RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
चाचीजी भी अब अपने ही पति की गांड मारी जाने का यह तमाशा देखने को बहुत उत्सुक हो गयी थीं. मुझे बोलीं. "चढ़ जा बेटे, चोद ले इन्हें. मैंने सोचा था कि एक साथ हनीमून में तुम दोनों एक दूसरे की गांड मारोगे. अब अपने चाचाजी के साथ की तेरी सुहागरात के लिये तेरी कुंवारी गांड रहे, इतना बस है. इनकी तो बहुतों ने मारी होगी, तू भी मार ले."
में उनके पास जाकर बैठ गया और उनके चूतड़ सहलाने लगा. पहली बार किसी मर्द की गांड इतनी पास से साफ़ देख रहा था, और वह भी अपने हट्टे कट्टे हैंडसम चाचाजी की. उनके चूतड़ मस्त भारी भरकम थे. गठे हुए मांस पेशियों से भरे, चिकने और गोरे उन नितंबों को देख मेरे लंड ने ही अपनी राय पहले जाहिर की और कस कर और टन्ना कर खड़ा हो गया. दोनों चूतड़ों के बीच गहरी लकीर थी और गांड का छेद भूरे रंग के एक बंद मुंह सा लग रहा था.
उसमें उंगली करने का मेरा मन हुआ और मैंने उंगली चाची की चूत में गीली कर के धीरे से उसमें डाली. मुझे लगा कि मुश्किल से जाएगी पर उनकी गांड में बड़ी आसानी से वह उतर गई. अंदर से बड़ा कोमल था चाचाजी का गुदाद्वार. मेरे उंगली करते ही वे हुमक कर कहा, "हा ऽ य राजा मजा आ गया, और उंगली कर ना, इधर उधर चला." मैने उंगली घुमाई और फ़िर धीरे से दूसरी भी डाल दी. फ़िर उन्हें अंदर बाहर करने लगा. आराम से उस मुलायम छेद में मेरी उंगलियां घुस रही थीं जैसे गांड नहीं, किसी युवती की चूत हो.
चाची अब तक हस्तमैथुन करने में जुट गयी थीं. हांफ़ते हुए बोलीं. "मैं कहती थी ना, तेरे जैसी कुंवारी नहीं है इनकी गांड . पर है बड़ी गहरी. लगता है मजा आ रहा है तुझे अपने चाचा की गांड में उंगली करने में." मुझे तो उस गांड पर इतना प्यार आ रहा था कि उसे चूमने की बहुत इच्छा हो रही थी.
न रहकर मैने झुककर उनके नितंबों को चूम लिया. फ़िर चूमता हुआ और जीभ से चाटता हुआ उनके गुदा के छेद की ओर बढ़ा. मुंह छेद के पास लाकर मैने उंगलियां निकाल ली और उन्हें सुंघा. चाची की गांड मारने के पहले मैंने काफ़ी बार उसमें उंगली की थी और सुंघा था, चाचाजी की गांड की मादक गंध भी मुझे बड़ी मतवाली लगी. "चुम्मा दे दे बेटे उसे, जैसे मेरी गांड को देता है. बिचारी तेरी जीभ के लिये तड़प रही है." चाची ने घचाघच मुठ्ठ मारते हुए कहा. आखिर साहस करके मैने अपने होंठ उनके गुदा पर रख दिये और चूसने लगा.
उस सौंधे स्वाद से जो आनंद मिला वह क्या कहूं. चाचाजी ने भी अपने हाथों से अपने ही चूतड़ फैला कर अपना गुदा खोला. मैं देखकर हैरान रह गया. मुझे लग रहा था कि जैसा सबका होता है वैसा छोटा सकरा भूरा छेद होगा. पर उनका छेद तो मस्त मुंह जैसा खुल गया और उसकी गुलाबी कोमल झलक देख कर मैने उसमें जीभ डाल दी.
"शाब्बास मेरे राजा, मस्त चाटता है तू गांड, जरा जीभ और अंदर डाल." चाचाजी निहाल हो कर बोले. आखिर भरपूर अपनी गांड चुसवा कर वे गरम हो गये. "मार ले अब मेरी बेटे, अब नहीं रहा जाता. तेरी चाची पर भी चढने की इच्छा हो रही है."
चाची ने मुझे पास खींच कर जोर जोर से मेरा लंड चूस कर गीला किया और फ़िर बोलीं. "चढ़ जा अब इनपर, मार ले इनकी, अब नहीं रहा जाता, इनका लंड मैं अपनी चूत में लेना चाहती हूं. मस्त गीली है इनकी गांड तेरे चूसने से, आराम से घुस जाएगा तेरा लौड़ा"
मैं चाचजी के कूल्हों के दोनों ओर घुटने जमा कर बैठा और अपना सुपाड़ा उनके गुदा में दबा दिया. चाचाजी ने अपने चूतड़ पकड़ कर खींच रखे थे और इसलिये बड़े आराम से उनके खुले छेद में पाक की आवाज के साथ मेरा शिश्नाग्र अंदर हो गया. उस मुलायम छेद के सुखद स्पर्श से मैं और उत्तेजित हो उठा और एक धक्के में अपना लंड जड़ तक उनकी गांड में उतार दिया.
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