Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:46 PM,
#50
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
अब उसके मादक बदन पर बस एक काली कच्छी ही थी जो उसके मतवाले नितम्बो पर कसी हुई बेहद सुन्दर लग रही थी मैं अहिस्ता अहिस्ता उसके पुरे बदन को चूमने लगा उसकी नंगी पीठ कमर और फिर मैं उसके चूतडो पर आया मैं कच्छी के ऊपर से ही चाची की गांड पर जीभ फेरने लगा तो वो भी अपने चुतड हिलाने लगी जिस से मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी 

मैंने कच्छी को उसके घुटनों तक सरकाया और उसके गोरे चुतड मेरी आँखों के सामने थे मैंने उसकी फानको में उंगलिया फंसाई और उनको फैलाया तो चाची की चूत और उसकी गांड का छेद दिखने लगा मैंने कभी गांड नहीं मारी थी और चाची की गांड पर तो मेरा दिल मचल ही रहा था मैंने सोचा आज इसकी गांड जरुर मरूँगा चाहे कुछ भी हो जाये मैंने चाची के चूतडो को चूमना शुरू किया तो वो भी अपने चुतड जोरो से हिलाने लगी वो धीरे धीरे आहे भर गयी थी 

चाची थोड़ी सी आगे को झुक गयी जिस से उसके चुतड और उभर आये मैंने अपनी ऊँगली उसकी गांड के छेद पर रखी और सहलाने लगा चाची का बदन थर थर कापने लगा और वो थोड़ी सी और झुक गयी सहलाते हुए मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में दे दी तो उसके होंठो से आह निकल पड़ी और मैंने अपने होंठो को उसके गांड के भूरे छेद पर रख दिया 

मेरी नुकीली जीभ गांड में घुसने की कोशिश करने लगी और ऊँगली तेजी से चूत में अन्दर बाहर होने लगी चूँकि चूत बहुत ज्यादा गीली थी तो चाची को दोनों छेदों से भरपूर मजा आने अलग था उसके दोनों छेदों में बस इंच भर का ही फासला था तो मेरी जीभ दोनों छेदों पर साथ साथ चलने लगी और उसके बदन में जैसे भूचाल सा आ गया रही सही कसर मेरी ऊँगली पूरा कर रही थी 

कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा फिर मैं वहा से हट गया चाची ने अपने हाथ घुटनों पर रखे हुए थे तो मैंने उसकी कमर को पकड़ा और अपने लंड को चूत पर टिका दिया मस्ती में चूर चाची ने खुद अपनी गांड को पीछे सरकाते हुए मुझे अन्दर डालने का इशारा किया और तभी मैंने एक जोर का झटका मारते हुए लंड को उस मस्तानी चूत की गहराइयों की तरफ धकेल दिया और फिर धक्के लगाने शुरू किये 

“आः aaaahhhhhhhh aaahhhhhhhhhh ” की मधुर आवाजे चाची के मुह से लगातार निकल रही थी और वो मेरा पूरा साथ देते हुए चुद रही थी 

चाची- अआः शाबाश ऐसे ही जोर जोर से धक्के मार आः ऐसे ही 

मैं- चिंता मत कर तेरी प्यास जी भरके बुझाऊंगा चाची क्या चूत है तेरी इतनी कसी हुई की मेरा लंड छिलने लगता है 

वो- तू कुछ ज्यादा ही तारीफ करता है मेरी 

मैं – तू कमाल है चाची कमाल है 

मैंने अपना लंड चाची की चूत से बाहर खीचा और उसको बिस्तर पर पटक दिया मैंने उसकी लपलपाती चूत को देखा जिसकी फांके खुली हुई थी मैंने उसकी टांगो को अपनी टांगो पर चढ़ाया और फिर से अपना मुसल उसकी ओखली में पेल दिया और हम एक दुसरे में फिर से समा गए हम दोनों के चेहरे एक दुसरे के थूक से सने हुए थे थप्प थप्प की आवाज का शोर हो रहा था पर हमे कोई फरक नहीं पड़ रहा था 

मेरे हाथ बेदर्दी से उसकी छातियो को मसल रहे थे जिससे वो और ज्यादा मस्त हो रही थी उसकी चूत से इतना रस बह रहा था की निचे चादर तक सनने लगी थी पर मस्ती टूट नहीं रही थी चाची ने अब अपनी टांगो को मेरे कंधो पर रख दिया और खुद अपने बोबो को भीचते हुए चुदने लगी 

