RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
अब शाजिया को लगा कि अब जल्दी ही कुत्ते का वीर्य अपनी चूत में निचोड़ लेना चाहिए क्योंकि राज का लकड़ियाँ चीरने का काम कहीं पूरा ना होने वाला हो। वो अपने अनुभवों से जानती थी कि एक बार कुत्ते का लंड उसकी चूत में खिंच कर अटक गया तो उसे पूरा झड़ने के पहले चूत से निकालना नामुमकिन होगा। वैसे उसे अपनी चूत में उन कुत्तों के लंड के फँसने में बहुत मज़ा आता था क्योंकि उसे कुत्ते के वीर्य से भरी चूत बहुत पसंद थी।
औरंगजेब इतनी जोर-जोर से अपना लंड पेल रहा था कि बालों से ढके उसके पुट्टे काला धब्बा-सा लग रहे थे। जब वो वो अपना लंड अंदर को ठाँसता तो उसकी रीड़ ऐंठ कर मूड़ सी जाती। शाजिया को इस चुदाइ में बहुत ही मज़ा आ रहा था और वो इसे जारी रखना चाहती थी लेकि वो जानती थी कि इस चुदाई को सुखद रूप से अंत करना ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि राज के अक्समत लौट कर दरवाजा खटखटाने या सीधे अंदर ही आ जाने से चरमानंद में दखल पड़ता।
शाजिया पूरी निपुणता से कुत्ते के लंड को चोदने लगी। उसकी चूत की भीगी दीवारें कुत्ते के लंड के सुपाड़े और डंडे के हर बहुमुल्य हिस्से पर जकड़ कर चिपक गयीं। उसकी चूत की पेशियाँ कुत्ते के लंड को कस के जकड़ के दुहने लगीं।
जब शाजिया की चूत उसके लंड को कस कर निचोड़ने लगी तो औरंगजेब मस्ती में भौंकने और गुर्राने लगा। वो जोर-जोर से लंबे झटकों के साथ अपना लंड शाजिया की चूत में हाँकने लगा और उसके आँड, हवा भरे गुब्बारों की तरह झूल रहे थे। उसका लंड चूत के अंदर फूलने लगा तो शाजिया समझ गयी कि अब किसी भी क्षण वो कुत्ता अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ सकता है। शाजिया ने अपने कुल्हों को झटक कर अपनी चूत में लंड के प्रवेश का । ऐंगल बदला ताकि अंदर बाहर होते हुए उस लोहे जैसे सख्त लंड की डाली का हर हिस्सा उसकी दहकती क्लिट पर रगड़े। वो खुद भी झड़ने की कगार पर थी लेकिन उसने खुद को रोका हुआ था क्योंकि वो झड़ने से पहले कुत्ते का वीर्य-रस अपनी चूत में छुटता हुआ महसूस करना चाहती थी।
शाजिया का चेहरा निपट उत्तेजना और उन्माद से ऐंठा हुआ था, आखें सिकुड़ गयी थीं और उसके होंठ ढीले पड़ कर काँप रहे थे। उसकी पलकें फड़फड़ाने लगी और उसकी जीभ की नोक उसके खुले होंठों के बीच से बाहर सरक आयी। वो कुत्ता-चोद औरत इस समय जन्नत में थी।
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