Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:35 PM,
#28
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
मेरा तो दिमाग ही घूम गया ये सुनकर आँखों से दो बूंद पानी निकल कर कब निचे गिर गया पता ही नहीं चला मैं वहा से बाहर आकर बैठ गया और खुद को कोसने लगा ये जो भी हो रहा था इसका जिम्मेदार मैं ही तो था इस मोड़ पर मुझे अपनों का ही तो साथ सबसे जरुरी था और अपने ही इस हाल में थे मेरी वजह से तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा मैंने देखा भाभी थी 

वो- नाश्ता लगा दू 

मैं- नहीं भाभी 

वो- क्या हुआ दुःख हो रहा है पहले कभी सोचा नहीं ना पर कोई बात नहीं जिंदगी में कभी ना कभी तो ये सब सीखना ही था 

मैं- ताना मत मारो भाभी 

वो- ताना नहीं मार रही सचाई बता रही हु अगर अपनी नजरो से ठाकुर होने के अहंकार का चश्मा हटा कर देखोगे तो तुम्हे एक बुढा बाप एक लाचार माँ जो बिस्तर पर पड़ी है और के आधी विधवा भाभी दिखेगी, ऐसे क्या देख रहे हो फौजी की घरवाली आधी विधवा ही हो होती है और ऊपर से ठाकुरों की बहु 

भाभी की वो हंसी- मेरे कलेजे पर चोट कर गयी 

वो- कुंदन तुम्हारे भाई जब भी यहाँ से अपनी ड्यूटी पर जाते है हमेशा मुझ से कह कर जाते है की इसका ध्यान रखना भाभी बन कर नहीं इसकी मा बनकर इसे देवर नहीं बेटा समझना मेरा भाई थोडा कम अकाल है नादाँ है पर दिल का साफ है और तुमने भी मुझे हमेशा भाभी नहीं भाभी माँ समझा छोटी से छोटी बात बताई पर कुंदन कभी कभी हमसे कुछ ऐसा हो जाता है की वो सबकी जिंदगी पर असर डालता है 

मैं- भाभी आपकी हर बात आपका हर उलाहना सर माथे पर पर मैं मजबूर हु ऐसा नहीं की ये सब मैंने किसी दवाब में चुना है पर शायद यही नियति चाहती थी मैं भी अन्दर ही अंदर घुट रहा हु जब मैंने राणाजी के कांपते हाथो को देखा जब आपके दिल की कांपती धडकनों को सुना पर भाभी अगर मैं ठाकुर कुंदन नहीं होता तो भी मैं ये ही करता 

भाभी- मैं जानती हु और अब तू मेरी सुन जिसके लिए तू ये कर रहा है मैं उस से मिलना चाहती हु 

मैं- भाभी आप बात को घुमा फिरा कर यही क्यों ले आती है 

वो- क्योकी मैं देखना चाहती हु की वो कौन है जिसने तुम्हे इतना बदल दिया है हम भी तो देखे की किसका जादू तुम पर इतना चढ़ गया है
भाभी- आप समझती क्यों नहीं 

वो- तुम समझाते भी तो नहीं हो मेरी बात पर गौर करो वर्ना जिस दिन ठकुराईन जसप्रीत का हुकम होगा टाल ना पाओगे ध्यान रखना 

भाभी अपनी बात कह कर चल पड़ी और एक बार फिर से मेरी निगाह उसकी गांड पर जम गयी उसके बाद मैं चाची के पास गया 

मैं- कुवे पर चलोगी आज 

वो- नहीं 

मैं- तो यहाँ ही करोगी 

वो- कुंदन मेरी बात सुन तुझे एक बहुत बड़ी चुनौती को पार करना है तू अपनी उर्जा इस खेल में मत बर्बाद कर ना मैं कही भागी जा रही हु जिस दिन तू जितके आएगा पूरी रात तेरी मनचाही करुँगी जो वादा मैंने कल किया था खुद को तेरी बाहों में छोड़ दूंगी पर अभी तू बस इसी बात पे ध्यान रख राणाजी से बात कर उनसे सीख की कैसे तू पार पा सके वहा पर 

