RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया मस्ती से कलकलाने लगी। अपने लंड का सिर्फ सुपाड़ा शाजिया की चूत में रोक कर राज लंड कि मांस-पेशियों को धड़काने लगा। उसका सूजा हुआ सुपाड़ा चूत में धड़कता हुआ हिलकोरे मार रहा था।
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पहले शाजिया का मुँह, चूत की तरह था और अब उसकी चूत, मुँह की तरह थी। उसकी चूत के होंठ लंड के सुपाड़े को चूसने लगे और उसकी कड़क क्लिट जीभ की तरह लंड पर रगड़ने लगी। राज घुरघुराते हुए स्थिर हो गया। शाजिया की चूत उसके लंड को सक्शन पंप की तरह अपनी गहराइयों में खींच रही थी। राज ठेल नहीं रहा था लेकिन शाजिया की चूत खुद से उसके लंड को अंदर घसीट रही थी।
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राज उत्तेजना से गुर्राया। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लंड उसके शरीर से खींच कर उखाड़ा जा रहा था और शाजिया की चूत के शिकंजे में अंदर खिंचा जा रहा है। अपनी चूत में आखिर तक उस विशालकाय लौड़े की ठोकर महसूस करती हुई शाजिया । सिसकने लगी। उसकी चूत फड़कते लंड से कोर तक भरी हुई थी। उसका अरदली चोदू कुत्ते जैसे पाशविक जोश से तो उसे नहीं चोद सकता था परंतु ये कमी उसके लंड की लंबाई से पूरी हो गयी थी, जोकि शाजिया की चूत को उन गहराइयों तक भरे हुए था जहाँ कुत्तों का लंड नहीं पहुँच सकता था।
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राज का लंड शाजिया की चूत में धड़कने लगा तो शाजिया की चूत की दीवारें भी उसके लंड की शाखा पर हिलोरे मारने लगी। शाजिया की चूत के होंठ लंड की जड़ पे चिपके हुए थे और लंड को ऐसे खींच रहे थे जैसे कि उस कड़क लंड को राज के शरीर से उखाड़ कर सोंखते हुए चूत की गहराइयों में और अंदर समा लेने की कोशिश कर रहे हों।
राज के लंड का गर्म सुपाड़ा शाजिया को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कि उसकी चूत में गरमागरम लोहे का ढेला ढूँसा हो। उसके फड़कते लंड की शाखा ऐसे प्रतीत हो रही थी जैसे लोहे की गरम छड़ चूत की दीवरों को खोद रही हो। उसका लंड इतना अधिक गरम था कि शाजिया को लगा कि वो जरूर उसकी चूत को अंदर से जला रहा होगा पर उसकी खुद की चूत भी कम गरम नहीं थी। शाजिया की चूत भी भट्टी की तरह उस लंड पर जल रही थी जैसे कि राज का लंड तंदूर में सिक रहा हो।
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