RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
वापस आयीं तो हाथ में एक मोटा गाजर और दो तीन बैंगन थे. मुस्कराते हुए वे वापस पलंग पर चढ़ीं और फ़िर गाजर अपनी चूत में डाल कर उससे मुठ्ठ मारकर दिखाई. लाल लाल मोटा गाजर उस नरम नरम चूत में अंदर बाहर होता देखकर मैं ऐसा उत्तेजित हुआ कि पूछो मत. मेरी खुशी देखकर वे हंसते हुए बोलीं. "यह तो कुछ नहीं है। लल्ला, अब देखो तमाशा." कहकर उन्होंने बैंगन उठा लिये. वे लंबे वाले बैंगन थे. पर फ़िर भी बहुत मोटे थे. मेरे लंड से दुगने मोटे होंगे. और फुट फुट भर लंबे थे.
"कभी सोचा है लल्ला कि इस घर में बैंगन की सब्जी इतनी क्यों बनती है?" उन्होंने शैतानी से बैंगनों को उलट पलट कर देखते हुए पूछा. मैं वासना से ऐसे सकते में था कि कुछ नहीं कह सका. आखिर चाची ने एक चुना. दूसरे
या तो ज्यादा ही टेढ़े थे या दाग वाले थे. उन्होंने जो चुना वह एकदम चिकना फुट भर लंबा होगा. नीचे से वह एक इंच मोटा था और धीरे धीरे बीच तक उसकी मोटाई तीन इंच हो जाती थी. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि चाची उस मोटे बैंगन को अपने शरीर के अंदर ले लेंगी. मैंने वैसा कहा भी तो गीता चाची हंसने लगीं.
"मैंने कहा था ना लल्ला कि मेरी चूत तो तुझे भी अंदर ले ले. अरे औरत की चूत को तू नहीं जानता. जब बच्चे का सिर निकल जाता है तो इस बैंगन की क्या बात है." कहकर उन्होंने डंठल को पकड़कर धीरे धीरे बैंगन अपनी चूत में घुसेड़ना शुरू किया. तीन चार इंच तो आराम से गया. फ़िर वे रुक गयीं और बड़ी सावधानी से इंच इंच करके उसे और अंदर घुसाने लगीं. मैं आंखें फ़ाड़ कर देखता रह गया. अंत में नौ इंच से ज्यादा बैंगन उन्होंने अंदर ले लिया. चूत अब बिलकुल खुली थी. उसका लाल छल्ला बैंगन को कस कर पकड़ा था. ऐसा लगता था कि फ़ट जायेगी.
पर चाची के चेहरे पर असीमित सुख था. आंखें बंद करके कुछ देर बैठा रहीं. फ़िर धीरे धीरे बैंगन अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगीं. कुछ ही देर में उनकी स्पीड बढ़ गयी. चूत भी अब इतनी गीली हो गयी थी कि बैंगन आराम से सरक रहा था. पांच मिनिट बाद तो वे सटासट मुट्ठ मार रही थीं. दूसरे हाथ की उंगली क्लिट को मसल रही थी. यह इतना आकर्षक कामुक नजारा था कि मैं भी मुट्ठ मारने लगा. वहां चाची झड़ीं और यहां मैं.
झड़ने के बाद में वे बहुत नाराज हुईं, यहां तक कि मुझे एक करारा तमाचा भी जड़ दिया. शायद और मार पड़ती पर मैंने कम से कम इतनी होशियारी की थी कि झड़ कर वीर्य को गिरने नहीं दिया था बल्कि अपनी बांयी हथेली में जमा कर लिया था. चाची ने उसे चाट लिया और तब तक उनकी बुर से बैंगन निकालकर उसे मैंने चाट डाला. उस रात उसी बैंगन की सब्जी बनी, यह बात अलग है.
पर उसके बाद चाची मुझे कुरसी में बिठाकर हाथ पैर बांध करके ही सब्जियों और फ़लों से मुठ्ठ मार कर दिखातीं. कोई चीज़ उन्होंने नहीं छोड़ी. ककड़ी, छोटी वाली लौकी, केले, मूली इत्यादि. छिले केले से हस्तमैथुन करने में एक फ़ायदा यह था कि मुठ्ठ मारने के बाद उनकी चूत में से वह मीठा चिपचिपा केला खाने में बड़ा मजा आता था. पर चाची केला ज्यादा इस्तेमाल नहीं करती थीं क्योंकि धीरे धीरे संभल कर हस्तमैथुन करना पड़ता था नहीं तो केला टूट जाने का खतरा रहता था.
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