गाँड पहले वाली मुद्रा में वापिस आ गये। शाजिया का शरीर स्प्रिंग की तरह राज के नीचे कूद रहा था।
ऊऊम्म्म.... मैं झड़ी?” शाजिया चिल्लाई।
राज भी पीछे नहीं था। उसका लंड फूल कर इतना बड़ा हो गया था कि शाजिया को लगा ॥ जैसे कुल्हों की हड्डियाँ अपने सॉकेट में से निकल जायेंगी। शाजिया ने अपनी झूलती। चूचियों के कटाव में से पीछे राज के विशाल लंड को अपनी चूत में अंदर-बाहर होते हुए देखने की कोशिश की।
राज जोर-जोर से चोदते हुए शाजिया की चूत को अपने लंड से भर रहा था और शाजिया को कामानंद से। शाजिया की चूत राज के लंड पे पिघलती हुई इतना अधिक रस बहा रही थी कि वो फुला हुआ लंड जब चूत की गहराइयों में धंसता तो ‘छपाक-छपाक’ की आवाज़ आती थी।
“ले... साली कुतिया... मैं भी आया?” राज हाँफते हुए बोला।
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