RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
प्रीति दर्द से हाथ पैर पटकने लगी. उसके दबे मुंह से सीत्कार निकल रहे थे. वह ऐसे तड़प रही थी कि मानो पानी के बाहर निकाली मछली हो. उस छोकरी के छटपटाने में भी ऐसा मादकपन था कि चाची भी गरम हो उठीं. मैंने झुक कर चाची को चूम लिया और उनकी चूचियां दबाते हुए प्रीति के शांत होने का इंतजार करने लगा.
"रुक क्यों गया? डाल दे पूरा अंदर" चाची ने कहा.
"ऐसे नहीं चाची, एक बार अंदर जायेगा, तो दर्द कम हो जायेगा. फ़िर क्या मजा आयेगा? अभी देख कैसी पुकपुका रही है इसकी गांड! मैं तो धीरे धीरे डालूंगा. ऐसे ही तड़पा तड़पा कर मारूंगा. पूरा मजा लूंगा." मैंने कहा. चाची हंसने लगीं. "बड़ा दुष्ट है रे तू"
कुछ देर बाद मैंने लंड धीरे धीरे प्रीति की गांड के अंदर घुसेड़ना शुरू किया. कस कर फंसा होने के बाद भी मक्खन के कारण लंड फ़िसल कर प्रीति के चूतड़ों की गहराई में इंच इंच कर जा रहा था. वह जब छटपटाती तो मैं रुक जाता. थोड़ा लंड बाहर खींचता और फ़िर अंदर कर देता जिससे वह फ़िर हाथ पैर पटकने लगती. उसकी आंखों से गंगा जमुना की धारा बह रही थी. बीच बीच में झुक कर मैं उसके गाल चूम लेता. उन खारे आंसुओं से मेरा लंड और तन्ना जाता.
आखिर मुझसे न रहा गया. खेल खतम करके मैंने जड़ तक लंड खोंस दिया. वह ऐसे उचकी जैसे किसी ने गला दबा दिया हो. मैं उसके कोमल बदन के ऊपर सो गया और हाथ उसके शरीर के इर्द गिर्द जकड़ लिये. झुककर देखा तो उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे और बड़ी दयनीय भावना से वह मेरी ओर देख रही थी. मुझे थोड़ी दया आई पर बहुत मजा भी आया. अपनी गांड पहली बार कैसे मरायी यह उस चुदैल कन्या को हमेशा याद रहेगा ऐसा मैंने मन ही मन सोचा.
पांच मिनट बाद मैंने चाची को कहा कि हाथ अपनी भांजी के मुंह से हटा लें, अब वह नहीं चीखेगी. चाची के हाथ हटाते ही वह सिसक सिसक कर रोने लगी. "मौसी, मैं लुट गई, लगता है गांड फ़ट गई, इतना दर्द हो रहा है जैसे किसी ने पूरा हाथ घूसा बनाकर डाल दिया हो. खून बह रहा होगा, जरा देखो ना. मौसी अनिल भैया से कहो ना मुझे छोड़ दे, अपना लंड निकाल ले नहीं तो मैं मर जाऊंगी."
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