RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
अगले आधे घंटे तक वे अपनी सशक्त जांघों में मेरी जांघे जकड़े हुए मेरी पीठ पर चढ़ कर पूरे जोर से पटक पटक कर मेरी गांड मारते रहे. अब उनका लंड करीब करीब पूरा मेरी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. मख्खन से चिकनी गांड में लंड अंदर बाहर होने से पचाक पचाक की आवाज आ रही थी. मैं आधा बेहोश रोता बिलखता गांड मरवाता रहा. वे बीच में हांफ़ते हुए पूछते जाते. "तू चुद तो रही है ना ठीक से मेरी अनू रानी?"
अचानक उनकी गति दुगनी हो गयी. मेरी गर्दन पर दांत जमाकर काटते हुए वे ऐसे मेरी मारने लगे जैसे शेर हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा हो. वे जब झड़े तो ऐसे चिल्लाये जैसे स्वर्ग का आनंद आया हो. उनका लंड मेरी गांड की गहरायी में गरमा गरम वीर्य उगलने लगा. इससे सिक कर मेरी थोड़ी यातना भी कम हुई. आखिर चाचाजी ठंडे होकर मेरी पीठ पर ही लस्त लुढ़क गये. उनका लंड मुरझा कर छोटा हो गया और मेरी दुखती गांड को कुछ राहत मिली.
वे जब लंड बाहर निकालने लगे तो मैंने रोते स्वर में याचना की. "रहने दीजिये स्वामी प्लीज़, अंदर ही रहने दीजिये." उन्होंने पूछा, "क्यों मेरी जान, लगता है पसंद आयी अपने गांड की ठुकाई, और मरवायेगी? चिंता न कर, आज रात भर मारूगा तेरी."
मैं थोड़ा हिचका और फ़िर बोला. "घुसा है तो घुसा ही रहने दीजिये ना. फ़िर डालेंगे तो फ़िर दर्द होगा, मैं मर जाऊंगी." हंसते हुए उन्होंने लंड मेरे गुदा से खींच लिया. "आधे से ज्यादा मजा तो लंड डालने में आता है रानी. लंड जाते समय जब तू छटपटाती है तो ऐसा मजा आता है कि क्या कहूं. फ़िर से रुला रुला कर डालूंगा और तेरी छटपटाहट का मजा लूंगा."
पलंग पर मेरे पास बैठकर उन्होंने एक सिगरेट सुलगा ली और कश लेने लगे. फ़िर मुझे उठाकर गोदी में बिठा लिया. "सिगरेट पी रानी, मजा आयेगा." मैं उन्हें नाराज करना नहीं चाहता था इसलिये हाथ बढ़ा दिया. "ऐसे नहीं, मुंह खोल अपना" वे एक बड़ा कश ले कर बोले.
मैंने मुंह खोला तो उसमें सिगरेट लगाने के बजाय उन्होंने अपने होंठ उसपर जमा दिये और फ़िर मेरी नाक उंगलियों में पकड़कर बंद कर दी. अब पूरा धुआं मेरे मुंह में छोड़ दिया. मैं खांस उठा. दम घुटने लगा. पर नाक बंद होने से सांस भी नहीं ले सकता था और न बाहर छोड़ सकता था. खांसता तो भी दबी आवाज में उनके मुंह में. मेरे आंसू बह निकले और खांसते खांसते मेरा बुरा हाल हो गया. मेरी खांसी से मेरा थूक उनके मुंह में उड़ रहा था जिसे वे बड़े प्यार से चूस रहे थे. साथ ही अपनी जीभ मेरे गले में डाल कर चाट रहे थे. ।
जब मैं अधमरा हो गया तब जाकर उन्होंने मुझे छोड़ा. मैं हांफ़ता हुआ दम लेने लगा. तभी उन्होंने फ़िर कश लिया और फ़िर मेरे मुंह पर अपना मुंह जमा दिया. पाच मिनिट में सिगरेट खतम होने तक मेरी हालत खराब हो गयी. आंखों से पानी बह निकला. मेरे गालों पर बहते आंसू वे बार बार चाट लेते. "आंसू पीने में भी मजा आता है मेरी जान, इसलिये तो आज तुझे खूब रुलाना चाहता हूं."
