RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
प्रीति ने चाची को चिढ़ाकर कहा. "अब अनिल भैया तो मान गये, अब मारने दोगी गांड?" चाची ने हंस कर कहा. "बिलकुल, पर एक शर्त है अनिल." मैंने धड़कते दिल से पूछा "क्या शर्त है चाची? बोल कर तो देखो?"
वे सीरियस होकर बोलीं. "सिर्फ मेरा ही नहीं, इस बच्ची का भी मूत पीना पड़ेगा. इसने राह दिखायी है, इसे भी इनाम मिलना चाहिये." प्रीति टेन्शन में मेरी ओर कुछ शरमा कर देख रही थी कि मैं क्या कहता हूं. जवाब में प्रीति की चूत को चूम कर मैं बोला. "यह तो ऐसा हो गया चाची कि अंधा मांगे एक आंख और मिल जायें दोनों. तुम्हारे बुर के शरबत के साथ इस कन्या की चूत की शराब भी मिल जाये तो क्या कहने."
दोनों खुशी से उछल पड़ीं. मैं नीचे लेट गया. "आज यहीं खुली छत पर मेरे मुंह में मूत लो चाची. कल से बिस्तर पर ही कर लेना." चाची उठ कर मेरे सिर के दोनों और पांव जमाकर घुटनों के बल बैठ गयी. "देख लल्ला, अब रोज की बात है, दिन में भी यही होगा! मना तो नहीं करेगा." जवाब में मैंने उन्हें नीचे खींच कर उनकी बुर चूम ली. "अब करो भी चाची, प्यास लगी है." प्रीति भी बिलकुल पास आकर बैठ गयी कि ठीक से इस क्रीड़ा को देख सके.
चाची ने मेरा सिर पकडकर स्थिर किया और निशाना लगाकर मेरे मुंह में मुतने लगीं. उस खारे गरमागरम शरबत को मैं गटागट निगलने लगा. मुझे अपना मूत पीते देख चाची ऐसी गरमाई कि बिना रुके और जोर से मूतने लगी. मैं चुपचाप पीता रहा पर प्रीति ही मेरे मन की बात समझ कर बोली. "क्या मौसी तुम भी? धीरे धीरे मूतो ना! आखिर भैया को भी आराम से पीने दो, स्वाद तो लगे, अभी तो बस गटागट निगले जा रहा है बेचारा."
चाची थोड़ा शरमायीं और फ़िर रुक रुक कर मूतने लगी जिससे मुंह में भरे मूत को मैं ठीक से चख सकें. जब तक उनका मूतना समाप्त हुआ, वे ऐसी गरम हो गयीं कि सीधे मेरे मुंह पर बैठ कर अपनी चूत मेरे होंठों पर रगड़ रगड़ कर एक मिनिट में स्खलित हो गयी. मुझे बोनस में शरबत के साथ शहद भी मिल गया. झड़ते हुए मेरे बाल प्यार से सहला कर बोलीं. "मजा आ गया लल्ला. तू नहीं समझेगा. असल में अपने किसी को अपने शरीर का रस पिलाना
औरतों को बहुत अच्छा लगता है. ऐसा लगता है कि अपना कर्तव्य पूरा कर रही हूं तेरी प्यास बुझा कर. मेरा बस चले तो अपने शरीर का हर रस तुझे दे दूं."
अब प्रीति की बारी थी. उसकी आंखें भी कामुकता से चमक रही थीं. "भैया, मैं तो खड़े खड़े ही मूतुंगी, हम लड़कियां स्कूल में अक्सर ऐसे ही करती हैं, नीचे बैठा नहीं जाता, इतनी गंदगी होती है इसलिये." और वह अपनी टांगें फैलाकर खड़ी हो गयी.
उसकी बात मान कर मैं उसकी टांगों के बीच मुंह खोल कर सिर ऊपर करके बैठ गया. उसने मेरा सिर पकड़कर निशाना लगाया और रुपहली धार मेरे मुंह में गिरने लगी. प्रीति ने बड़े प्यार से अपना मूत मुझे पिलाया. मुंह भरते ही रुक जाते थी जिससे मैं स्वाद ले सकें. उधर चाची पास आकर प्रीति से लिपटकर खड़ी हो गई और उस कन्या चुंबन लेते हुए और उसके कच्चे उरोज दबाते हुए पास से इस अनूठे काम को देखने का मजा लेने लगीं.
चाची की धार जहां मोटी और धीमी थी, प्रीति की एकदम पतली और तेज थी, पिचकारी जैसी. स्वाद दोनों का एकदम मस्त था, बुर की सौंधी खुशबू से भिना हुआ. आखिर प्रीति का पूरा मूत पीकर मैं उठा और उसे उठा कर बिस्तर पर ले गया. वहां पटककर पहले उसकी बुर चुसी और फ़िर चाची पर चढ़ कर उन्हें चोद डाला.
चाची कहती ही रह गयीं. "अरे गांड नहीं मारेगा क्या, मैंने वायदा किया है तुझ से." मैंने कहा, "ऐसे सस्ते में थोड़े छोडूंगा चाची! आज तो झड़ झड़ कर लंड मुरझा गया है, तुम तो आराम से ले लोगी गांड में कल दोपहर को मारूंगा, मस्त खड़ा कर के. आप को भी तो पता चले कि जब मस्त सूजा लंड गांड में जाता है तो कैसा लगता है. उस रात को खड़ा किया था, उससे भी मोटा होगा कल."
दूसरे दिन सुबह से बड़ा सस्पेंस का माहौल था. चाची और प्रीति में रोज की तरह नौकरानी की आंख बचाकर एक दो बार चूमा चाटी हुई पर मैं अलग से मन शांत कर के बैठा था. लंड को जितना हो सकता था उतना आराम दे रहा था. मेरी ओर कनखियों से देख कर प्रीति हंस रही थी, उसे मालूम था कि मैं क्यों चुप बैठा हूं. ।
आखिर दोपहर हुई और हम हमेशा की तरह चाची के कमरे में इकठे हुए. कपड़े निकालने के बाद पहला काम मैंने यह किया कि दोनों का मूत पिया. वहीं कमरे के फ़र्श पर लेटकर और उन दोनों चुदैलों को अपने मुंह पर बिठाकर. दोनों को यह अपेक्षित नहीं था, उन्होंने सोचा था कि कल रात वाली बात तो मौके पर वासना के अतिरेक में हो गयी थी. पर जब मैंने खुद ही उनका मूत पीने में पहल की, यह कहते हुए कि मैंने कल ही कहा था कि आज से मेरी दोनों खूबसूरत साथिने मेरे मुंह के सिवाय कहीं नहीं मूतेंगी, तो प्रीति मेरे मुंह में मूतते हुए शैतानी से बोली.
"भैया, हाय पहले मालूम होता तो आपका चार पांच गिलास शरबत बेकार नहीं जाता. मैं और मौसी सुबह से दो बार बाथरूम जा चुके हैं." चाची ने उसे हटाकर मेरे मुंह पर बैठते हुए उसे डांट लगायी. "चुप कर शैतान, नौकरानी के आगे आखिर क्या करते? बोतल में मूत कर अनिल लल्ला के लिये रखते?"
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