RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया की चूत में तो आग लगी ही हुई थी और ये मौका भी अच्छा था। राज के बाहर जाते ही शाजिया टीपू को पहले बुलाया और कपड़े उतार कर वहीं कालीन पर अपने हाथों और घुटनों के बल झुक गयी थी। फिर उसने टीपू को अपनी पीठ और चूतड़ों पर चढ़ा कर अपनी चूत में उसे धुंआधार चुदाई के लिए फुसला लिया था। जब तक टीपू शाजिया की चूत में अपना लंड पेलता रहा तब तक औरंगजेब भी भौंकता हुआ, अपना कठोर लंड झुलाता उनके इर्द-गिर्द उछलता हुआ बेसब्री से अपन अपने अवसर की। प्रतीक्षा करने लगा। बीच-बीच में औरंगजेब कभी शाजिया का मुँह चाटता और कभी शाजिया के पीछे जा कर उसके सैंडलों और पैरों को चाटने लगता। शाजिया के पैर और हाई-हील वाले सैंडल, औरंगजेब के थूक से सराबोर हो गये थे।
जैसे ही टीपू ने अपने टट्टों का सारा माल शाजिया की चूत में खाली किया था, शाजिया उसका लंड अपनी चूत में से निकाल कर खड़ी हो गयी थी। फिर औरंगजेब के थूक से भीगे सैंडल पहने हुए ही बिस्तर पर आ गयी थी जहाँ वो इस समय औरंगजेब से दूसरी मुद्रा में अपनी पीठ के बल लेट कर चुदवा रही थी। औरंगजेब भी टीपू जैसा ही बड़ा और काले रंग । का था और वैसा ही जोशिला और ताकतवर था।
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शाजिया का सुंदर और सुडौल बदन बिस्तर पर पसरा हुआ था, उसकी कमर कमान की तरह मुड़ी थी और उसके घुटने मुड़े हुए थे। शाजिया की लजीज़ जाँधे, चोदते हुए कुत्ते के दोनों तरफ फैली हुई थीं और उसने अपने कुल्हे ऊपर को ठेले हुए थे जिससे कि उस चुदक्कड़ कुत्ते का लंड पूर्णतः उसकी चूत मे समा सके। शाजिया के काले, लंबे घने बाल बिस्तर पर । फैल गये थे और उसके मादक रसीले होठों पर आनंदमय मुस्कान और सिसकारियाँ थी।
औरंगजेब की चुदाई कि ताल बाहर कुल्हाड़ी की आवाज़ के साथ सध गयी लगती थी। । “खट... खट... खट’ कुल्हाड़ी की आवाज़ आती जब कुल्हाड़ी की तेज़ धार लकड़ी के लट्ठों को टुकड़ों में चीरती और जब भी बाहर यह लकड़ी चीरने की आवाज़ ठंडी और तेज़ हवा को चीरती, तो औरंगजेब अपना लंड नशे और वासना में चूर शाजिया की चूत में इतनी ताकत से ठेलता कि उसका लंड भी शाजिया की चूत को दो हिस्सों में चीरता हुआ प्रतीत होता।।
लेकिन शाजिया की लचीली चूत भी उस चीते के आकार के कुत्ते का पूरा लंड लेने में सक्षम थी, जितना भी वो उसकी चूत में ठेल सकता था। शाजिया को तो बस चूत में विशाल पश्विक लौड़े की चाह थी।
- स्वयं भी किसी जानवर की तरह ही सिसकती और रिरियाती हुई शाजिया उस कुत्ते के धक्कों का उतने ही आवेश और ताकत से जवाब दे रही थी। जैसे ही वो कुत्ता अपना लंड उसकी चूत में कूटता, शाजिया भी अपनी सैंडलों की ऐड़ियाँ बिस्तर में गड़ाकर अपनी चूत आगे ढकेल देती और जब वो अपना लंड बाहर खींचता तो शाजिया भी अपने भारी चूत्तड़ घुमा-घुमाकर अपनी चूत उस खिसकते हुए लंड पर मरोड़ते हुए अंदर-बाहर के घर्षण में । और भी रगड़ उत्पन्न कर देती।
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