Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:36 PM,
#35
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
मैं- और भाई क्या हालचाल 

वो – बढ़िया आप बताओ ठाकुर साहब 

मैं- यार तू भी 

वो- तो क्या कहे 

मैं- कुंदन बोल भाई और एक नयी कैसेट भर 

वो- हां, अभी लो आज फ्री ही हु वैसे आपकी वो आयत आई थी आज 

मैं- कब 

वो- घंटे भर पहले ही गयी है 

मैं- तो यार बताना था ना 

वो- कितनी बार तो बताया पर आप है की टाइम पर आते ही नहीं 

मैं- भाई एक से एक पंगा तैयार रहता बस उलझ ही जाता हु कभी कुछ कुछ होता है साला खुद के लिए समय निकालना भारी हो रहा है अब तबियत कुछ ठीक नहीं तो वैसे 

वो- वैसे बवाल तगड़ा काट दिया आपने 

मैं- अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही हो गया 

वो- हम सुने कोई लड़की वडकी का पंगा हुआ आपके और अंगार के बीच 

मैं- कौन बोला तेरे को 

वो- बस आजकल आपके ही चर्चे है चारो और तो आ गयी खबर 

मैं- झूटी खबरों पे ध्यान ना दिया कर 

वो- खैर, बताओ कौन कौन से गाने भरे 

मैं- जो आयत ले गयी वो ही भर दे 

उसने मुस्कुराते हुए गाने भरने चालु किये मैं बाहर आके बैठ गया हलवाई की दुकान पर एक चाय ली और चुसकिया लेते हुए बस आयत के बारे में ही सोचने लगा वैसे तो हमको यकीन था की छजे वाली का ही नाम आयत है पर बस कन्फर्म हो जाता तो बेहतर रहता क्योंकि इक तो उससे मुलाकात बहुत कम हो रही थी और हुई भी तो ज्यादा कुछ बात ना हुई 

पर जब भी आयत के बारे में सोचता तो पूजा मेरे दिल दिमाग पर हावी होने लगती मर ध्यान आयात से हट कर पूजा पर ही चला जाता और मैं फिर खोने लगता उसके अहसास में बड़ी विचित्र सी स्तिथि उत्पन्न हो रही थी और हम भी समझ रहे थे की कभी ना कभी ये दो नावो की सवारी महंगी पड़ेगी हमे 

पर हमारा नाजुक दिल कहा किसी की सुनता था वो तो बस वो ही करता था जो उसको करना होता था खैर एक बार जो घर स निकले तो फिर रात को ही गए वापिस जब मैं घर आया तो बिजली गुल थी और मोसम बरसात का हो रहा था ये सावन भी न इस धरती पर नहीं ये मुझ पर बरस रहा था इस बार 

अपने आप में इस कदर खोया हुआ था की भाभी कब कमरे में आई कुछ पता नहीं चला होश जब आया जब उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा
भाभी- कहा खोये हुए हो देवर जी 

मैं- अरे भाभी आप 

वो-हां, मैं पर किसी और को होना चाहिए था क्या 

मैं- नहीं आप भी पता नहीं क्या क्या बोलती हो 

वो- सोचा यहाँ ही बिस्तर लगा लू 

मैं- सारा घर आपका है जहा जी करे लगा लो 

वो- इस बार बरसात बहुत ज्यादा पड़ रही है ना 

मैं- हां, 

वो- जानते हो ये बारिश की बुँदे भी अपनी कहानी सुनाती है 

मैं- और क्या कहती है ये 

वो- ये तो समझने वाले पे है 

मैं- तो आपको क्या कहती है ये 

वो- कुछ नहीं 

मैं- बढ़िया 

भाभी मुस्कुराई 

मैं- और बताओ 

वो- क्या बताये हम बाते तो तुम्हारे पास है 

मैं- अजी हम तो झोंके हवा के से हो रहे है अब कुछ होश ना कुछ खबर अपने से बेगाने होने लगे है 

भाभी- इश्क में जो पड़ गए हो 

मैं- नहीं भाभी मुझे ऐसा नहीं लगता है इश्क बुरी बीमारी और फिर मैं इस काबिल कहा 

वो- इश्क हो तो काबिल अपने आप कर देता है 

मैं- भाभी इश्क मुझे अपनाये इस काबिल नहीं मैं 

वो- जुबान झूठ बोलती है पर आँखे कुछ और बयां करती है 

मैं- अभी कैसे कहू मैं 

वो- देर ना करना ,वर्ना फिर सारी उम्र मलाल रहेगा 

मैं- किस बात का 

वो- तुम जानो 

मैं- क्या जानू क्या समझू 

वो- बस महसूस करो इश्क अपनी मोजुदगी खुद बता देगा 

मैं- इश्क हमारे जैसो के लिए कहा सबसे पहले राणाजी ही काट डालेंगे 

वो- ये तो इश्क करने से पहले सोचना था और इश्क सच्चा होगा तो पर पा जाओगे 

मैं- छोड़ो ना इन बातो को भाभी और कुछ बाते करो 

वो- क्या बात करू कुछ भी तो नहीं मेरे पास कहने को 

मैंने रेडियो चालू किया कुछ गाने बजने लगे लैंप की रौशनी में एक दुसरे के आमने-सामने बैठे हुए हम दोनों बस एक दुसरे को ही देख रहे थे जैसे कहना तो बहुत कुछ चाहते थे पर पता नहीं वो कौन सी बात थी जो होंठो तक आकार रुक जाती थी 


