RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
चाचाजी थोड़े सकपका गये और उठने लगे. मैं वैसा ही उन्हें लिपटा पड़ा रहा. चाची मुस्कराकर अपने पतिदेव से बोलीं. "क्यों जी, कैसा लगा मेरा उपहार?" चाचाजी भाव विभोर हो गये. "मेरी जान, तुमने तो मुझे निहाल कर दिया. इतना खूबसूरत बच्चा, वह भी घर का माल, मेरा सगा भतीजा, मैने तो कल्पना भी नहीं की थी. कैसे तुम्हारा कर्ज़ चुकाऊ
चाची उनके सिर पर हाथ रखकर बोलीं. "तुमने भी तो मेरा इतना खयाल रखा, अनिल को मेरी चुदासी बुझाने को भेज दिया." चाचाजी अब भी मुझसे लिपटे हुए थे और अनजाने में मेरे नितंबों को सहलाते हुए मेरे गुदा पर एक उंगली धीरे धीरे दबा रहे थे. मेरा छेद ऐसा टाइट था कि वह अंदर नहीं जा रही थी.
चाची मजाक करते हुए बोलीं. "बड़ा सकरा है स्वर्ग का यह द्वार डार्लिंग . मैंने आजमा कर देखा है, एक उंगली भी मुश्किल से जाती है. मैंने अनिल से कहा कि चाचाजी के आने के पहले इसमें गाजर घुसेड़ कर थोड़ा ढीला कर ले तो माना ही नहीं. कहता था कि चाचाजी को अपनी कसी कुंवारी गांड दूंगा. जैसे सुहागरात को नववधू अनचुदी बुर पेश करती है अपने पति को"
चाचाजी झूम उठे. वे कल्पना कर रहे होंगे कि मेरी उस कुंवारी गांड को चोदने में क्या आनंद आयेगा. चाचीजी बोलीं. "मैं भी तुम्हारी सुहागरात करवा दूंगी इस मतवाले लड़के के साथ. एक बड़ा प्यारा खेल है मेरे मन में, अनिल को लड़कियों के कपड़े पहना कर बिलकुल दुल्हन जैसी तैयार करूंगी. है भी चिकना छोकरा, मेरे मेकप के बाद कोई कह नहीं सकेगा कि लड़का है. घर में ही उससे शादी रचाऊंगी तुम्हारी. अपनी सौत उसे बनाऊंगी, और फ़िर मेरी सौत को तुम चोदना मेरे ही सामने, सुहाग रात मनाना प्यार से."
सुन सुन कर चाचाजी गरमा रहे थे. अपनी पत्नी के इस प्लान को सुनकर उनका लंड उछलने लगा था. तभी चाची फ़िर बोलीं. "पर एक शर्त है जी. अपने भतीजे को भोगने के पहले मुझे भोगना होगा. अपने इस मतवाले लंड से मेरी प्यास बुझाना होगी. तीन चार दिन मुझे मन भर के चोदो तो फ़िर अगले हफ़्ते अनिल से तुम्हारी सुहागरात मनवा दूंगी. तब तक तुम उससे चूमाचाटी कर सकते हो, लंड भी चूस और चुसवा सकते हो पर उसकी गांड नहीं मार सकते. "
चाचाजी विवश होकर हाथ मलते हुए बोले."मैं तो तैयार हूं भागवान पर कैसे करू, तुम जानती हो औरतों को देखकर मेरा नहीं खड़ा होता."
मैं बोला. "चाचाजी, मैं आपको हेल्प करूगा. हम सब साथ ही सोएंगे रोज, देखिये कैसे चाची को आपसे चुदवाता हूं." चाचाजी तैयार हो गये. चाची सच कह रही थीं. मेरे किशोर शरीर की उन्हें इतनी चाह थी कि वे सब कुछ करने को तैयार थे.
हमारा प्रयोग अति सफ़ल रहा. पहली ही रात में गीता चाची ने राजीव चाचा का लंड अपने शरीर में घुसा ही लिया, भले ही पति पत्नी का पहला संभोग चाची की गांड में हुआ.
उस रात छत पर हम तीनों मच्छरदानी के नीचे साथ सोये. चाची चाचाजी का लौड़ा चूसना चाहती थीं. "अपने पतिदेव का प्रसाद तो पा लू एक भारतीय नारी की तरह." वे बोलीं.
शुरू में कठिनायी हुई. पक्के गे चाचाजी का लंड चाची के चूसने से खड़ा ही नहीं हुआ. आखिर मैं उनके काम आया. चाचाजी के मुंह में मैंने अपना लंड दिया. खुद कुछ देर उनका लंड चूसा. जब वे मस्त हो गये तो उन्हें कहा कि आंखें बंद कर लें और सोचें कि मैं या कोई सजीला जवान चूस रहा है. फ़िर धीरे से मेरी जगह चाची ने ले ली.
चाची लंड चूसने में माहिर थीं हीं. इतना बड़ा लंड भी वे पूरा निगल गयीं. ऐसे मस्त कर के चूसा कि आखिर चाचाजी भी मान गये और चाचीके सिर को पकड़कर उनके मुंह को चोदने लगे. जब झड़े तो उनका वीर्य पान करके चाची खुशी से रो दीं. चाची के कहने पर इनाम के बतौर चाचाजी को मैंने अपना लंड चुसवाया और उनके मुंह में अपना वीर्य झड़ाया जिसे उन्होंने खूब चटखारे ले लेकर खाया.
उसके बाद चूमा चाटी हुई. बारी बारी से मैंने और चाची ने राजीव चाचा को चुम्मा दिया. पहले तो चाचाजी मुझे बड़े आवेश से चूमते और चाची को बस धीरे से चुंबन दे देते. मैं लगातार उनके लंड से खेलता रहा. फ़िर उनके चूतड़ सहलाये. बड़े मांसल और मजबूत नितंब थे उनके आखिर जब मैंने एक उंगली उनके गुदा में डाली तब उन्हें मजा आना शुरू हुआ. कुछ ही देर में वे चाची से लिपट लिपट कर उन्हें चूमने लगे और मम्मे भी दबाने लगे. फ़िर मैं और चाची ओंधे पलंग पर लेट गये और चाचाजी से हमारी गांड पूजा करने को कहा.
राजीव चाचा को तो मानों खजाना मिल गया. वे कभी मेरे नितंब चूमते और दबाते और कभी चाची के. गांड तो चाची की भी बहुत खूबसूरत थी. इसलिये उन्हें कोई कठिनाई नहीं हुई.
आखिर में जब वे हम दोनों के गुदा चूसने लगे तब मैं समझ गया कि लंड खड़ा हो गया है. अब मैं उठ कर चुपचाप नीचे हो लिया और राजीव चाचा का लौड़ा चूसने लगा. वासना से उफ़नते हुए वे जोर जोर से चाची की गांड चूसने लगे, उनके गुदा में जीभ डालने लगे. चाची भी वासना से कराहने लगीं.
तब मैंने उनसे पूछा."गीता चाची, गांड मरायेंगी चाचाजी से? यही मौका है. दर्द तो होगा पर मजा भी आयेगा." वे तैयार थीं. मैंने चाचाजी से कहा कि चढ़ जायें. लंड और गुदा दोनों गीले थे, फ़िर भी चाची के गुदा में मैंने थोड़ा तेल मल दिया कि बाद में तकलीफ़ न हो.
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