मैं- एक बार तो दे दो 

वो- तेरी यही बात बहुत बुरी लगती है तू हर बात को बस मजाक में उडा देता है मैं क्या तेरी दुश्मन हु क्या तू मेरा कुछ नहीं लगता अब तू सुन राणाजी के पास जा और मदद मांग अमावस की रात को समय ही कितना बचा है तयारी कर मेरा इतना तो मान रखेगा गा ना या नहीं रखेगा 

मैं- ऐसा क्यों सोच लिया चाची आपकी कही हर बात हुकम है मेरे लिए 
कुछ वक़्त चाची के साथ बिताने के बाद मैं वापिस घर आ गया और राणाजी को कहा- हुकुम, चाची ने कहा है की आपसे कुछ मदद लू ताकि मैं वो चुनौती पार कर सकू 

राणाजी- बेटे,अपने मन को मजबूत रखना और माता पे छोड़ देना अगर तुम सच्च हो तो वो तुम्हारा साथ देगी तुम्हारा ध्येय पूरा करेगी यदि तुम चाहते हो की मैं तलवारबाजी में तुम्हारी मदद करू तो बारह साल हो गये इन हाथो ने तलवार नहीं उठाई कोशिश करना की तुम्हरे बाद ये चुनौती और कोई कभी न उठा सके यही तुम्हारी असली जीत होगी अगर तुम्हारा सामर्थ्य सच्चा है तो कुछ ऐसा करना की ये परंपरा ही ख़तम हो सके जो काम तुमहरा ये बाप नहीं कर पाया तुम करना यही आशीर्वाद है यही कामना है 

“ये कोई आम मुकाबला नहीं ये प्रश्न है जीवन और मृत्यु का तो समा-दम-दंड भेद आमने वाला हर पैंतरा चाहे वो सही हो या गलत हो आजमाएगा यहाँ अगर कुछ है तो अपनी साँसों की डोर को समेटे रखना ”

मैं- परन्तु आपने वहा जीत हासिल की थी 

वो- वो मामला अलग था जिसको जानना तुम्हारे लिए आवश्यक नहीं और वैसे भी गड़े मुर्दे नहीं उखाड़ने चाहिए हमने तुम्हरे लिए अलग खुराक का प्रबंध किया है तुम आज से वो ही आहार लेना शुरू करोगे समय कम है परन्तु जितना भी है अभ्यास करो और भरोसा रखो जब वहा जाओगे तो केवल इतना याद रखना की आखिर किस लिए तुमने ये बीड़ा उठाया था क्या है तुम्हारा लक्ष्य, अपने लक्ष्य को आँखों के सामने रखना 

बड़ी देर मैं उनके साथ ही रहा फिर आकर अपने कमरे में बैठ गया सोचा डेक चला लू पर फिर जाने दिया चाची आज भी मेरे कमरे में ही थी पर दूसरी खाट पर उसकी बात भी सही थी उसने मुझसे ज्यादा दुनिया देखि थी रात को कब नींद आई कुछ पता नहीं चला आँखे खुली तो हलकी हलकी बारिश हो रही थी सोचा बरसात रुकते ही मैं पूजा से मिलने जाऊंगा 

तभी भाभी मेरे कमरे में आ गयी और बोली- तो क्या सोचा तुमने 

मैं- किस बारे में भाभी 

वो- जाने दो तुमसे बात करना ही बेकार है 

मैं- भाभी मुझे अमावस तक का समय उधार दो 

वो- वैसे मुझे किसी और विषय में भी तुमसे कुछ सवाल पूछने है पर चलो वो भी मैं अब अमावस के बाद ही करुँगी 

