Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:52 PM,
#88
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
बेशक वो सर्दियों की दोपहर थी पर फिर भी पसीना पसीना हो रहा था मैं मेरी नजरे झुकी थी दिल में परेशानी थी इन सब में उसका भला क्या दोष था नजरे कैसे मिलाऊ मैं उससे और भला क्या कहू, झूठ बोल नहीं सकता खुदा के घर में जो खड़ा था और सच बोलने की हसियत नहीं थी मेरी , ये कैसी बेबसी थी ये क्या हो रहा था मुझे , अब कहू तो क्या कहू , बोलू तो क्या बोलू, मैंने भी सोचा तो बस इसके साथ ही जीने का था पर हाय रे तकदीर .

पर क्या तकदीर को दोषी ठहराना उचित था मुझे हर पल मालूम था की आगे चल कर ये लम्हा किसी यक्ष प्रश्न की तरह मेरे सामने खड़ा हो जायेगा

“आपके होंठो पर य ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती है ” कहा उसने 

मैं- मुस्कुरा भी तो नहीं सकता 

वो- इजाजत हो तो सवाल करू मैं 

उसने अपनी लरजती हुई आवाज में कहा जैसे बड़ी मुश्किल से रुलाई को रोका हो और मैं भी अपनी आँखों से गिरते दर्द को रोक ना सका वो मेरे पास बैठी थी मेरे हाथो को थामे हुए सामने खुदा था और मेरी दुआ थी की इसके साथ आज इंसाफ हो क्योंकि आज इसका दिल टुटा तो मोहब्बत की रुसवाई तो होगी ही पर हम भी बेवफा कहलायेंगे 

वो- मत घबराइए आप की हर उलझन से आजाद कर दूंगी आपको 

मैं- और आप 

वो- अजी हमारा क्या आप खुद को रोक सकते है पर हमे नहीं , हमारा दिल है हमारी जिंदगी है हमारे दिल पर आज भी हमारा ही हक़ है और आप तो क्या खुदा भी हमे आपसे इश्क करने से रोक नहीं सकता है ये बात और है इश्क एकतरफा हुआ तो क्या हुआ और फिर ज़िन्दघी बड़ी जालिम है सरकार जीना सिखा ही देगी किसी बहाने से 

मैं- मेरी बात तो सुनो 

वो- जरुर सुनूंगी पर जरा पहले अपनी तो कह लू ,जानते है जीना मैंने तब सीखा था जब आप मेरी जिंदगी में आये उससे पहले बस सांसे चल रही थी आपके आने से खिल गयी थी मैं वो पहली बार जब आपने मेरे दुप्पट्टे को छुआ तह आजतक उसे सीने से लगा के सोती हु मैं पर आज ऐसे लगता है की 

“इतने करीब आकर सदा दे गया मुझे,मैं बुझ रही थी कोई हवा दे गया मुझे , उसने भी खाक डाल दी मेरी कब्र पर वो भी मोहब्बतों का सिला दे गया मुझे ”


मैं- कुछ दिन से जिंदगी मुझे पहचानती नहीं, देखती है जैसे मुझे जानती नहीं 

आज हम दोनों अपनी अपनी शिकायत लिए बैठे थे उसकी हर शिकायत मेरे सर माथे पर थी पर वो भी निराली ही थी कुछ बोलते कुछ खामोश हो जाते हाथो में हाथ उलझे थे और आँखों से आँखे दर्द मेरे सीने में भी था दर्द उसके सीने में भी था उसकी आँखों में निराशा के आंसू थे मेरी आँखों में बेबसी के , अब कैसे कहू मैं उससे की किसी और का हाथ थाम आया हु मैं किसी और की मांग में सिंदूर बनकर सजा हु मैं .

वो- मैं ये नहीं कहूँगी की क्यों आये मेरी जिंदगी में न दोष दूंगी क्योंकि मैं जानती हु होगी कोई खुशनसीब जिसने आपका हाथ थामा है और ख़ुशी भी है की हम नहीं तो क्या हुआ कोई तो है हमसफर आपका 

मैं- ऐसी बात नहीं है 

वो- अजी रहने भी दीजिये ना , क्या फरक पड़ता है अब आप कह नहीं पाएंगे और हम शायद सुन नहीं पाएंगे और गिले शिकवे भी क्या करने दिल भी अपना और प्रीत भी अपनी , बस आपसे इतना ही कहती हु की मोहब्बत को मज़बूरी का नाम ना दीजिये वो क्या है ना बात जरा हलकी सी हो जाएगी 

मैं- मोहब्बत, सुनने में बहुत अच्छा लगता है करने में और अच्छा , जब अचानक ही नीरस राते अच्छी लगने लगती है जब किसी के ख्याल भर से ही होंठो पर हंसी आ जाती है , वो जब पहली बार तुम्हे देखा था छजे पर खड़ी दिल तो मैं तब ही हार गया था वो जब छुप छुप कर गलियों में तुमको आते जाते देखता था . वो जब तुम अपनी चुन्नी में उंगलिया घुमाती हो जब तुम धीरे से आँखों से सब कुछ कह जाती हो ,

