RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
प्रीति मेरे मुंह पर बैठ गयी और मैं जीभ डालकर उस कोमल मखमली कच्ची बुर का रस पीने लगा. उधर चाची मुझ पर चढ़ कर मुझे चोदने लगीं.
अगले दस मिनिट मेरी परीक्षा के थे पर मैं खरा उतरा. किसी तरह अपने सुख से मचलते लंड पर काबू किये रहा. प्रीति की चूत के रस ने और चाची की बुर के घर्षण ने मुझ पर ऐसा जादू किया कि मेरा लंड घोड़े के लंड जैसा खड़ा हो गया. आखिर अलार्म बजा तो प्रीति उठ कर खड़ी हो गयी. कई बार मेरे मुंह में झड़ कर तृप्त हो गयी थी. हंस कर चाची को बोली. "चलो मौसी तुम शर्त हार गईं, अब तो गांड मराना ही पड़ेगी."
चाची भी कई बार झड़ चुकी थीं. हांफ़ते हुए लस्त होकर किसी तरह मेरे लंड को अपनी गीली बुर में से खींच कर निकाला तो लौड़े की साइज़ देखकर उनकी आंखें पथरा गईं. "हाय लल्ला, यह तो और मुस्टंडा हो गया. लगता है। मैंने अपनी कब्र खुद बना ली, तू मार डालेगा मुझे बेटे, दया कर, चोद ले अभी, गांड बाद में मारना." पर डरने का सिर्फ बहाना था, उनकी आंखों में गजब की कामुकता थी. गांड चुदाने को वे भी मरी जा रही थीं.
उनकी एक न मान कर मैंने उन्हें उठा कर बिस्तर पर ओंधे लिटा दिया. वे बोलीं. "प्रीति बिटिया, गांड तो मुझे मरवाना ही है तो ऐसा कर, तू मेरे नीचे उलटी तरफ़ से आ जा रानी. सिक्सटी नाइन करते हुए मरवाऊंगी तो दर्द थोड़ा कम हो जायेगा." प्रीति तपाक से उनके नीचे घुस गयी. अपनी टांगें खोलती हुई बोली. "लो चूसो मौसी" फ़िर मौसी के चूतड़ पकड़कर उनकी बुर चाटती हुई मुझसे बोली. "अनिल भैया, मुझे तो बिलकुल बाल्कनी की सीट मिल गयी शो देखने को. दो इंच दूर से मौसी की गांड में तुम्हारा लौड़ा घुसते देखेंगी."
मैं झुक कर अपनी जीभ और होंठों से चाची के नितंबों की पूजा करने लगा. जब उनके गुदा में जीभ डाली तो वे सिहर उठीं. उनकी गांड का छेद पकपकाने लगा और मेरी जीभ को पकड़ने लगा. गांड का सौंधा खटमिठा स्वाद लेते हुए मैंने खूब गांड चूसी और फ़िर आखिर बिस्तर पर चढ़ कर उनके गुदा पर लंड जमाता हुआ बोला. "प्रीति जरा हेल्प कर, अपनी हाथों से तेरी मौसी की गांड चौड़ी कर." मेरी सुपाड़ा फूल कर टमाटर सा हो गया था और मौसी की गांड में उसका घुसना असंभव सा लग रहा था.
मौसी की बुर में जीभ डालकर प्रीति ने अपनी पूरी शक्ति से उनके गोरे नितंब फैलाये. मैंने कस के लंड पेला और सुपाड़ा अंदर घुसेड़ दिया. मौसी के मुंह से एक चीख निकल गयी. "मार डाला रे मुझे तूने बेदर्दी, फ़ाड़ दी मेरी." मैं हंसते हुए बोला. "नहीं चाची, ऐसे थोड़े फ़टेगी आपकी गांड, आखिर मारने के लिये ही बनाई है कामदेव ने तो फ़टेगी कैसे. हां, आप भी गुदा ढीला कीजिये नहीं तो दर्द होगा ही."
चाची अपना दर्द कम करने को प्रीति की चूत चूसने लगी. प्रीति ने भी अपनी गोरी कमसिन जांघे उसके सिर के इर्द गिर्द जकड़ लीं. चाची का दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने लंड और पेलना शुरू किया. जब वे दर्द से कराह उठतीं तो मैं फ़िर रुक जाता. इस तरह आखिर मैंने जड़ तक लंड उनके चूतड़ों के बीच उतार ही दिया.
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