RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
चाची बोलीं. "मारने दे उसे. आखिर इतने दिन से हमारे साथ मजा कर रहा है, हमारा हर तरह से मन बहलाता है, तेरा मूत भी पीता है, फ़िर गांड मारना चाहता है तो क्या हर्ज है? मार तू लल्ला, इसके रोने पर मत जा."
सहायता की गुहार करती प्रीति उलटी डांट पड़ने से सकते में आ गयी और डर के मारे खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए रोने लगी. जब छूटने की सब कोशिशें बेकार हुईं तो सिसकते हुए लस्त पड़ गई. तब तक मैने उसकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ना शुरू कर दिया था. एक ही उंगली अंदर जा रही थी. मैंने दो उंगलियां जबरदस्ती घुसेड़ीं तो दर्द से वह रोने लगी. मुझे बहुत मजा आया. उसे और चिढ़ाता हुआ मैं बोला "सचमुच बड़ी कसी कुंवारी गांड है। तेरी प्रीति, बहुत मजा आयेगा इसे चोदने में."
मेरे लंड को चाची मक्खन लगा रही थीं, उनके मुलायम हाथों के स्पर्श से लंड और फूल गया था. अपना लाल लाल सूजा सुपाड़ा मैंने उस कन्या के गुदा पर रखा और थोड़ा दबाया. फ़िर चाची को इशारा किया. चाची ने प्रीति के मुंह हाथ से दबोच लिया. मैंने तुरंत सुपाड़ा पेलना शुरू किया. वह अटक गया क्योंकि घबराकर प्रीति ने अपनी गांड का छल्ला सिकोड़ लिया था जिससे गांड का मुंह करीब करीब बंद हो गया था.
"गांड खोल बहन, ढीली छोड़ नहीं तो तुझे ही तकलीफ़ होगी." कहकर मैने और दबाया. मेरी शक्ति के आगे उस बेचारी की क्या चलती. गांड को खोलता हुआ मेरा सुपाड़ा आधा धंस गया. प्रीति का शरीर एकदम कड़ा हो गया और वह छटपटाने लगी. चाची की आंखों में वासना से लाल डोरे झलक आये थे. बोली "फ़ट जायेगी लगता है। लड़की की गांड . मैंने कभी किसी की गांड फ़टती नहीं देखी."
मैंने कहा, "हां चाची, आज तो फ़ाड़ ही देता हूं, बड़ा मजा आयेगा. इसे भी तो पता चले गांड मराना क्या होता है। तुम्हारी मैं मारता था तो कैसे मजा ले लेकर देखती थी."
मैंने पेलना बंद करके नीचे देखा. प्रीति का गुदा पूरा तन कर फैला हुआ था और उसमें मेरा सुपाड़ा फंसा हुआ था. मैंने थोड़ा और मक्खन उसपर लगाया और फ़िर से उसे थोड़ा सा अंदर बाहर करने लगा कि लड़की को और दर्द हो तो मजा आये. प्रीति को इतना दर्द हुआ कि वह तड़पने लगी और हाथ पैर फ़टकारने की कोशिश करने लगी. उसकी तड़पते शरीर को देखकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था. जब वह बेहोश होने को आ गयी तो मैंने कस कर लंड पेल दिया. पाक्क की आवाज से सुपाड़ा अंदर हो गया.
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