RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
मुझे अपनी ओर खींचते हुए उनका हाथ मेरे लंड को लगा और वे हँसने लगीं. " तो यह बात है, सचमुच बड़ा हो गया है मेरा प्यारा भतीजा. पर यह क्यों हुआ रे, किसी गर्लफ़्रेंड की याद आ रही है?" कह कर उन्होंने सीधा पाजामे के उपर से ही मेरे लंड को पकड़. लिया और सहलाने लगीं.
अब तो मेरा और रुकना मुश्किल था. मैं सरक कर उनकी ओर खिसका और उनके शरीर पर अपनी बाँह डालकर चिपट गया जैसे बच्चा माँ से चिपटता है. उनके सीने में मुँह छुपाकर मैं बोला. "चाची क्यों तरसाती हैं मुझे? आप को मालूम है कि आपके रूप को देखकर शाम से मेरा क्या हाल है."
चाची ने मेरा मुँह उपर किया और ज़ोर से मुझे चूम लिया. "तो मेरा भी हाल कुछ अच्छा नहीं है लल्ला. तेरे इस प्यारे जवान शरीर को देखकर मेरा क्या हाल है, मैं ही जानती हूँ."
कुछ भी बातें करने का अब कोई मतलब नहीं था. हम दोनों ही बुरी तरह से कामातुर थे. एक दूसरे को लिपट कर ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे के होंठ चूमने लगे. चाची के उन रसीले होंठों के चुंबन ने कुछ ही देर में मुझे चरम सुख की कगार पर लाकर रख दिया. उनका आँचल अब ढल गया था और चोली में से उबल कर बाहर निकल रहे वे उरोज मेरी छाती से भिड़े हुए थे. मेरा उत्तेजित शिश्न कपडो के उपर से ही उनकी जांघों को धक्के मार रहा था.
मेरे मुँह से एक सिसकारी निकली और चाची ने चुंबन तोड. कर मेरे लंड को टटोला और फिर मुझे चित लिटा दिया. "लल्ला अब तुम्हारी खैर नहीं, मुझे ही कुछ उपाय करना होगा." कहकर वे मेरे बाजू में बैठ गयीं और पाजामे के बटन खोल कर मेरे जांघीए की स्लिट में से उन्होंने मेरा उछलता लंड बाहर निकाल लिया.
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