RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
मैंने अपने रूप को देखा तो खुद ही नहीं पहचान पाया. लगता था कि जवान कमसिन मादक शोख लड़की खड़ी है. चाची की भी आंखों में वासना उतर आयी थी. मुझे चूमते हुए और मेरे नकली स्तन दबाते हुए बोलीं. "हाय लल्ला, मेरा ही यह हाल है तो ये तो तुझ पर मर मिटेंगे आज, पर तेरा हाल भी बुरा करेंगे, तू तैयार है ना?"
मैंने सिर हिलाया. मुझे मालूम था कि आज मेरी गांड की क्या दुर्दशा होगी पर अब मैं सच में स्त्री रूप में एक फ़ीमेल की साइकलाजी में आ गया था. बस मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा होकर मेरे पेट से सटा मुझे मीठी अग्नि में जला रहा था.
मेरा हाल देखकर चाची बोलीं. "लल्ला, काफ़ी देर तक तो तुझे यह मीठा दर्द सहना ही पड़ेगा. तुझे पूरा भोगने के बाद देर रात फ़िर तुझे शायद अपनी वासना पूर्ति का मौका दें तेरे चाचाजी."
फ़िर वे मुझे खींच कर आंगन में ले गयीं. वहां चाचाजी को भी बुलाया. वे तो मुझे पहचन ही नहीं पाये. जब समझे कि यह तो उनका प्यारा भतीजा अनिल है, उनकी आज की दुल्हन तो मेरे देखते देखते ही उनके पाजामे में बड़ा तंबू बन गया.
चाची हंसते हुए बोलीं. "चलो, अब इसे सिंदूर लगाओ, मंगलसूत्र पहनाओ, फ़िर खाना खाकर अपने कमरे में ले जाओ और खूब सुहागरात मनाओ. आज तुमपर कोई बंधन नहीं है, जैसा चाहे भोग लेना अपनी दुल्हन को. हां अंदर मख्खन का डिब्बा रखा है, लंड डालने के पहले लगा लेना नहीं तो मार डालोगे मेरी नाजुक दुल्हनिया को"
चाचाजी ने अपने पत्नी को जोर से चूमकर उसका धन्यवाद किया. "तुमने तो मुझे अपना गुलाम बना लिया रानी. तुम नहीं देखोगी क्या यह सुहागरात? आ जाओ हमारे साथ ही."
चाची बोलीं. "देखेंगी मगर चुपचाप दूसरे कमरे में झरोखे से. तुम लोगों को पता भी नहीं चलेगा. तुम मेरी फ़िकर मत करो, मुट्ठ मारने के लिये केले गाजर मेरे पास बहुत हैं. सुबह तुम लोगों की ही खाने हैं. आज मन भर कर तुम लोगों का लाइव शो देखकर सड़का मारूगी. और कल से तो मेरे प्राणनाथ, तुमसे कैसी गुलामी करवाती हूँ, तुम ही देखना. इतने दिन अपनी पत्नी के प्रति अपना कर्तव्य तुमने नहीं किया, कल से पल पल का हिसाब वसूल लूंगी."
चाचाजी ने मुझे सिंदूर लगाया और मंगलसूत्र पहनाया. खाने पर भी मुझे चाचाजी की गोद में बैठना पड़ा नई दुल्हन की तरह. अब इस खेल में मुझे भी मजा आ रहा था. मैं भी दुल्हन जैसी ही हरकतें कर रहा था जो काफ़ी नेचरल थीं क्योंकि मैं काफ़ी शरमा रहा था. एक दूसरे को निवाले दिये गये. चाची ने तो मुझे अपने मुंह में का चबाया हुआ निवाला चाचाजी को खिलाने को कहा. "अरे अपनी दुल्हन के मीठे मुंह में से खाओ."
खाने के बाद आधा घंटे गप्पें मारने के बाद चाची हमें चाचाजी के कमरे में ले गयीं और खिलखिलाते हुए हमें अंदर ढकेल कर बाहर से दरवाजा लगा दिया. दरवाजा लगाने के पहले मेरी ओर कुछ दया भरी निगाहों से देखते हुए उन्होंने चाचाजी के कान में कुछ कहा. मुझे इतना ही सुनाई दिया कि दुल्हन की प्यास बुझा देना. चाचाजी की आंखों में चाची की बात से एक अलग चमक आ गयी थी.
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