मेरी उंगलिया उसकी जांघो के मांस में जैसे धंस रही थी पल पल मेरा लंड चूत के छल्ले को चौड़ा करते हुए चाची को स्खलन की और ले जा रहा था और साथ मुझे भी करीब दस मिनट और मैंने उसे रगडा और फिर आगे पीछे ही हम झड़ गए उसकी गरम चूत को मेरे वीर्य की धार ठंडा करने लगी झड़ते हुए मैं उसके ऊपर ही पड़ गया उसने भी मुझे अपनी बाहों में भीच लिया 

कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे फिर चाची बाथरूम में चली गयी उसके आने के बाद मैंने भी पेशाब किया और अपने लंड को साफ किया और फिर उसके पास आकर ही लेट गया 

मैं- मजा आया 

वो- हां ये मजा पूरी रात लुतुंगी 

मैं- हां पर मुझे भी थोडा ज्यादा मजा चाहिए 

वो- क्या 

मैं- आपकी गांड मारूंगा आज 

वो- ठीक है पर जंगली मत बनियों आराम से प्यार से करियो 

मैं- ठीक है मेरी जान 

वो- चाची को जान बोलता है 

मैं- अब तो जान ही है तू मेरी 

चाची ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसको सहलाते हुए बोली- तूने मुझे फिर से जवान कर दिया है कुंदन
मैने एक ऊँगली चाची की चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा उसने अपनी आँखे बंद कर ली ऊँगली करते करते मैं एक बार फिर से उसके होंठो को भी चूमने लगा जल्दी ही उसकी चूत रस छोड़ने लगी तो मैंने उंगली बाहर निकाल ली और ऊठ कर रसोई से सरसो का तेल एक कटोरी में भर लाया 
चाची- ये सब बाद में करियो जो आग मेरी चूत में अभी लगाई है पहले इसको बुझा दे 
मैं-आजकल तुम्हारी आग ज्यादा भड़क रही है 
चाची- भड़काई भी तूने ही है
मैं समझ गया था कि ये एक बार फिर से मेरा लण्ड चूत में लेना चाहती है पर आज मुझे उसकी गांड मारनी ही थी तो मैंने चाची को घोड़ी बना दिया और एक बार फिर से उसका कातिलाना पिछवाड़ा मेरी आँखों के सामने आ गया उसकी गांड सच में इस कदर मस्त थी की मैं बस उसके चूतड़ देखते ही पागल हो जाता था 
चाची- अब कितना तड़पायेगा मुझे कर ना 
मैंने पास रखी कटोरी में अपनी उंगलिया डुबोई और अपना लण्ड चूत में ठेल दिया कुछ धक्के लगाने के बाद मैंने अपनी रफ़्तार कम की और अपनी तेल से तर ऊँगली को उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगा जल्दी ही मेरी ऊँगली का कुछ हिस्सा चंदा चाची की गांड में सरक गया 
चाची- आह कुंदन तू नहीं मानेगा ना मैंने कहा न मैं झड़ जाऊ फिर तू पीछे कर लेना 
मैं-इतना इंतज़ार अब नहीं होगा चाची और तुम तो मजा लो दोनों छेदों में कुछ न कुछ है 
चाची अपनी गांड हिलाते हुए-जितना तड़पाना है तड़पा ले पर मेरी बारी भी आएगी 
मैं-नाराज क्यों होती है जानेमन ले पहले तेरी चूत की आग ही बुझाता हु
मैंने उसकी गांड से ऊँगली बाहर निकाल ली और उसकी कमर में हाथ डालते हुए उसे थोडा सा और झुकाया और चोदने लगा उस मस्तानी रांड को मस्ती भरी आहे कमरे में फिर से गूंजने लगी थी मैं बार बार उसकी नंगी पीठ को चूमता हुआ उसको जन्नत की सैर करवा रहा था और वो भी अपने जोबन का भरपूर मजा मुझ पर लुटा रही थी 
उसकी चूत एक बार फिर से रस टपकाने लगी थी जिस से लण्ड और जोश में भर गया था पर मैं झड़ना नहीं चाहता था इसलिये मैंने अपनी रफ़्तार पर काबू बनाया हुआ था मुझे बस उसके झड़ने का इंतज़ार था करीब दस बारह मिनट तक मैंने उसको घोड़ी बनाकर ही पेला और उसी अवस्था में वो झड़ गयी
वो बिस्तर पर औंधी गिर गयी मैंने कटोरी से थोड़ा तेल लिया और उसकी गांड के छेद पर टपकाने लगा उफ्फ्फ कितना मस्त नजारा था वो उसके भूरे छेद की सुंदरता को तेल की चमक ने और मस्त बना दिया था मैंने ऊँगली पे दवाब डालना शुरू किया तो वो गांड के छेद को फैलाते हुए अंदर जाने लगी 
"आह दर्द होता है "चाची बोली 

