RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
टीपू उस आलिशान कमरे के एक कोने में, कालीन बिछे फर्श पर सिकुड़ कर बैठा हाँफ रहा था और उसकी लंबी लाल जीभ उसके जबड़े के किनारे से बाहर लटक रही थी। ये काले रंग का विशाल डोबरमैन कुत्ता थका हुआ लग रहा था और ये थकान बाहर फार्म में खरगोशों के पीछे भागने से नहीं थी बल्कि इसलिये थी क्योंकि उसके लंड और आँड ज़ाहिर रुप से अभी-अभी ही निचोड़ कर खाली किये गये थे। उसके आँड उसकी टाँगों के बीच में सिकुड़े हुए थे और उसका लंबा लंड फर्श पर लटका हुआ था। उसके लाल लंड का अग्रभाग अभी भी उसके बालों से ढके खोल में से बाहर झाँक रहा था और उसका नंगा लाल लंड उसके वीर्य से सना हुआ था। उसके चमचमाते वीर्य का एक नाज़ुक सी डोरी उसके लंड की नोक से कालीन पर गिरे उसके वीर्य के ढेर से मिल रही थी। ये विशाल कुत्ता थक कर चूर था पर अभी सो नहीं रहा था। उसकी आँखें खुली हुई थी और उसका एक कान चौकन्ना होकर खड़ा था और उसकी काली नाक उत्तेजना से हल्की सी फड़क रही थी। टीपू स्वयं तो खाली हो गया था पर उसका ध्यान अभी भी कमरे के बीच में बिस्तर पर चल रही गतिविधि पर था, जहाँ औरंगजेब अपनी बारी आने पर उसकी मालकिन को चोद रहा था।
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कमरे के बिल्कुल पीछे बने छप्पर से कुल्हाड़ी चलने की आवाज़ लगातार आ रही थी और शाजिया ख़ान जानती थी कि कुल्हाड़ी की आवाज़ के आते रहने का मतलब था कि उसका अरदली अभी भी लकड़ियाँ चीर रहा था और इस बात का खतरा नहीं था कि वो घर के अंदर आ कर बेडरूम के दरवाजे के बाहर से उसे वो करते हुए सुन या देख लेगा जो शाजिया को बहुत प्यारा था - कुत्तों से अपनी चूत चुदवाना और गाँड मरवाना। ।
शाजिया का पति भारतीय वायु सेना में विंग कमाँडर था और आजकल उसकी पोस्टिंग पूर्वी सीमा पर थी। हिमाचल में शिवालिक की पहाड़ियों में कसौली के पास उनका पुश्तैनी ५ फार्म हाउज़ था और शाजिया ज्यादातर यहीं अकेली रहती थी क्योंकि यहाँ एकाँत में वो । गोपनियता से कुत्तों से चुदवा सकती थी। पहले जब वो शहर में अपने पति के साथ रहती थी तो कई मर्दो से उसके नाजायज़ संबंध थे क्योंकि प्रकृति से ही वो चुदक्कड़ थी। लेकिन पिछले दो साल से उसे कुत्तों के लंड ज्यादा भाते थे। वैसे भी उसे वायूसेना की कई सुविधायें जैसे कि सरकारी जीप, अरदली इत्यादि उपलब्ध थीं। कुत्तों के अलावा । उसने अरदली और अन्य कामगारों से भी संबंध बना लिये थे पर कोई नहीं जानता था कि शाजिया कुत्तों से चुदवाती है। फार्म पर उसके साथ चौबीसों घंटे रहने वाला उसका अरदली, राज भी नहीं।
अभी कुछ देर पहले ही पास की छावनी के क्लब में एक पार्टी से नशे में शाजिया लौटी थी। एक ऑफिसर का ड्राइवर, शाजिया को और उसकी जीप को फार्म तक छोड़ गया था। अपने आलिशान बेडरूम में पहुँच कर उसने अरदली राज को बेडरूम के फॉयर-प्लेस में लकड़ी डाल कर आग जलाने को कहा था। उस समय कुछ ही लकड़ियाँ कटी हुई थी | जिनसे राज ने आग शुरू की। चूंकि इतनी लकड़ियाँ अधिक समय नहीं चल सकती थी, इसलिए राज घर के पीछे बने छप्पर में लकड़ियाँ काटने चला गया।
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