मैं- आभार आपका 

भाभी ने एक बेहद गहरी नजर मुझ पर डाली और बोली- खाने में क्या बनाऊ तुम्हारे लिए आज 

मैं- राणाजी ने कहा है की उन्होंने मरे लिए खाने का अलग से इंतजाम किया है वैसे भाभी आपको पता है की लाल मंदिर में ऐसा क्या हुआ था की जिसके बाद बापूसा ने कभी फिर तलवार नहीं उठाई 

वो- कुंदन, वो बारह साल पहले की बाते है भला मुझे कुछ कैसे पता होगा हाँ पर इतना जरुर जानती हु की उसके बाद वो कभी लाल मंदिर नहीं गए अगर तुम्हे इसके बारे में पता करना है तो खुद पूछ क्यों नहीं लेते उनसे 

मैं- उन्होंने टाल दिया इस सवाल को 

वो- तो बेहतर है की तुम भी टाल दो वैसे उम्मींद है तुम्हारे भैया आज दोपहर या शाम तक आ जायेंगे तो उनसे पूछना वो जरुर बता देंगे 

मैं- ओह अब समझा तभी चेहरे पर ये नूर और ये मुस्कान है 

वो- थपड लगाऊ क्या 

मैं- चाहे पीट लो पर ख़ुशी टपक रही है चेहरे से 

वो- तंग मत कर कुंदन वर्ना मैं जाती हु 

मैं- अब क्या इतना भी हक़ नहीं 

वो- क्या बोला तूने 

तब मुझे ध्यान आया मैं वो बाते बोल गया जो अक्सर मैं और पूजा करते थे 

मैं- कुछ नहीं भाभी 

वो- चल तू बैठ मैं आती हु 

मैं भी भाभी के पीछे ही निकल लिया थोड़ी देर माँ के पास बैठा उनकी तबियत पहले से बेहतर लग रही थी फिर चाची ने कहा की कुछ सामान लादे तो मैं बनिए की दुकान तक गया गाँव में हर कोइ बस मेरी ही बात कर रहा था लोग घुर रहे थे तो अजीब सा लगा करीब घंटे भर बाद मैं आया और फिर खाना खाके चल दिया पूजा के घर की और जब तक वहा पहुचा बूंदा बंदी भी रुक चुकी थी 
उसके घर पर ताला नहीं लगा था पर वो दिखी नहीं तो मैंने अपना झोला जिसमे मेरे कुछ जोड़ी कपडे थे वहा रखा और इंतजार करने लगा आधा घंटा बीत गया पर वो ना आई तो मैंने सोचा की जमीन पर चलता हु बाद में मिल लूँगा अब उसका क्या पता किस तरफ निकल गयी हो 

साइकिल को जोर जोर से पैडल मारते हुए करीब दस मिनट बाद मैं उस जमीन के टुकड़े पर पंहुचा तो देखा की पूजा वही पर थी घूम रही थी चारो और पता नहीं क्या कर रही थी पर जब मैं उसके पास गया तो मुझे जैस यकीन ही नहीं हुआ
मुझको अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ मैं उसके पास गया और बस उसको अपने गले से लगा लिया और जब तक जी न भरा उसको छोड़ा नहीं 

वो- क्या जान ही लोगे अब छोड़ो ना 

मैं- पूजा पूजा ये कैसे किया 

वो- कहा था न भरोसा रख 

पूजा ने ट्रेक्टर से खेत में गोडी लगवा लगवा के उस काफी समतल करवा दिया था सारी पथरीली परत किनारे पर पड़ी थी मेरा दिल तो किया की चूम ही लू उसको जो किसी फ़रिश्ते की तरह मेरे जीवन में आई थी 

मैं- पूजा ट्रे बिना ये मुमकिन नहीं हो पाता 

वो- मैंने कुछ नहीं किया कुंदन वो कुवे की फिरनी शाम तक लग जाएगी वैसे तू कहा था दो दिन हुए तू आया नहीं 