मैं- मेरे लिए थोड़ा दर्द सहले मेरी जान
मैं खुद भी नहीं चाहता था कि उसको ज्यादा तकलीफ हो मैं बस प्यार से उसकी गांड मारना चाहता था मैंने थोड़ा तेल और लगाया और फिर आहिस्ता से अपनी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा तो चाची ने भी अपने चूतड़ ढीले कर लिए जो एक इशारा था कि वो भी मन से अपनी गांड मरवाना चाहती है
धीरे धीरे मैंने दो उंगलिया सरका दी तेल की चिकनाई ने मेरे काम को आसान कर दिया था गांड का छल्ला कुछ हद तक खुल गया था करीब 5 मिनट तक बस मैं उंगलियो से काम चलाता रहा फिर मैंने ढेर सारा तेल अपने पूरे लण्ड पर भी लगाया और उसे एक दम चिकना कर लिया मैंने चाची को चूतड़ खोलने को कहा तो उसने अपने हाथों से दोनों पुट्ठों को फैलाया 
मेरी मंजिल मेरी आँखों के सामने थी मैंने अपनी पोजीशन बनायीं और अपने लण्ड को गांड पे रख दिया 
चाची- आराम से करियो 
मैं-घबरा मत 
मैंने लण्ड का दवाब डालना शुरू किया तो सुपाड़ा उस बेहद टाइट छेद को खोलते हुए आगे सरकने लगा और चन्दा रानी की तकलीफ बढ़ने लगी 
मैं-दर्द हो रहा क्या 
वो-सह लुंगी तेरे लिए तेरी खुशि में ही मेरी ख़ुशी है 
मैने हल्का सा झटका दिया और सुपाड़ा लगभग पूरा गांड में घुस गया 
"आयी आयी आयी" चाची अपनी चीख़ न रोक पायी 
मैं- बस गया गया 
वो- बहुत दर्द हो रहा है 
मैं- थोड़ा दर्द तो सहन कर ले फिर मजा ही आज चाची चूतड़ ढीले छोड़ भीच मत इनको चाची की आँखों में आंसू आ गए थे पर मैंने धीरे धीरे करके पूरा लण्ड अंदर पेल दिया और उसके ऊपर लेट गया 
मैं- घुस गया पूरा 
वो-पूरा
मैं-हां बस अब बहुत आराम से करूँगा चाची तूने आज बहुत खुश कर दिया मेरी जान 
चाची अपनी तारीफ सुनकर दर्द में भी मुस्कुराने लगी और मैंने थोड़ा थोड़ा करके धक्के लगाने लगा बीच बीच में मैं उसके गालो पे पप्पी लेता कुछ देर बाद उसके बदन में भी मस्ती आने लगी तो मैंने धक्के तेज कर दिए और चाची की दर्द भरी आहे भी तेज हो गयी 
गांड लण्ड की मोटाई के हिसाब से चौड़ी हो चुकी थी कभी मैं धक्के तेज करता तो कभी हौले हौले चाची भी अब गांड मरायी का आनंद ले रही थी कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड बाहर खींच लिया और चाची को सीधी लिटा दिया 
वो सोची चूत में डालेगा पर मैंने अपने सुपाड़े पर और तेल लगाया और उसकी गांड से लण्ड लगा दिया इस बार मैंने कुछ जोर से झटका लगाया तो उसके पैर ऐंठ गए पर मेरा लण्ड उसकी टाइट गांड में घुस गया था मैंने उसके पैरों को पकड़ा और फिर से उसकी गांड मारने लगा 
आयी आईं सी सी करते हुए वो अपने पिछले छेद में मेरे लण्ड को महसूस कर रही थी उसका बदन मेरे झटको से बुरी तरह हिल रहा था करीब दस मिनट का समय मैंने और लिया और फिर चाची की गांड को अपने वीर्य से सींच दिया
थक कर हम दोनों बिस्तर पर गिर पड़े और फिर नींद के आगोश में चले गए सुबह वापिस आने से पहले हमने एक बार और किया फिर मैं घर आ गया तो देखा घर पे कोई नहीं था सिवाय भाभी के मैं अपने कमरे में चला गया 
कुछ देर बाद भाभी आयी और नाश्ते को मेज पर रखते हुए बोली- नाश्ता करलो रात भर खूब मेहनत की होगी 
भाभी के चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था तो मैंने कुछ नहीं बोला और चुपचाप नाश्ता करने लगा वो पास ही कुर्सी पर बैठ गयी कुछ देर हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला
मैं- सब कहा गए 
भाभी- माँ सा मंदिर गयी है तुम्हारे भाई अपने दोस्तों से मिलने गए है और राणाजी अपने काम से तुम बताओ कैसी कटी रात
मैं-एकदम बढ़िया 
जैसे ही मैंने भाभी को जवाब दिया उन्होंने बर्तन उठाये और मेरी और गुस्से से देखते हुए कमरे से बाहर निकल गयी मैंने कुछ सोचा और उनके पीछे पीछे रसोई की तरफ चल दिया
भाभी बरतन धो रही थी बल्की यू कहु की अपना गुस्सा बर्तनों पर निकाल रही थी मैं समझ गया था की भाभी को कल जो सवाल मैंने पूछे थे उनसे ज्यादा गुस्सा मैंने चाची के साथ रात गुजारी है उस बात का है पर मैं कर भी क्या सकता था मेरी ज़िंदगी में सबकी अहमियत अपनी अपनी जगह थी पर इस बात को कोई समझता नहीं था 

मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और उसको अपनी तरफ किया 

मैं-क्या बात है किस बात का गुस्सा बर्तनों पर उतारा जा रहा है 

वो- मुझे भला किस बात का गुस्सा होगा 

मैं- अब आप मुझसे छुपाओगे 

वो- तुझसे ही सीखा है 

मैं- बताओ न 

वो- क्या बताऊँ अब तू बड़ा जो हो गया इतना बड़ा की भाभी अब क्या लगे तेरी

मैंने अपना हाथ भाभी के होंठो पर रख दिया और बोला- आज के बाद ये दुबारा मत कहना आपकी छाया तले रहा हु और रहूँगा आप ऐसी दिल तोड़ने वाली बात करोगी तो मेरा क्या होगा 

वो- और जो तू रोज मेरा दिल तोड़ता है उसका क्या 

मैं- भाभी आप पहले ये बताओ किस बात से नाराज हो जो सवाल मैंने पूछे उनसे या फिर रात को मैं चाची के साथ था उससे 

वो- कही भी मुह मार मुझे क्या और तेरे सवालो पर बात कल ही खत्म हो चुकी है 

मैं- समझ गया आप को जलन होती है जब मैं चाची के साथ होता हूं 

वो- जलन और मुझे इतनी भी कमजोर नहीं हूं मैं 

मैं- तो फिर क्या नाराजगी 

वो- कुछ नहीं 

भाभी ने अपना हाथ छुड़ाया और फिर से मुड़ने लगी पर मैंने फिर से हाथ पकड़ लिया भाभी ने जोर लगाया तो मैंने भी मजबूती दिखाई और इसी कश्मकश में वो मेरे सीने से आ लगी मेरा हाथ उसकी कमर पर आ गया 

भाभी- छोड़ मुझे 

मैंने पकड़ ढीली कर दी भाभी की चुन्नी थोड़ी सी सरक गयी तो मुझे उनके टाइट माध्यम आकार के संतरे जैसे चुचो का नजारा मिलने लगा उसने भी ढकने की कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखायी 

मैं- भाभी आपकी नाराजगी मुझे दुःखी कर रही है मैं सब सह सकता हु पर आपकी नाराजगी नहीं आपने कहा मैं कुछ नहीं पूछुंगा आपकी इजाजत के बिना घर से बाहर भी नहीं जाऊंगा पर अगर आप नाराज रहोगी तो ।।।।।।।।
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:46 PM

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