RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
"टूटेगा नहीं, मैं खयाल रखूगा. टूट गया तो गांड फूट जायेगी. फ़िर उस ढीली गांड को मारने में क्या मजा आयेगा?" चाचाजी बोले.
प्रीति जब चिल्ला चिल्ला कर थक गयी और चुप हो गयी तब चाचाजी ने पाक से पूरा सुपाड़ा उसके गुदा के अंदर कर दिया. प्रीति का शरीर जोर से ऐंठ गया और वह बेहोश हो गयी.
"अरे यह तो बेहोश हो गयी. रुकें क्या जब तक ये होश में आती है?" चाचाजी ने पूछा. मैं इतना उत्तेजित था कि बोला. "आप डालिये चाचाजी, अब नहीं रहा जाता. मैं तो इसे चोदने को मरा जा रहा हूँ" ।
चाची ने भी मेरी हां में हां मिलाई. "अब मार लो दोनों मिलकर. समझो रबर की गुड़िया से खेल रहे हो. जब गांड और चूत में एक साथ लंड चलेंगे तो दर्द से खुद होश में आ जायेगी."
चाचाजी फ़िर लंड पेलने लगे. आराम से मजे ले लेकर धीरे धीरे प्रीति की गांड में अपना मूसल उतारने लगे. प्रीति की चूत में धंसे मेरे लंड को उनके लंड का आकार साफ़ महसूस हो रहा था. जैसे वह अंदर घुसता, मेरे लंड को रगड़ता हुआ आगे बढ़ता मानों बीच में कुछ न हो.
आधा लंड अंदर जाने के बाद प्रीति की नन्ही गांड पूरी भर गयी. अंदर के सकरे हिस्से में जब लौड़ा घुसना शुरू हुआ तब बेचारी को बहुत दुखा होगा क्योंकि बेहोशी में भी वह कराहने लगी. आखरी दो इंच तो चाचाजी ने एक धक्के में उसके चूतड़ों के बीच गहरे गाड़ दिये.
कुछ देर वे प्रीति की सकरी गांड का मजा लेते हुए बैठे रहे. "इतना गहरा गया है रानी लगता है पेट में घुस गया है। लड़की के. और थोड़ा लंबा होता तो मुंह से निकल आता."
चाची अब कस कर मुठ्ठ मार रही थीं. "अब चोदो न, बैठे क्यों हो? मैं मरी जा रही हूं इस लड़की की डबल चुदाई देखने को!"
चाचाजी पूरे प्रीति पर लेट गये. उनका मुंह मेरे मुंह पर था. मैंने प्रीति का मुंह छोड़ा और उसका सिर नीचे किया. अब प्रीति का सिर हम दोनों की छाती के बीच दबा हुआ था. चाचाजी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मुझे चूमते हुए प्रीति की गांड मारने लगे. मैं नीचे से अपने चूतड़ उचका उचका कर उसे चोदने लगा.
उस षोडषी हमने पूरे दो घंटे भोगा. इन दो घंटों में हम तीन बार झड़े. पहली बार तो आधा घंटा लगातार कस कर मसल मसल कर हचक हचक कर उसे चोदा. कभी मैं ऊपर होता कभी चाचाजी. प्रीति अब बिलकुल निस्तब्ध थी. जब बीच में ज्यादा कसकर धक्के लगते तो बेहोशी में ही बिलखने लगती.
पहले बार झड़ने के बाद हमने अपने लंड बाहर खींचे और एक दूसरे के लंड चूस डाले. चाची प्रीति की चूत और गांड पर टूट पड़ी, सारा वीर्य चूस चूस कर पी गयी. दूसरी बार मैंने प्रीति की गांड मारी और चाचाजी ने चूत चोदी. बाद में एक बार और चाचाजी ने उसकी गांड मारी. ।
प्रीति को जब हमने छोड़ा तो वह किसी ऐसी गुड़िया जैसी लग रही थी जिसे शैतान बच्चों ने खेल खेल कर दुर्गति बना दी हो. चाचाजी का मन अभी भी नहीं भरा था. बोले "यार, अब इसका मुंह चोदूंगा."
"अरे पर यह तो बेहोश है, इसे क्या मजा आयेगा?" चाची बोलीं. अब मैं उन्हें चोद रहा था. अब भी मैं ब्रा और पेंटी ही पहना था इसलिये ऐसा लग रहा था जैसे एक औरत दूसरी पर चढ़ कर उसे चोद रही हो. ।
"कोई बात नहीं, कल जब जगी होगी तो फ़िर इसे लंड चुसवाऊंगा. पर आज इसके तीनों छेद मुझे चोदने हैं, बुर और गांड तो हो गयी, अब मुंह बचा है." कहते हुए चाचाजी ने उस बेहोश बालिका का मुंह खोला और अपना झड़ा लंड उसके मुंह में डाल दिया. फ़िर कस कर उसका सिर अपने पेट पर दबाये उलटे लेट गये और मुझसे चूमा चाटी करने लगे.
जल्द ही उनका लंड झड़ा हुआ और गहरा प्रीति के गले में उतर गया. मैं जानता था कि इसमें कैसी हालत होती है। इसलिये बड़े गौर से देख रहा था. प्रीति का दम घुटने से वह बेहोशी में ही गोंगियाने लगी. "पेट तक उतर गया है। सीधा. अब अपने मलाई सीधे इसके पेट में डाल देता हूं, कुछ आहार तो मिलेगा बेचारी को." कहकर चाचाजी उसपर चढ़ कर अपनी जांघों में उसका सिर फुटबाल की तरह दबाकर चोदने लगे.
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