Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:46 PM,
#45
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
मैं खुद भी नहीं चाहता था कि उसको ज्यादा तकलीफ हो मैं बस प्यार से उसकी गांड मारना चाहता था मैंने थोड़ा तेल और लगाया और फिर आहिस्ता से अपनी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा तो चाची ने भी अपने चूतड़ ढीले कर लिए जो एक इशारा था कि वो भी मन से अपनी गांड मरवाना चाहती है
धीरे धीरे मैंने दो उंगलिया सरका दी तेल की चिकनाई ने मेरे काम को आसान कर दिया था गांड का छल्ला कुछ हद तक खुल गया था करीब 5 मिनट तक बस मैं उंगलियो से काम चलाता रहा फिर मैंने ढेर सारा तेल अपने पूरे लण्ड पर भी लगाया और उसे एक दम चिकना कर लिया मैंने चाची को चूतड़ खोलने को कहा तो उसने अपने हाथों से दोनों पुट्ठों को फैलाया 
मेरी मंजिल मेरी आँखों के सामने थी मैंने अपनी पोजीशन बनायीं और अपने लण्ड को गांड पे रख दिया 
चाची- आराम से करियो 
मैं-घबरा मत 
मैंने लण्ड का दवाब डालना शुरू किया तो सुपाड़ा उस बेहद टाइट छेद को खोलते हुए आगे सरकने लगा और चन्दा रानी की तकलीफ बढ़ने लगी 
मैं-दर्द हो रहा क्या 
वो-सह लुंगी तेरे लिए तेरी खुशि में ही मेरी ख़ुशी है 
मैने हल्का सा झटका दिया और सुपाड़ा लगभग पूरा गांड में घुस गया 
"आयी आयी आयी" चाची अपनी चीख़ न रोक पायी 
मैं- बस गया गया 
वो- बहुत दर्द हो रहा है 
मैं- थोड़ा दर्द तो सहन कर ले फिर मजा ही आज चाची चूतड़ ढीले छोड़ भीच मत इनको चाची की आँखों में आंसू आ गए थे पर मैंने धीरे धीरे करके पूरा लण्ड अंदर पेल दिया और उसके ऊपर लेट गया 
मैं- घुस गया पूरा 
वो-पूरा
मैं-हां बस अब बहुत आराम से करूँगा चाची तूने आज बहुत खुश कर दिया मेरी जान 
चाची अपनी तारीफ सुनकर दर्द में भी मुस्कुराने लगी और मैंने थोड़ा थोड़ा करके धक्के लगाने लगा बीच बीच में मैं उसके गालो पे पप्पी लेता कुछ देर बाद उसके बदन में भी मस्ती आने लगी तो मैंने धक्के तेज कर दिए और चाची की दर्द भरी आहे भी तेज हो गयी 
गांड लण्ड की मोटाई के हिसाब से चौड़ी हो चुकी थी कभी मैं धक्के तेज करता तो कभी हौले हौले चाची भी अब गांड मरायी का आनंद ले रही थी कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड बाहर खींच लिया और चाची को सीधी लिटा दिया 
वो सोची चूत में डालेगा पर मैंने अपने सुपाड़े पर और तेल लगाया और उसकी गांड से लण्ड लगा दिया इस बार मैंने कुछ जोर से झटका लगाया तो उसके पैर ऐंठ गए पर मेरा लण्ड उसकी टाइट गांड में घुस गया था मैंने उसके पैरों को पकड़ा और फिर से उसकी गांड मारने लगा 
आयी आईं सी सी करते हुए वो अपने पिछले छेद में मेरे लण्ड को महसूस कर रही थी उसका बदन मेरे झटको से बुरी तरह हिल रहा था करीब दस मिनट का समय मैंने और लिया और फिर चाची की गांड को अपने वीर्य से सींच दिया
थक कर हम दोनों बिस्तर पर गिर पड़े और फिर नींद के आगोश में चले गए सुबह वापिस आने से पहले हमने एक बार और किया फिर मैं घर आ गया तो देखा घर पे कोई नहीं था सिवाय भाभी के मैं अपने कमरे में चला गया 
कुछ देर बाद भाभी आयी और नाश्ते को मेज पर रखते हुए बोली- नाश्ता करलो रात भर खूब मेहनत की होगी 
भाभी के चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था तो मैंने कुछ नहीं बोला और चुपचाप नाश्ता करने लगा वो पास ही कुर्सी पर बैठ गयी कुछ देर हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला
मैं- सब कहा गए 
भाभी- माँ सा मंदिर गयी है तुम्हारे भाई अपने दोस्तों से मिलने गए है और राणाजी अपने काम से तुम बताओ कैसी कटी रात
मैं-एकदम बढ़िया 
जैसे ही मैंने भाभी को जवाब दिया उन्होंने बर्तन उठाये और मेरी और गुस्से से देखते हुए कमरे से बाहर निकल गयी मैंने कुछ सोचा और उनके पीछे पीछे रसोई की तरफ चल दिया
भाभी बरतन धो रही थी बल्की यू कहु की अपना गुस्सा बर्तनों पर निकाल रही थी मैं समझ गया था की भाभी को कल जो सवाल मैंने पूछे थे उनसे ज्यादा गुस्सा मैंने चाची के साथ रात गुजारी है उस बात का है पर मैं कर भी क्या सकता था मेरी ज़िंदगी में सबकी अहमियत अपनी अपनी जगह थी पर इस बात को कोई समझता नहीं था 

मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और उसको अपनी तरफ किया 

मैं-क्या बात है किस बात का गुस्सा बर्तनों पर उतारा जा रहा है 

वो- मुझे भला किस बात का गुस्सा होगा 

मैं- अब आप मुझसे छुपाओगे 

वो- तुझसे ही सीखा है 

मैं- बताओ न 

वो- क्या बताऊँ अब तू बड़ा जो हो गया इतना बड़ा की भाभी अब क्या लगे तेरी

मैंने अपना हाथ भाभी के होंठो पर रख दिया और बोला- आज के बाद ये दुबारा मत कहना आपकी छाया तले रहा हु और रहूँगा आप ऐसी दिल तोड़ने वाली बात करोगी तो मेरा क्या होगा 

वो- और जो तू रोज मेरा दिल तोड़ता है उसका क्या 

मैं- भाभी आप पहले ये बताओ किस बात से नाराज हो जो सवाल मैंने पूछे उनसे या फिर रात को मैं चाची के साथ था उससे 

वो- कही भी मुह मार मुझे क्या और तेरे सवालो पर बात कल ही खत्म हो चुकी है 

मैं- समझ गया आप को जलन होती है जब मैं चाची के साथ होता हूं 

वो- जलन और मुझे इतनी भी कमजोर नहीं हूं मैं 

मैं- तो फिर क्या नाराजगी 

वो- कुछ नहीं 

भाभी ने अपना हाथ छुड़ाया और फिर से मुड़ने लगी पर मैंने फिर से हाथ पकड़ लिया भाभी ने जोर लगाया तो मैंने भी मजबूती दिखाई और इसी कश्मकश में वो मेरे सीने से आ लगी मेरा हाथ उसकी कमर पर आ गया 

भाभी- छोड़ मुझे 

मैंने पकड़ ढीली कर दी भाभी की चुन्नी थोड़ी सी सरक गयी तो मुझे उनके टाइट माध्यम आकार के संतरे जैसे चुचो का नजारा मिलने लगा उसने भी ढकने की कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखायी 

मैं- भाभी आपकी नाराजगी मुझे दुःखी कर रही है मैं सब सह सकता हु पर आपकी नाराजगी नहीं आपने कहा मैं कुछ नहीं पूछुंगा आपकी इजाजत के बिना घर से बाहर भी नहीं जाऊंगा पर अगर आप नाराज रहोगी तो ।।।।।।।।

भाभी ने मुझे जाने को कहा तो मैं वहाँ से आकर धुप मे बैठ गया कुछ देर बाद भाभी भी पास आकर बैठ गयी और बोली- सबको इतने वचन देते फिरते हो भाभी को कुछ दोगे

मैं- सबकुछ तो आपका ही है भाभी और जो आपका है तो उसे मांगना क्या 

वो- सच में 

मैं- कोई संदेह 

वो- तो फिर ठीक है अगर मेरा इतना ही मान है तो तुम्हे चाची के साथ अपने इस अवैध संबंध को खत्म करना पड़ेगा 

मैं- वाह भाभी माँगा तो क्या माँगा कुछ भी नहीं अगर आपकी यही इच्छा है तो ये ही सही जब तक आप खुद अपने मुह से चाची के पास जाने को नहीं कहेंगी मैं उसे हाथ भी नहीं लगाऊंगा मेरे लिए भाभी सबसे पहले है दुनिया बाद में 

वो- कुंदन मैं बस इतना चाहती हु की तुम इन सब से दूर रहो ये सब तुम्हारे लिए ठीक नहीं है माना की आजकल तुम्हारा रुतबा बहुत बढ़ गया है पर फिर भी हम चाहते है की तुम सम्भल कर रहो ये हवस की आग दिन दिन बढ़ती जाती है और कुछ हासिल नहीं होता सिवाय जलने के रही बात जयसिंह गढ़ की तो उसमें दिलचस्पी मत लो कुछ राज़ ऐसे होते है क़ी कुछ नहीं मिलता तुम्हारे सामने नयी ज़िन्दगी पड़ी है गुजरे वक़्त की धूल ना झाड़ो

मैं- जैसा आप कहे 

वो मुस्कुराई और बोली- तो बताओ कल क्या क्या किया तुमने 

मैं- आपको नहीं पता क्या क्या होता है 

वो- उफ्फ्फ तुम्हारी ये हाज़िर जवाबी जब भी चाची को देखती हूं मैं सोचती हूं कैसे ये औरत अपने बेटे के साथ ।।।।। पर मुझे ये भी लगता है की एक बार तो तुमको उसके साथ देखना चाहिए था 

मैं- क्या क्या सोचती हो 

वो- तुम कर सकते हो हम सोच भी न सके 

मैं- आपके दिल में आखिर चल क्या रहा है भाभी 

वो- काश तुम्हे बता पाती खैर हम तुमपर से तमाम पाबंदिया हटाते है तुम जहा जाना चाहो जा सकते हो 

मैं- एक दिन मे क्या हो गया सरकार

वो- कल हम गुस्से में थे पर फिर हमने सोचा और हम जानते है कि तुम चाहे जो करो पर हमारे विश्वास को ठेस नहीं पहुँचोगे 

मैं- भाभी एक बात कहु 

वो- हाँ 

मैं- गले लगाओगी एक बार 

भाभी उठी और अपनी बाहे फैलाते हुए मुझे अपने सीने से लगा लिया मुझे तो पता भी न चला की कब हौले से उन्होंने मेरे गाल पर चुम लिया हमे तो कुछ समझ ही नहीं आया उसके बाद भाभी नीचे को जाने लगी पर जाते जाते सीढ़ियों पर रुकी और फिर मेरी और देखते हुए चली गयी
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