RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
"तो चाची, प्लीज़ चोदने दीजिए ना, मैं पागल हो जाऊन्गा नहीं तो." वे इतरा कर अपने उरोज मेरे गालों पर रगड़ती हुई बोलीं. "इतनी जल्दी क्या है राजा, और मज़ा नहीं करोगे? बहुत उतावले हो लल्ला तुम, सब्र करना सीखो. तभी स्वर्ग का आनंद पाओगे" कहते हुए उन्होंने अपना दूसरा स्तन मेरे मुँह में दे दिया. मैं उनका निपल चूसने में जुट गया. हमारी सुखी चुदाई फिर शुरू हो गयी. मैं नीचे से और वे उपर से ऐसे धक्के लगा रहे थीं जैसे रति कर रही हों पर बीच में अभी भी कपड़े थे. दस बीस मिनिट मस्ती में गुजर गये. उन्हें भोगने को अब मैं बेताब था.
आख़िर मेरी उत्तेजना देखकर उन्होंने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा. "अनिल बेटे, मेरे साथ उनसठ का खेल खेलोगे? तुझे उज्र तो नहीं है?" मैं पहले समझा नहीं फिर एकदम दिमाग़ में बात आ गयी कि चाची सिक्सटी नाइन की बात कर रही हैं. मेरा रोम रोम सिहर उठा. मानों उन्होंने मेरे मन की बात कहा दी थी. किताबों में पढ़ा और चित्रा देखे थे पर अब यह मतवाली रसीली चाची खुद ही यह करने को मुझे कह रही थी.
असल में कल से जब से मुझे उनकी गोरी गोरी बुर के दर्शन हुए थे, उस मुलायम बुर को चोदने को तो मैं आतुर था ही, पर उसके भी पहले मेरे मन में यही बात आई थी कि अगर इस रसीली चूत में मुँह मारने मिले तो क्या बात है. चाची के मुँह से मेरे मन की बात सुन कर मैं चहक उठा. मेरे लंड में आए अचानक उछाल से वे समझ गयीं कि उनका भतीजा भी उनके रस का प्यासा है.
मेरे मुँह से अपना निपल खींच कर वे उलटी तरफ से मेरे सामने लेट गयीं. "तो सिक्सटी नाइन करेगा मेरे साथ मेरा राजा. मैं तो समझती थी कि तुझे शायद अच्छा ना लगे." मैंने उत्सुक स्वर में कहा "क्या बात करती हो चाचीज़ी. मैं तो मरा जा रहा हूँ इस अमृत के लिए. शाम से मुँह में पानी भरा है."
अपनी साड़ी उपर कर के खिलखिलाते हुए उन्होंने अपनी एक टाँग उठाई और मेरे सिर को अपनी जीँघों में खींचते हुए बोलीं. "तो आ जाओ लल्ला, इतना रस पिलाऊन्गि की तृप्त हो जाओगे" उनकी साड़ी अब कमर के उपर थी और मोटी मांसल जांघें एकदम नंगी थीं. उनकी निचली जाँघ को मैं तकिया बनाकर लेट गया और उंगलियों से उनकी रेशमी झान्टे बाजू में कर के उस खजाने को देखने लगा.
धुंधली चाँदनी में बहुत सॉफ तो नहीं दिख रहा था पर फिर भी उस लाल चूत की झलक से मैं ऐसा मस्त हुआ कि सीधा उस निचले मुँह का चुंबन ले लिया. पास से उसकी मादक खुशबू ने मुझे पागल सा कर दिया. जीभ निकालकर मैं चाची की बुर चाटने लगा. वह बिलकुल गीली थी. गाढा छिपचिपा शहद जैसा रस उसमें से टपक रहा था. उस कसैले खट्टे मीठे स्वाद से विभोर होकर मैं बेतहाशा चाची की चूत चाटने और चूसने लगा.
चाची साँस रोककर देख रही थीं कि मैं क्या करता हूँ. मेरे इस अधीरता से चूत चाटना शुरू करने पर वे मस्ती से कराह उठीं. "हाय लल्ला, तू तो जादूगर है, ज़रा भी सिखाना नहीं पड़ा. बस ऐसा कर कि बीच बीच में जीभ भी डाल दिया कर अंदर." और फिर उन्होंने मेरे लंड पर ताव मारना शुरू कर दिया. पहले उसे खूब चूमा, चाटा और फिर मुँह में लेकर चूसने लगीं.
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