RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
चाची का मूत पीने के बाद होंठ पोंछते हुए मैंने जवाब दिया. "हां चाची, प्लीज़, कल से चार पांच बड़ी पेप्सी की बोतलें धो कर रख दो. जब मेरे मुंह में मूतना संभव न हो, तो दोनों इन बोतलों का इस्तेमाल करके उन्हें फ़िज़ में रख दिया करो. मैं बाद में पी लूंगा. इस अमृत की एक बूंद व्यर्थ नहीं जाना चाहिये."
खैर! उसके बाद चाची और प्रीति का बाथरूम जाना ही बंद हो गया. मेरे होते उन दोनों को कभी जरूरत ही नहीं पड़ी. बोतलों की जरूरत भी नहीं पड़ी क्योंकि जब भी पिशाब लगती, वे चुपचाप मुझे कहीं अकेले में ले जातीं, अपने साड़ी या स्कर्ट ऊपर करतीं और मेरे मुंह में मूत देतीं. मेरा मुंह उनका यह अमृत पीने के लिये सदा हाजिर होता. मैंने कभी एक बूंद नहीं छलकायी इसलिये आराम से बिस्तर में लेटे लेटे भी यह काम दोनों कर लेती थीं. मुझे भी उन दोनों चुदैलों के मूत का ऐसा चसका लगा कि आदत ही लग गयी. आज भी अपने सेक्स पार्टनर का मूत पीने में मुझे बड़ा मजा आता है.
अब तक उन दोनों मद भरी बुरों के शरबत ने मेरा लंड खड़ा कर दिया था. सोलह घंटे के आराम के बाद वह अब मस्त तन्ना रहा था. "अब देखिये चाची, अब यह इस अवस्था में है कि आप की गांड की प्यास बुझा सके." चाची थोड़ा घबरा कर उसकी ओर देख रही थीं. पर नजर में बड़ी मादक प्यास भी थी. "नहीं लल्ला, अभी माफ़ करो, रात में मार लेना."
"जब फ़िर मुरझा जाये? नहीं मौसी तुमने वायदा किया था भैया से, चलो गांड मराओ." प्रीति मेरा साथ देती हुई अपनी बर रगड़ती हुई बोली. उसे बड़ा मजा आ रहा था. अपने लंड को और कस कर खड़ा करने का मुझे अचानक एक उपाय सूझा. आज मैं जरा दुष्ट मूड में था और यही सोच रहा था कि जितना हो सके लंड को मस्त करू ताकि गीता चाची कुछ और जोर से बिलबिलाये गांड मराते समय. आखिर मुझे भी तो इतने दिन का हिसाब वसूलना था. बस मुझे अपने आप पर पूरा कंट्रोल रखना जरूरी था.
"गीता चाची, चलो एक काम करते हैं. आप दोनों मिलकर मेरे लंड से खेलो, चूसो, कुछ भी करो. बीस मिनिट का समय देता हूं. अगर मुझे झड़ा लिया तो आपकी गांड बच जायेगी. नहीं तो फ़िर बिना तेल लगाये ही मारूंगा, आपको तड़पा तड़पा कर और मजा लेने के लिये. बोलो है मंजूर?"
चाची ने कुछ देर सोचा और एक शर्त अपनी भी रख दी. आखिर पक्की छिनाल जो थीं. "ठीक है लल्ला, पर भले तेल न लगाना, चूसना जरूर पड़ेगी. मेरी गांड का छेद मुंह से और जीभ से गीला करना पड़ेगा, बोलो है मंजूर?" उन्हें लगा कि शायद मुझे गंदा लगे इसलिये मैं न मानू पर मैं तुरंत तैयार हो गया. मेरी प्यारी मतवाली चाची की गांड चूसना तो मेरे लिये मानों एक और उपहार था.
घड़ी में बीस मिनिट का अलार्म लगाया गया और फ़िर दोनों मिलकर मेरे लंड पर टूट पड़ीं. बारी बारी से चूमने और चूसने लगीं. चाची बीच बीच में उसे अपने गोल मटोल स्तनों के बीच पकड़ कर बेलन जैसे रगड़ने लगतीं. कभी अपने घने बालों में लपेट लेतीं. प्रीति भी बड़े चाव से चाची का साथ दे रही थी.
दस मिनिट में भी जब मैं न झड़ा तो चाची थोड़ा घबरायीं. प्रीति को बोलीं. "बेटी तू इसके मुंह पर चढ़ जा, इसे अपनी चूत चुसवा. मैं इसे चोदती हूं, देखें कैसे नहीं झड़ता."
प्रीति मेरे मुंह पर बैठ गयी और मैं जीभ डालकर उस कोमल मखमली कच्ची बुर का रस पीने लगा. उधर चाची मुझ पर चढ़ कर मुझे चोदने लगीं.
|