RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
मेरा हाल देखा कर चाची ने मुझ पर तरस खाया और अपना छिछोरापन रोक कर मेरा कमरा ठीक करने को उपर चली गईं. मुझे अपना लंड बिताने का समय देकर कुछ देर बाद बातें करती हुई मुझे कमरे में ले गयी. "शाम हो गयी है अनिल, तुम नहा लो और नीचे आ जाओ. मैं खाने की तैयारी करती हूँ."
"इतनी जल्दी खाना चाची?" मैंने पूछा. वे मेरी पीठ पर हाथ रख कर बोलीं. "जल्द खाना और जल्द सोना, गाँव में तो यही होता है लल्ला. तुम भी आदत डाल लो." और बड़े अर्थपूर्ण तरीके से मेरी ओर देखकर वे मुस्कराने लगीं.
मैं हडबड़ा गया. किसी तरह अपने आप को समहाल कर नहाने जाने लगा तो पीछे से चाची बोली. "जल्दी नहाना अच्छे बच्चों जैसे, कोई शरारत नहीं करना अकेले में" और खिलखिलाती हुई वे सीढ़ियाँ उतर कर रसोई में चली गईं. मैं थोड़ा शरमा गया क्योंकि मुझे लगा कि उनका इशारा इस तरफ था कि नहाते हुए मैं हस्तमैथुन ना करूँ.
चाची के इस खेल से मेरे मन में एक बड़ी हसीन आशा जाग उठी. और वह आशा विश्वास में बदल गयी जब मैं नहा कर रसोई में पहुँचा. अब मैं पूरी तैयारी से आया था. मन मार कर किसी तरह मैंने अपने आप को हस्तमैथुन करने से रोका था. बाद में लंड को खड़ा पेट से सटाकर और जांघिया पहनकर उपर से उसी पर मैंने पाजामे की नाड़ी बाँध ली थी और उपर से कुर्ता पहन लिया था. अब मैं चाहे जितना मज़ा ले सकता था, लंड खड़ा भी होता तो किसी को दिखता नहीं.
चाची रसोई की तैयारी कर रही थीं. मैं वहीं कुर्सी पर बैठ कर उनसे बातें करने लगा. चाची ने कुछ बैंगन उठाए और हांसिया लेकर उन्हें काटने मेरे सामने ज़मीन पर बैठ गयीं. अपनी साड़ी घुटनों के उपर कर के एक टाँग उन्होंने नीचे रखी और दूसरी मोड. कर हँसिए के पाट पर अपना पाँव रखा. फिर वे बैंगन काटने लगीं.
उनकी गोरी चिकनी पिंडलियों और खूबसूरत पैरों को मैं देखता हुआ मज़ा लेने लगा. वे बड़े सहज भाव से सब्जी काट रही थीं. अचानक मुझे जैसे शौक लगा और मेरा लंड ऐसे उछला जैसे झड. जाएगा. हुआ यहा कि चाची ने आराम से बैठने को थोड़ा हिल डुलकर अपनी टाँगें और फैलाईं. इस से उनकी गोरी नग्न जांघें तो मुझे दिखी हीं, उनके बीच काले घने बालों से आच्छादित उनके गुप्ताँग का भी दर्शन हुआ. गीता चाची ने साड़ी के नीचे कुछ नहीं पहना था!
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