जानती तो कितनी राते उस चाँद को देख कर मैंने अनखो आँखों में काट दी इसलिए नहीं की चांदनी में कोई बात थी बल्कि इसलिए की चाँद में भी तुमको देखा मैं, अपनी खिड़की की सलाखों से टपकती बरसात में किसी ठन्डे हवा के झोंके को महसूस किया मैंने जो अपने साथ तुम्हारे बदन की खुशुबू लेकर आया था , जब पानी की टंकी पर तुम्हे पानी पीते देखता था तो इर्ष्या की मैंने उन बूंदों से जो तुम्हारे लबो को चूम कर आई थी 

मोहब्बत, हां, की मैंने मोहब्बत कभी तुमसे उस तरह कह नहीं पाया जैसे की शायद तुमने अपेक्षा की हो पर ये खुदा जानता है हर धड़कन ने अगर किसी को महसूस किया तो बस तुमको पर जिंदगी की बिसात पर मोहबत की चाल बस किसी प्यादे भर की ही है, ये मैंने आज जाना है गुनेहगार हु मैं तुम्हारा पर माफ़ी नहीं मांगूंगा क्योंकि मुझे हर पल पता था की एक ऐसा दिन अवश्य आएगा 

वो- मैं आपसे कोई सफाई नहीं मांगूंगी क्योंकि मोहब्बत में कहा किसी को पाना होता है और कहा किसी को खोना प्रेम तो बस प्रेम 
होता है खैर, आप बातो में मुझे न उलझाइये बस मेरे प्रश्न का जवाब दीजिये 

उसने बड़ी गहराई से मेरी आँखों में देखा और बोली-राधिके और मीरा में से किसका प्रेम ज्यादा सच्चा था 
दिल ही दिल मैं उसका लोहा मान ल्लियाय- बस एक वाक्य म अपना सारा दर्द अपना सब घोल दिया था उसने बिना कुछ कहे सब कुछ बोल गयी थी वो 

वो- बताइए कुंदन जी 

मैं- दोनों का 

वो- तो फिर मोहन रुकमनी को क्यों मिले मोहन के लिए राधिका भी थी और मीरा भी तो फिर प्रीत का अंतर क्यों भला जवाब दीजिये

मैं- प्यार बस प्यार होता है चाहे राधिका का हो या मीरा का, प्रेम क्या तेरा मेरा , रुक्मणि को बेशक माधव ने चुना पर पर आज भी श्याम राधा के नाम से जाने जाते है और मोहन मीरा के नाम से ,
रही बात मेरी तो मेरे लिए राधा भी वो ही जो मीरा है फर्क इतना है बस मैं कान्हा नहीं हूं , मेरे दिल की हर धड़कन को तुम्हारे नाम किया मैंने पहली मुलाकात से आज तक बस तुम्हारा ख्याल किया पर ये मोहब्बत भी बड़ी जालिम है ,
तुम्ही तुम हो तो क्या तुम हो,हम ही हम है तो क्या हम है बात तब बने जब हम तुम बने तुम हम बनो
वो- खोखली बातो का क्या फायदा 
मैं- आप ही बताओ मैं क्या करूँ,
वो- अब क्या कहना जब आपने राह जुदा कर ही ली है, मोहब्बत का यही सिला तो ये ही सही खाली हाथ हु तो क्या हुआ दुआ तो दे ही सकती हूं ना 
वो उठी और चलने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया ,वो रुक गयी
वो- किस हक़ से रोकते हो सरकार 
मैं- तुम्हे भी तो पता है 
वो- जाने दो, कदम डगमगा गए तो मुश्किल हो जायेगी
मैं- होने दो क्या हुआ जो कदम डगमगाये मैं हु ना
वो- ये कैसी मोहब्बत है आपकी 
मैं- वो ही जिसे तुम्हारा दिल समझता है जो बसी है तुम्हारी रूह में 
वो- तो क्यों रुस्वा करते हो जख्म भी देते हो और मरहम की बात भी करते है 
मैं- और मेरा क्या ,मैं कैसे जीता हु ,कैसी दुविधा है मेरी की हाथ थामा भी ना जाये और छोड़ा भी न जाए
वो मेरे इतने पास आ गयी की सांसो की डोर सांसो से उलझने लगे पसीने की महक एक बार फिर मुझे पागल करने लगी, धड़कने धड़कनो को सदा देने लगी थी होंठ कुछ पलों के लिए खामोश हो गए पर ख़ामोशी बहुत कुछ कह रही थी
वो- छोड़ो हमे कोई आ जायेगा ऐसे देखेगा तो 
मैं- देखने दो, आज सबको पता चलने दो 
वो- जाते जाते बदनाम करोगे हमे
मैं- प्रीत की डोर इतनी कच्ची भी नहीं 
वो- जब टूट ही गयी तो क्या कच्ची क्या पक्की
उसकी बात किसी तीक्ष्ण बाण की तरह कलेजे को चीरे जाती थी पर हमें तो अभी और रुस्वा होना था, थोड़ा और गिरना था खुद की नजरों में,
मैं- काश मैं तुम्हे बता सकता 
वो- अगर कभी अपना समझते तो छुपाते ही नहीं 
मैं-ये खुदा जानता है या फिर तुम जानती हो की अपनी हो या परायी हो 
वो- अपनी होती तो ऐसे ठुकराते नहीं
मैं- मैंने तुम्हे नहीं बल्कि मेरे नसीब ने 
वो- कितना अच्छा है न जब कुछ न सूझे तो नसीब पर दोष डालदो
मैं-अब जवाब देता हु तुम्हारे सवाल का , माना मोहन ने रुक्मणी का हाथ थामा पर आज भी पूजते वो राधा या मीरा के साथ ही है, बस पा लेना ही प्यार नहीं मैं चाहे तुम्हारे साथ रहु या ना राहु प्रेम था तुमसे और मेरी अंतिम सांस तक रहेगा
वो- यही तो मैं कह रही हु जब प्रेम करते हो तो जुदाई की सजा क्यों देते हो मुझे 


