RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
उसकी जीभ मुंह में लेकर चूसता हुआ मैंने उसे पूरी शक्ति से चोद डाला. सुख से मैं पागल हुआ जा रहा था. कुंवारी बुर में लंड चलने से पाक पाक' की मस्त आवाज आ रही थी. आखिर मैंने एक करारा धक्का लगाया और लंड को प्रीति की बुर में जड़ तक गाड़ कर स्खलित हो गया. प्रीति की बुर अभी भी मेरे लौड़े को पकड़ कर जकड़े हुए थी.
पूरा झड़ने के बाद मैने प्रीति का प्यार से एक चुंबन लिया और उठ कर लंड खींच कर बाहर निकाला. लंड उसकी चूत के पानी से गीला था. चाची तुरंत मेरे पास आईं और उसे मुंह में लेकर चूस डाला. मेरा लंड साफ़ करके मुझे बाजू में हटने को कहते हुए वे खुद प्रीति की जांघों को फैलाते हुए बोलीं. "अब देखें तो, मेरी भांजी की पहली बार चुदी बुर में अपनी मौसी के लिये क्या तोहफ़ा है!" और झुक कर प्रीति की बुर चूसने लगीं. मेरा सारा वीर्य और प्रीति का पानी वे चटखारे ले ले कर निगलने लगीं.
मैने प्रीति से पूछा "तो बहन, चुदा कर मजा आया? मुझे तो बहुत मजा आया मेरी प्यारी प्रीति रानी की टाइट चूत चोदकर." प्रीति शरमाती हुई बोली "बहुत अच्छा लगा अनिल भैया, पर दर्द भी हुआ. तुम्हारा लंड इतना मोटा है कि मुझे लगा कि मेरी बुर फ़ाड़ देगा" मैंने मन ही मन सोचा कि चाचाजी के हलब्बी लंड से चुदेगी तो मर ही जायेगी.
कुछ देर आराम के बाद प्रीति और चाची फ़िर आपस की कामक्रीड़ा में जुट गईं. अगले आधे घंटे तक मैं अब सिर्फ पड़ा पड़ा उन दोनों की रति देखता रहा. प्रीति की दुखती बुर को चाची ने खूब चाटा और चूसा. आखिर जब प्रीति फ़िर गरमा गयी तो बोल पड़ी. "अनिल भैया, आओ मुझे फ़िर चोदो, अब मैं नहीं रोऊंगी." चाची ने भी मुझे आंख मारी और पास बुला लिया. मैं समझ गया कि गांड मारने का समय आ गया है. ।
मैं उठकर प्रीति की टांगों के बीच बैठ गया और अपना लौड़ा सहलाते हुए बोला. "देख क्या मस्त खड़ा किया है तेरे लिये प्रीति." उसने अपनी टांगें फैला दीं और मेरे लंड के अपनी चूत में घुसने का इंतज़ार करने लगी.
प्रीति को बड़ा आश्चर्य हुआ जब उसका एक चुंबन लेकर मैंने उसे उठाकर पट लिटा दिया. उसे लगा कि शायद मैं कुतिया स्टाइल में पीछे से चोदने वाला हूं इसलिये वह अपने घुटनों और कोहनियों पर जमने लगी तो मैंने उसे फ़िर नीचे पट लिटा दिया.
चाची ने उसके हाथ पकड़ लिये और मैंने उसके पैरों को कस के पलंग के कड़े से बांध दिया कि उठ कर भाग न सके. फ़िर मैंने मन भर के उस कमसिन लड़की के नितंब पास से देखे. गोरे चिकने और कसे हुए वे चूतड़ खा जाने को मन होता था. मैंने झुक कर उन्हें मसलते हुए चूमना और चाटना शुरू किया और फ़िर उसके गुदा को चूसने लगा. अपनी जीभ उसमें डाली तो बड़ी मुश्किल से गई; बड़ा ही टाइट होल था. उसके सौंधे स्वाद को मैं अभी चख ही रहा था कि प्रीति बोली. "छोड़ो भैया, छी, यह क्या कर रहे हो? मेरी गांड मत चूसो!"
मैंने कहा, "तुम्हारे उपहार को चूम रहा हूं रानी बहना, आखिर अपना इतना अमूल्य अंग एक लड़की अपने भाई को भोगने को दे रही हो तो उसका स्वाद लेना जरूरी है, चोदने के पहले."
प्रीति घबरा कर बोली. "नहीं नहीं, ऐसा मत करो, मैं मर जाऊंगी, मैंने तो चोदने को कहा था, गांड मारने को नहीं, गांड तो तुम मौसी की मारते हो. मौसी समझाओ ना अनिल भैया को!"
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