RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
वापस आईं तो दोनों मच्छरदानियाँ फटी निकलीं. गीता चाची मेरी नज़रों में नज़र डाल कर बोलीं. "मच्छर तो बहुत हैं अनिल, सोने नहीं देंगे. गरमी इतनी है कि नीचे सोया नहीं जाएगा. ऐसा कर, तू खाटे सरकाकर मिला ले, मैं डबल वाली मच्छरदानी ले आती हूँ. तू शरमाएगा तो नहीं मेरे साथ सोने में? वैसे मैं तेरी चाची हूँ, माँ जैसी ही समझ ले."
मैं शरमा कर कुछ बुदबूदाया. चाची मंद मंद मुस्कराकर डबल मच्छरदानी लेने चली गयीं. वापस आईं तो हम दोनों उसे बाँधने लगे. मैंने साहस करके पूछा. "चाची, आजू बाजू वाले देखेंगे तो नहीं." वी हँस पडी. "इसका मतलब है तूने छत ठीक से नहीं देखी." मैंने गौर किया तो समझ गया. आस पास के घरों से हमारा मकान बहुत उँचा था. दीवाल भी अच्छी उँची थी. बाहर का कोई भी छत पर नहीं देख सकता था.
तभी चाची ने मीठा ताना मारा. "और लोग देखें भी तो क्या हुआ बेटे. तू तो इतना सयाना बच्चा है, तुरंत सो जाएगा सिमट कर." मैंने मन ही मन कहा की चाची मौका दो तो दिखाता हूँ की यहा बच्चा तुम्हारे मतवाले शरीर का कैसे रस निकालता है.
आख़िर चाची नीचे जाकर ताला लगाकर बत्ती बुझाकर उपर आईं. मैं तब तक मच्छरदानी खोंस कर अपनी खाट पर लेट गया था. चाची भी दूसरी ओर से अंदर आकर दूसरी खाट पर लेट गईं.
पास से चाची के बदन की मादक खुशबू ने फिर अपना जादू दिखाया और मेरा मस्त खड़ा हो गया. चाची भी गप्पें मारने के मूड में थीं और फिर वही गर्ल फ्रेन्ड वाली बातें मुझसे करने लगीं. मेरा लंड अब तक अपनी लगाम से छूटकर पाजामे में तम्बू बना कर खड़ा हो गया था.
हल्की चाँदनी थी इसलिए काफ़ी सॉफ सब दिख रहा था. लंड के तम्बू को छुपाने के लिए मैं करवट बदल कर पीठ चाची की ओर करके लेट गया तो हँस कर उन्होंने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे फिर अपनी ओर मोडा. "शरमाओ मत लल्ला, क्या बात है, ऐसे क्यों बिचक रहे हो?"
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