RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
उधर चाची ने उसे पूरा मुंह खोलने को खा और धीरे धीरे पूरा केला उसके मुंह में डाल दिया. "पूरा गले तक ले अंदर बिटिया. दांत नहीं लगना चाहिये." पहली बार आधा केला ही प्रीति ले पायी और फ़िर खांसने लगी. केला बाहर निकाल कर उसे शांत करके चाची ने फ़िर उसे प्रीति के गले गले में उतारा. इधर मैं लगातार उसकी चूत चूस कर रसपान कर रहा था.
दस मिनिट में ही लड़की सीख गयी. आराम से आठ इंच का केला गले तक निगलकर जब बिना रुके पांच मिनिट चूसती रही तब चाची ने आखिर उसे निकाला और अपनी शिश्या को शाबासी दी. "बहुत अच्छे प्रीति, अब अगली बार ऐसा ही करना, देख कितना मजा आयेगा."
प्रीति के थूक से केला गीला और चिपचिपा हो गया था. मेरे मुंह में पानी भर आया. मेरी ललचायी आंखें देखकर चाची हंसने लगीं. "घबरा मत, यह मिठाई दोनों मिलकर खायेंगे." और हम दोनों ने प्रीति के मुखरस से सराबोर वह केला बड़े चाव से बांट कर खाया. मेरा लंड अब तक फ़िर खड़ा हो गया था. मैं मन ही मन सोच रहा था कि इस कच्ची कली को चोदने मिले तो मजा आ जाये. पर मैं कुछ न बोला. डरता था कि कन्या कहीं बिचक न जाये.
प्रीति अब गीता चाची से लिपट कर उनका एक निपल चूसते हुए उनका स्तन दबाने लगी. "गीता मौसी, अब चलो ना, अपनी चूत तो चुसवाओ, देखो मैं कब से प्यासी हूं." "अरे अनिल से चुसवा कर अभी मन नहीं भरा तेरा?" चाची ने उसके बाल चूमते हुए कहा. "अनिल भैया ने तो मुझे और गरम कर दिया है. आपके आगोश में ही अब यह आग बुझेगी." उस चुदासी से भरी कली ने फ़िल्मी डायलांग मारा.
मैं समझ गया कि चुपचाप बैठने की बारी मेरी थी. चाची मुझे बोलीं. "तू अब आराम से बैठ. इस प्यारी बच्ची को जरा दिखा दें कि मौसी का प्यार क्या होता है." कुर्सी में बैठ कर अपने सोंटे को सहलाता हुआ मौसी-भांजी की रति क्रीड़ा देखने लगा. दोनों आपस में लिपट कर पलंग पर लेट गईं.
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अगले एक घंटे में मानों मैंने जन्नत का नजारा देख लिया. गीता चाची की भरी पूरी परिपक्व जवानी और उस किशोर कमसिन लड़की का अधखिला लड़कपन, दोनों मिलकर कामदेव की पूजा करने लगे. हर तरह के खेल उन्होंने खेले. चुंबन, जीभ लड़ाना, स्तन मर्दन, चूत चुसाई इत्यादि इत्यादि.
पहले तो प्रीति मचली कि ठीक से अपनी मौसी की बुर देखेगी और चूसेगी. गीता चाची टांगें फैलाकर लेट गई और प्रीति झुक कर बड़े चाव से उनकी रिसती चूत को पास से देखने और चाटने लगी. "हाय मौसी, कितना गाढ़ा है तेरा पानी, शहद जैसा लगता है."
यहां यह बता दें कि चाची की बुर से जो रस बहता है वह अक्सर सफ़ेद रंग का और गाढ़ा चिपचिपा होता है. प्रीति भी उस पर फ़िदा हो गयी थी. मन भर कर उसने अपनी मौसी की चूत चाटी और चाची के सिखाने पर मुंह में भगोष्ठ लेकर आम जैसा चूसा. चूत सेवा करते हुए वह लगातार चाची की घनी काली झांटों से खेल रही थी. एक बार मुंह उठ कर पूछा भी. "मौसी, मेरी झांटें तो हैं ही नहीं, कब तेरे जैसी होंगी?"
फ़िर अपनी लाड़ली भांजी की टांगें फैलाकर चाची ने उसकी कुंवारी चूत की पूजा की, अपनी जीभ और होंठों से. उसे समझाया "बस तीन चार सालों में देख तेरी झांटें कैसी हो जायेंगी मेरी रानी. डर मत, हमारे यहां सब औरतों की घनी झांटें हैं, यह हमारे खून में ही है. मेरी बड़ी बहन की, अपनी मां की नहीं देखीं कभी? मैंने तो बचपन में खूब देखी हैं नहाते वक्त" नटखट सवाल किया चाची ने और फ़िर कुंवारी पूजा में लग गयी.
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