मैं- कुछ कामो में उलझा था पर आज का दिन पूरा तेरे साथ 

मैंने कहा आ बैठ साइकिल पे 

वो- आगे 

मैं- हाँ आगे 

वो मुस्कुराती हुए आगे डंडे पर बैठ गयी और मैंने पैडल मारा मेरे पैर उसके चूतडो से टकराने लगे पर वो अपनी मस्ती में मस्त थी कभी घंटी बजाती तो कभी बात करती जल्दी ही हम उसके घर थे आज उसने घाघरा- चोली पहना हुआ था जिसमे बहुत ही मस्त लग रही थी वो 

मैं- आज बड़ी सुन्दर लग रही है तू 

वो- आज क्या मुझमे हीरे- मोती लगे दिख रहे है तुझको 

मैं- वो तो पता नहीं बस दिल को लगा तो बोल दिया 

वो- चल छोड़ और सुना नयी ताजा 

मैं- अपने तो वो ही किस्से वो ही फ़साने तू ही छेड़ कोई नया तराना 

वो- मैं कहू अपना हाल भी बस तेरे जैसा ही है बाकि सब तूझे पता तो है तू रुक मैं नाहा के आती हु फिर बाते करेंगे पूरा बदन मिटटी मिटटी हुआ पड़ा है 

मैं- उस दिन नहाना था तो भेज दिया आज नहाना है तो रोक रही है तेरा तू ही जाने 

वो- तू नहीं समझेगा मैं आती हु 

मैं- ठीक है 

वो नहाने चली गयी मैंने घर का मुख्य दरवाजा बंद किया और फिर कमरे में जाके खाट पर लेट गया वैसे भी यहाँ करने को कुछ खास था नहीं तो करीब आधे घंटे बाद वो नाहा कर आई उफ्फ्फ्फ़ क्या लग रही थी किसी क़यामत से कम नहीं उसके गीले बालो और चेहरे से टपकती वो पानी की बुँदे कसम से किसी को भी दीवाना बना दे 

मैं- चली जा पूजा वर्ना मैं होश खो बैठूँगा 

वो- होश उड़ गए क्या 

मैं- उड़ ही गए 

वो- हट गन्दी नजर वाले 

मैं- यार अब आँखे फोड़ लू क्या तारीफ करो तो मारा ना करू तो मर बता क्या करू 

वो- कुछ मत कर तू आती हु 

कुछ देर बाद वो आई और मेरे पास ही बैठ गयी 

मैं- आज सारी बिजलिया मुझ पर ही गिराने का इरादा है क्या 

वो- गिरा दू क्या तू कहे तो 

मैं- देख ले फिर ना कहना 

वो- क्या देखना क्या सुनना कुंदन जो है वो है 

मैं- पूजा दूर हो जा वर्ना मैं खुद पर काबू नहीं रख पाउँगा 

वो- दूर जाना भी कहा तुझसे और पास आना भी तो क्या 

मैं- पूजा 

उसके और मेरे होंठ बिलकुल करीब आ गए थे बस छूने भर की देर थी की वो अलग हो गयी और हस्ते हुए बोली- पागल कही के इतनी जल्दी हाथ नहीं आउंगी 

मैं- जानता हु प्यारी

वो- क्या खायेगा 

मैं- तुझे 

वो- वो तो मुमकिन नहीं 

मैं- तो फिर जाने दे और बता कितना खर्चा हुआ जमीन पे 

वो- रहने दे तेरा मेरा किसने बांटा 

मैं- फिर भी 

वो- बोला ना रहने दे 

मैं- जैसी तेरी मर्ज़ी थोड़ी ठण्ड लग रही है मैं तो सो रहा हु 

वो- मैं भी सोती हु 

मैं- आजा मेरे पास सो जा 

वो- ना दूसरी खाट पे सो जाउंगी 

मैं- बस 

वो- क्या 

मैं- आ जा ना

वो- तेरे इरादे ठीक नहीं लग रहे मुझे आज 

मैं- अपना मानती है तो आजा 

वो- आती हु 
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:35 PM

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