RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
राज भी शाजिया के पास आ गया और अपनी मुट्ठी अपने लंड की जड़ में कस दी जिससे उसके लंड का सुपाड़ा आलूबुखारे की तरह दमकने लगा। शाजिया के लिए यह मुँह में पानी लाने वाला दृश्य था। वो आगे झुकी तो उसके लंबे बाल राज के पेट और जाँघों पर गिर गये। शाजिया ने अपनी जीभ लंड के सुपाड़े पर फिरायी।
“उम्म्म... यम्मी, वो बिल्ली की तरह घुरगुरायी।
“हाँ... चूसो मैडम... उम्म... मेरा मतलब चूस साली कुत्तिया”, राज सिसका। शाजिया उसका आलूबुखारे जैसा पूरा सुपाड़ा मुँह में ले कर चूसने लगी। शाजिया की चुस्त और फुर्तीली जीभ राज के सुपाड़े के फूले हुए आकार पर फिसलने और सुड़कने लगी। उसकी जीभ बीच में कभी सुपाड़े की नोक पर फिरती और कभी उसके मूतने वाले छिद्र को टटोलती। अपने मुँह में अग्रिम वीर्य-स्राव का स्वाद महसूस होते ही शाजिया की भूख और बढ़ गयी। जब वो उसके सुपाड़े के इर्द-गिर्द बहुत सारी राल निकालने लगी तो उसका थूक लंड की छड़ पे नीचे को बहने लगा। शाजिया का सिर किसी लट्टू की तरह राज के लंड पर घूम रहा था।
राज की गाँड अकड़ गयी और धक्के लगाती हुई लंड को शाजिया के मुँह में भोंकने लगी। शाजिया जब चूसती तो उसके गाल अंदर को पिचक जाते और जब वो उसके लंड पर फेंकती तो गाल फूल जाते। शाजिया लंड के सुपाड़े पर पर बहुत अधिक मात्रा में राल निकाल रही थी और राज के अग्रीम वीर्य से मिला हुआ शाजिया का बहुत सारा थूक नीचे बह रहा था। राज के अग्रिम वीर्य की गंध कुत्तों के वीर्य जैसी तेज और भारी नहीं थी लेकिन शाजिया को वो उतना ही स्वादिष्ट लग रहा था।
राज के लंड को चूसते हुए शाजिया के काले बालों का पर्दा राज के लंड और टट्टों पर पड़ा हुआ था। लंड के स्वाद का मज़ा लेते वक्त शाजिया के मुँह से रिरियाने की आवाज़ निकल रई थी। राज के दाँत आपस में रगड़ रहे थे और उसका चेहरा उत्तेजना से ऐंठा हुआ था। शाजिया का सिर तेजी से लंड पर ऊपर-नीचे डोलने लगा और वो और अधिक लंड की छड़ अपने मुँह में लने लगी। उस मोटे और रसीले लंड पर ऊपर नीचे होती हुई शाजिया लंड पर अपने होंठ जकड़ कर चूस रही थी। जब वो अपना सिर ऊपर लेती तो उस लंड पर अपना मुँह लपेट कर अपने होंठ कस कर पेंचकस की तरह मरोड़ती।
राज सुअर की तरह घुरघुराता हुआ और अपना लंड ऊपर को ठेलता हुआ शाजिया के मुँह को ऐसे चोदने लगा जैसे कि कोई चूत हो।
“ऊस्मफ्फ', जब लंड का फूला हुआ सुपाड़ा शाजिया के गले में अटका तो वो गोंगियाने लगी। शाजिया ने राज का लंबा लंड लगभग पूरा अपने मुँह में भर लिया था। राज के आ आँड शाजिया की ठुड्डी पर रगाड़ रहे थे और शाजिया की नाक राज की झाँटों में घुसी हुई थी। शाजिया की साँस घुट रही थी लेकिन फिर भी उसने कुछ क्षणों के लिए लंड के सुपाड़े । को अपने गले में अटकाये रखा और फिर उसने लंड को चूसते हुए बाहर को निकाला।।
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