RE: Porn Kahani चली थी यार से चुदने अंकल ने ...
बॉयफ़्रेंड ने मेरी गांड मार ली
वह फिर बोला- चल चूत नहीं मार सकता.. लेकिन गांड तो मार सकता हूँ।
यह बोलकर उसने मेरी गांड मसल दी।
मैं यह सुनते ही डर गई और सोचने लगी कि अभी मेरी चूत में अंकल का लंड गया तो दर्द से चल नहीं पा रही हूँ.. अगर इसका लंड मेरी गांड में गया तो मैं खड़ा भी नहीं हो पाऊँगी।
मैंने मना कर दिया। लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था। उस पर मानो साक्षात कामदेव सवार थे। तब तक हम फार्म हाउस के बाहर आ चुके थे। वह मुझे साईड में ले जाकर मुझ पर हावी हो गया। वो मेरे होंठ, गाल, गर्दन चूम कम रहा था और काट ज्यादा रहा था। मेरी चूचियों को तो ऐसे दबा रहा था कि चूचियां नहीं.. किसी बस का हॉर्न हों।
मैं भी अब गर्म होने लगी थी और मैं भी उसका साथ देने लगी। वह कभी मेरी चूचियों को दबाता.. तो कभी गांड मसलता।
मेरी अन्तर्वासना फिर से जागने लगी।
अब वह मेरे टॉप को ऊपर करके मेरी चूचियों को पीने लगा। मैं भी उसका लंड सहलाने लगी।
फिर संतोष बोला- यार.. अब चलो भी कमरे में.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
गर्म तो मैं भी काफी हो गई थी या यूँ कहें कि फिर से चुदने को तैयार हो गई थी। लेकिन मैं उसके साथ कमरे में नहीं जा सकती थी.. अगर जाती तो मेरी पोल खुल जाती।
फिर मैं बोली- यार कमरे में नहीं.. मेरी सारी सहेलियां आई हैं। अगर किसी ने देख लिया तो समस्या हो जाएगी।
तो संतोष ने बोला- फिर कहाँ किया जाए?
मैं बोली- आज रहने दो.. कल चोद लेना।
वह नहीं माना और बोला- यार गांड ही तो मारनी है। यहीं झुको.. मैं यही तुम्हारी गांड मारता हूँ।
मैं बोली- यहाँ नहीं यार.. अगर किसी ने देख लिया.. तो मैं बरबाद हो जाऊँगी।
फिर संतोष मुझे फार्म हाउस से दूर एकदम सुनसान जगह पर सड़क के किनारे एक बिल्डिंग की आड़ में ले गया। वो पूरे रास्ते मुझे मसलते हुए ले गया, मैं भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी।
संतोष बोला- अब यहाँ तो चुद लो.. यहाँ कोई नहीं आएगा।
मैं भी गर्म हो ही गई थी, मैं बोली- ठीक है.. जो करना है जल्दी करो।
मेरे बोलते ही संतोष ने मेरा पर्स निकाल कर नीचे गिरा दिया और मेरा टॉप उतारने लगा। मैं बोली- टॉप क्यों उतार रहे हो यार.. गांड ही तो मारनी है.. स्कर्ट ऊपर करके मार लो।
लेकिन वह नहीं माना और उसने मेरा टॉप उतार दिया और साथ में ब्रा भी खींच कर निकाल दी। मेरी चूचियों के नंगे होते ही वह अंधेरे में ही पागलों की तरह मेरे रसीले मम्मों को पीने लगा और काटने लगा।
मुझे ऐसा लग रहा था कि यह आज मेरी चूचियों को काट कर ले जाएगा। कभी वह मेरे गाल चूसता.. तो कभी होंठ चूसता.. तो कभी चूचियों को भंभोड़ता।
मैं इतनी गर्म हो गई कि मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने वाली थी। मेरे से अब मेरी चुदास बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
मैं बोली- संतोष जल्दी कर लो.. आभा मुझे ढूंढ रही होगी।
संतोष अब मेरी स्कर्ट उतारने लगा।
मैंने नहीं उतारने दी, मैं बोली- यार स्कर्ट ऊपर करके कर लो ना..
वह मान गया फिर मुझे दीवार के सहारे झुका दिया। मेरे झुकते ही मेरी गांड नंगी हो गई। संतोष मेरी गांड को सहलाने लगा.. फिर वह मेरी गांड चाटने लगा।
मैं बोली- क्या कर रहे हो यार?
उसने मेरी बात को नहीं सुना.. अब वो और तेज-तेज चाटने लगा।
वो मेरी गांड को चाट कम रहा था और काट ज्यादा रहा था। उसके काटने से मुझे भी दर्द कम.. और मदहोशी ज्यादा छा रही थी जैसे कि मैं अपने बस में ना थी। मैं अपने आप बड़बड़ाने लगी थी।
मैं संतोष से बोली- जान.. जल्दी करो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मुझे मजे के साथ में गांड मराने को लेकर थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि मुझे अपनी फटी हुई चूत याद आ जाती थी।
संतोष ने अपना पैन्ट नीचे किया और लंड बाहर निकाला। संतोष अब मेरे सामने आया और बोला- इसे चाट कर गीला करो।
मैंने मना कर दिया.. तो वह बोला- यार अगर सूखा डाल दिया तो तेरी गांड फट जाएगी और तुम्हें दर्द भी बहुत होगा।
मैं डर गई और सोचने लगी कि चूत फटी तो ठीक से चल नहीं पा रही हूँ और अगर गांड फट गई तो खड़े भी नहीं हो पाऊंगी।
इसलिए ना चाहते हुए भी मैं उसका लंड चूसने के लिए राजी हो गई। ये तो बिल्कुल अंकल के लंड जैसा ही था। संतोष मेरे मुँह में लंड डालकर आगे-पीछे करने लगा जैसे वह मेरे मुँह की चुदाई कर रहा हो।
मुझे लंड की वजह से उल्टी जैसे हो रही थी इसलिए मैंने लंड को निकाल दिया।
संतोष समझ गया कि मुझे अच्छा नहीं लगा इसलिए उसने जिद नहीं की।
|