सिगरेट खतम होने पर वे उन्होंने दूध का गिलास उठाया और पूरा पी गये. मुझे भी प्यास लगी थी इसलिये मैं जरा उलाहने के निगाहों से उनकी ओर देखने लगा. मुझे लगा था कि दूध वे मुझे भी देंगे. मेरे मन की बात ताड़ कर वे बोले. "प्यास लगी है अनू रानी?" मैंने सिर हिलाया तो खड़े हो गये और मेरे सिर को अपनी कमर पर खींचते हुए बोले. "बस दो मिनिट में तेरी प्यास बुझाता हूं. पर चल पहले लंड चूस ले, जल्दी खड़ा कर, फ़िर तेरी मारना है."
इतनी बेरहम चुदाई के बाद भी मैं बहुत उत्तेजित था. बल्कि लगता है उसके कारण मेरा लंड और ज्यादा खड़ा हो ग्या था. पेट से बंधा होने से मैं उसे कुछ नहीं कर सकता था नहीं तो मन तो हो रहा था कि अभी सड़का लगा लें या चाचाजी पर चढ़ जाऊं और उनकी गांड मार लूं.
वे जानते थे कि जब तक मैं इस कामुक अवस्था में हूं, मैं कुछ भी सहन कर लूंगा. मुस्कराते हुए मेरे सिर को अपनी गांघों पर दबाते हुए बोले. "रानी, पेट पर हाथ मत फ़र, तुझे अब सुबह ही मुक्ति दूंगा, तब तक बस मेरे लंड की प्यास बुझा, एक दुल्हन की तरह अपनी पति की हवस तृप्त कर."
उनके लंड पर मख्खन के साथ साथ उनका वीर्य और मेरी गांड का रस लगा था. मैं मुंह में लंड लेकर चूसने लगा. मुरझाया लंड अब चार इंच का हो गया था इसलिये पूरा मुंह में लेने में भी कठिनाई नहीं हुई. चाचाजी धीरे से पलंग पर बैठ गये और मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे बाजू में लेट कर मुझसे चुसवाने लगे. मेरे बाल प्यार से सहलाते हुए बोले. "तुझे मजा तो आया ना मेरी जान? तू चुदी या नहीं ठीक से? तेरी चूत खुली या नहीं? या मन में गाली दे रही है अपने सैंया को कि सुहागरात में साजन ने ठीक से चोदा भी नहीं."
मैं क्या कहता, पड़ा पड़ा लंड चूसता रहा. सच तो यह था कि वदन और गुदा में होती यातना के बावजूद मेरा लंड कस कर खड़ा था. उसमें बड़ी मादक मीठी अनुभूति हो रही थी. चाचाजी के प्रति मेरे मन में प्यार और वासना उमड़ रहे थे.
जब लंड का सब रस मैंने चाट लिया तो उसे मुंह से निकालने लगा तो उन्होंने कस कर मेरा मुंह पेट पर दबा लिया और बोले. "अभी नहीं रानी, और चूस, काफ़ी माल लगा होगा. और जल्द खड़ा कर, अब डालूंगा तो रात भर गांड मारूंगा तेरी. तब तक मैं तुझे गरमागरम शरबत पिलाता हूं."
मेरी समझ में कुछ आने के पहले ही अचानक गरम तपती खारी तेज धार मेरे गले में उतरने लगी. चाचाजी मेरे मुंह में मूत रहे थे. मैं सकपकाकर उनका लंड मुंह से निकालने की कोशिश करने लगा. पर वे तैयार थे. मुझे पलंग पर पटककर मेरे सिर को अपने पेट के नीचे दबाकर अपना पूरा वजन मुझपर देकर वे ओंधे सो गये.
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