RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
कम ऑन,” शाजिया सिसकी, “दाग दे अपने लंड का माल मेरी चूत में... साले... कुत्तिया की बेवकूफ औलाद”
औरंगजेब भी आज्ञाकारी कुत्ता था। वो भेड़िये की तरह चींखा और उसके भारी आँड जैसे फट पड़े हों। उबलता हुआ गाढ़ा वीर्य उसके लंड में से वेग से दौड़ता हुआ उसके मूत-छिद्र से मलाईदार सैलाब की तरह छुटने लगा और शाजिया की चूत कुत्ते के गरम वीर्य से लबालब भरने लगी।
“आआआआआईईईईईईईईई” शाजिया उन्माद में जोर से चीखने लगी। अपनी दहकती चूत मे गिरते हुए कुत्ते का लंड शाजिया को इतना गर्म और गाढ़ा लग रहा था जैसे पिघला हुआ सीसा हो। शाजिया की चूत भी कुत्ते के लंड पर ऐसे पिघलने लगी जैसे कि जलती हुई बाती पर मोमबत्ती का मोम पिघलता है।
औरंगजेब उसे निरंतर चोदता रहा और हर धक्के के साथ और वीर्य अंदर छोड़ देता। शाजिया के बदन में भी जब चरमानंद की लहर दौड़ने लगी तो वो भी कुत्ते के नीचे झटके खाने लगी और उसकी गाँड और चुत्तड़ प्रचंडता से थिरकते हुए नृत्य करने लगे। असीम उन्माद की कई सारी ऊंची लहरें तेज़ी से शाजिया के बदन में दौड़ने लगीं और फिर जैसे आपस में मिल कर एक ठोस रस्सी में बदल गयी और उसकी चूत को चीरने लगी।
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ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वो कुत्ता शाजिया की चूत में झड़ना बंद ही नहीं करेगा। उसके आँड जैसे अथाह थे और उसका वीर्य अनंत।
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औरंगजेब जोर से भौंका और अपनी ताल खो दी। उसकी पिछली टाँगें डगमगाने लगीं और शाजिया की चूत में उसके धक्के भी रह-रहकर डावांडोल होने लगे। उसका एक झटका चूकता, फिर वो दो झटके लगाता और फिर अगला चूक जाता। उसके आँड अब नीचे लटकने लगे थे जैसे कि पिचकी हुई थैलियाँ हों जो अभी-अभी शाजिया की चूत में खाली हुई थीं। शाजिया की उठी हुई गाँड पर पहले की तरह चोट मारने की जगह अब वो आँड झूल रहे थे।
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