लैंप की लौ में भाभी का गोरा चेहरा किसी खरे सोने की तरह दमक रहा था चेहरे को उनके बाल हलके हलके जैसे चूम रहे थे उनके गाल पर जो काला तिल था बस एक नजर में ही किसी को भी बेक़रार कर जाये भाभी जब मुस्कुराती थी तो उनके मोतियों से दांत उनके सुतवा होंठ खूबसूरती की जीती जागती मिसाल थी वो पता नहीं कब मैं उन्हें निहारने में इतना खो गया 

भाभी- अब ऐसे भी मत देखो देवर जी की नजरो से ही ............................. उन्होंने अपनी बात अधूरी छोड़ दी 

मैं- कुछ नहीं भाभी वो .....

वो- वो क्या 

मैं- कुछ नहीं 

वो- सब समझती हु मैं 

मैं –समझती ही तो नहीं हो भाभी समझती तो ऐसी बात ना करती 

वो- तो कैसी बाते करू तुम ही बता दो 

मैं- जाने दो , सो जाओ रात बहुत हुई 

वो- हाँ रात बहुत हुई पर तुम्हारी आँखों में नींद नहीं 

मैं- अब नींद है भाभी आये आये ना आये 

वो- अक्सर इस हाल में नींदे उड़ जाया करती है 

मैं- किस हाल में भाभी 

वो- जो अभी तुम्हारा है 

मैं- बस यही तो कसमकश है भाभी की पता नहीं ये क्या हो रहा है पल पल ऐसा लगता है की जैसे सब कुछ बदल सा गया है 

वो- सब नहीं बस तुम बदल गए हो जैसा मैं पहले कहा इश्क हो गया है तुमको चाहे तुम मानो या ना मानो 

मैं- इश्क पर किससे बस यही उलझन है भाभी 

वो- दो चार है क्या 

मैं- पता नहीं पर इतना जरुर जानता हु की जैसे कई टुकड़े हो गए है मेरे जैसे बिखर कर रह गया हु मैं 

वो- ये भटकाव अच्छा नहीं इश्क बुरी बला होती है लग जाये तो आसानी से पीछा नहीं छूटता हम तुम्हे मना तो नहीं कर सकते पर इतना जरुर कहेंगे की प्रीत का स्वाद जो चखा जुबान ने फिर बेगाने हुए जग से समझो अब भाभी तुम्हे क्या समझाए आखिर हमारी हदे बस इस चारदीवारी तक ही तो है पर फिर भी हम थोड़े उत्सुक है अपने देवर की प्रेम कहानी को महसूस करने के लिए 

मैं- प्रेम बस किस्से कहानियो में होता है भाभी 

वो- तो क्या तुम्हरे लिए भी बस ये जिस्मो का खेल है 

मैं- भाभी मेरे लिए जिस्मो का कोई मोल नहीं न ही सूरत का बस दिल धड़क सा जाता है अपने आप 

वो- तो बताओ जरा कैसी है वो 

मैं- आप पूछ कर ही मानेंगी ना 

वो- इतना तो हक़ है हमारा 

मैं- उस से कही ज्यादा पर मैं फिर से दोहराऊंगा की मेरे पास कुछ भी नहीं बताने को फ़िलहाल तो पर जब भी कुछ होगा ये वादा है की सबसे पहले सिर्फ आपको ही बताऊंगा 

वो- हमे इंतजार रहेगा खैर, सो जाओ अब 

मैं- आप सो जाइये मुझे अभी नींद नहीं आ रही 

वो- तो मैं भी जागती हु फिर 

मैं- आपकी मर्ज़ी 

व्- एक बात कहे 

मैं- जी 

वो- चाची और तुम में ये सब कैसे शुरू हुआ 

मैं- पता नहीं 

वो- अब इतना भी शर्माना बता भी दो 

मैं- बस हो गया अपने आप 

वो- अपने आप कुछ नहीं होता कही ना कही से तो शुरू हुआ ही होगा कोई तो बात 

मैं- भाभी अब क्या नंगा ही करोगी झूठा सा पर्दा तो रहने दो ना 

वो- अच्छा ठीक है नहीं पूछती अब खुश 

मैं- आप बताओ कुछ 

वो- मैं क्या बताऊ 

मैं- कुछ भी 

वो- मेरी तो इतनी ही जिंदगी है कुछ पीहर में कट गयी कुछ यहाँ इन चार दीवारियो में कट रही है एक औरत की बस यही कहानी यही फ़साना है इसके सिवा कुछ नहीं 

मैं- समझता हु भाई फौज में है तो आपको अक्सर उनके बिना ही रहना पड़ता है पर तीन बरस और उनके पन्द्रह हो जायेंगे फिर वो हमेशा के लिए आपके साथ ही तो होंगे 

वो- वो तो है पर कुछ बाते और भी होती है जीवन में जो तुम अभी नहीं समझोगे 

मैं- बताओगी तो समझ लूँगा 

वो- मुझे नींद आ रही है चलो अब सोने दो 
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:36 PM

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