मैं- तुम्हे नहीं खुद को 
वो- पर जलूँगी तो मैं भी साथ ही ना 
मैं- जलोगी पर आग की तरह नहीं बल्कि मेरे दिल में दिए की तरह, तुम्हे कसम है मेरी की मुझे भूल जाना ज़िन्दगी में तुम्हे इतनी खुशिया मिलेंगी की मेरी तमाम यादे कब धूमिल हो गयी पता भी न चलेगा
वो- क्या आप भुला सकेंगे मुझे 
मैं- ज़िन्दगी को कैसे भूल सकता है कोई 
वो- तो मैं कैसे भुला पाऊंगी कुंदन जी
मेरी आँखों से आंसू गिर पड़े ,
मैं- तो क्या करूँ मैं 
वो- एक अधिकार देंगे मुझे 
मैं- सब तुम्हारा ही है 
वो- ना मैं ये कहूँगी की आप उसका दामन छोड़ कर मेरा आँचल थामो, न मैं आपको उसके साथ बाँट पाऊँगी क्योंकि मैं दूजी न बनूँगी , पर यदि प्रेम मेरी परीक्षा ही लेना चाह रहा है तो मैं आपको साक्षी मानकर मेरी नियति चुनती हु जिस तरह कान्हा की मीरा था मैं आपकी मीरा बनूँगी
मैं- कदापि नहीं 
वो- आप मुझे आपसे प्रेम करने से नहीं रोक सकते मेरे प्रेम पर बस मेरा हक़ है 
इतना कहकर हाथो से हाथ छुड़ा कर वो चल पड़ी बिना मेरी और देखे,दिल चाह कर भी उसे रोक ना सका, बस देखते रहे उसे जाते हुए पर वो अकेली नहीं गयी थी बल्कि अपने साथ मेरी आत्मा का एक टुकड़ा भी ले गयी थी।
अपनी आँखों में बिखरी ज़िन्दगानी के टुकड़े लिए मैं निकला वहां से पर जाये तो कहा जाए आज सब बेगाना लग रहा था सब पराया दिल भी और प्रीत भी जैसे तैसे करके अपनी जमीन के टुकड़े पर पहुंचा और कुवे की मुंडेर पर बैठके सोचने लगा 
और तभी मैंने भाभी की गाडी को आते देखा शाम कुछ ही देर में रात में बदल जानी थी इस समय भाभी यहाँ
भाभी मेरे पास आई और बोली- बात करनी थी तुमसे कुछ 
मैं- बाद में भाभी 
वो- अभी करनी है तुम्हारे और राणाजी के विषय में 
मैं- अरे, भाड़ में जाये राणाजी और भाड़ में जाओ आप मुझे मेरे हाल पे जीने दो, नहीं करनी शादी यार किसी से भी भाड़ में जाये दुनिया मुझे जीने दो 
भाभी- इतने उखड़े हुए क्यों हो
मैं- तो क्या करूँ जो भी मिलता है बस अपनी बातें थोप देता है मेरी कोई नहीं सुनता अरे क्या माँगा है किसी से कुछ भी तो नहीं पर हम साले हमारी कोई नहीं सुनता 
भाभी- कुंदन मेरी बात सुनो गुस्सा करने से क्या होगा क्या तुम्हारी परेशानियां कम होंगी नहीं बल्कि बढ़ और जाएँगी 
मैं- अकेला रहना चाहता हु मैं 
भाभी- जानती हूं पर अकेला छोड़ नहीं सकती तुम्हे 
मैं- भाभी आज टुटा हुआ हूं मैं आज न कोई सवाल है ना जवाब है मेरे पास न कुछ कहना है ना कुछ सुनना है 
भाभी- जानती हू आओ मेरे साथ आओ 
भाभी मुझे अंदर कमरे में ले आयी 
भाभी- समझती हूं तुम परेशान हो पर हर समस्या का हल जरूर होता है 
मैं- दिल के दो टुकड़े करना चाहता हु कैसे करूँ 
भाभी- दिल है ही कहा तुम्हारे पास
Reply


Messages In This Thread
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:52 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,463,722 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,147 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,216,848 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,330 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,631,642 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,063,087 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,920,822 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,957,582 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,993,263 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,315 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)