RE: bahan sex kahani बहन की कुँवारी चूत का उद्...
वो गुस्से मे भरकर खुद ही अपनी चूत को बुरी तरह से मसल्ने लगी एक हाथ उसका अपनी चूत पर था और दूसरे मे अभी तक जय का पैर था जिसे उसने उत्तेजना मे भरकर बुरी तरह से दबा रखा था उसके नाख़ून जय को चुभ रहे थे पर उसके मुँह से उफ्फ नही निकल रही थी,
काजल अपनी ही धुन मे, आँखे बंद करके अपनी चूत मसल रही थी
कि तभी, उसके कानो मे जय की आवाज़ टकराई
”काजल अगर तू चाहे तो क्या मैं करूँ ”
जय भाई के मुँह से ऐसी बात की उम्मीद किसी को नही थी काजल को तो बिल्कुल ही नही.
पर मुझे और पायल दी को थी शायद, और वो ऐसा करे, इसलिए ही पायल दी ने वो प्लान बनाया था काजल की चूत को चूस्कर उसे अधर मे लटका कर छोड़ने का
और अब उसकी अधूरी प्यास, उसका खुद का भाई बुझाने आ रहा था
काजल के मुँह से लड़खड़ाती हुई सी आवाज़ मे निकला
”हां भाई आ जाओ प्लीज़ सक मी, ”
काजल की हां करने की देर थी और वो उछलकर पानी मे कूद गया, उसे अपने कपड़ो की भी परवाह नही थी कि वो गीले हो रहे है और ना ही उस बियर की जो उसने नीचे फेंक दी और वो भी ठीक काजल के चेहरे के करीब, वो बहती हुई बियर उसके नशीले बदन से टकराई और उसमे और नशा पैदा करने लगी.
जय का लंड तो पहले से ही बाहर निकला हुआ था, पानी मे भी उसके खड़े हुए लंड को सॉफ देखा जा सकता था, वो ठीक उसी पोज़िशन मे आकर खड़ा हो गया जिसमे कुछ देर पहले पायल दी खड़ी थी..
अपनी जवान बेहन के नंगे बदन को इतने करीब से देखने के बारे मे उसने शायद सपने मे ही सोचा होगा आज तक, और आज वो सपना सच होकर उसके सामने..
नंगी काजल की शक्ल मे पड़ा था, उसकी आँखो मे लाल डोरे तैर रहे थे, काजल के चिकने बदन को देख कर, उसके फूले हुए सीने को देख कर और उसकी रिस रही चूत की पंखुड़ियो को देख कर उसका लंड बुरी तरह उपर नीचे हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे पानी मे कोई बवंडर बन रहा है,
और उसने अपनी कमसिन बेहन की जांघे पकड़ कर अपने कंधे पर रख ली और उस मांसल जाँघ पर उसने अपने होंठ लगा कर ज़ोर से साँस ली.
”अहह उम्म्म्म भाय्य्याअ”
अपने भाई की गर्म साँसे उसे अपने बदन पर जलती हुई सी महसूस हो रही थी., जय ने अपना मुँह खोला और उसकी जाँघ पर काट लिया, और काटता चला गया, जैसे उसकी मांसल टाँग का टंगड़ी कबाब बनाकर छोड़ेगा, और उसकी सफेद जाँघ पर लाल-2 निशान बनाता हुआ वो धीरे-2 उपर आने लगा, उसकी चूत की तरफ.
अपनी जाँघ पर इतने हिंसक तरीके से हमला होता देख कर, अपनी नर्म चूत की चिंता सताने लगी थी काजल को, शायद ये सोचकर कि जब यहाँ ऐसे काट रहा है तो चूत से तो उसने खून निकाल देना है, वो उसके सिर को पकड़ कर दूर धकेलने लगी, पर अंदर ही अंदर, अपनी चूत से निकल रही तरंगो को महसूस करके, वो उतनी ताक़त नही लगा रही थी ,जिससे उसे दूर रखा जा सके.
इसलिए धीरे-2 जय का चेहरा उसकी चूत के करीब आने लगा, और जल्द ही वो ठीक उसकी चूत पर आकर रुक गया, काजल को ऐसा लगा जैसे वक़्त ही रुक गया है, वो अपनी प्यासी आँखो और जीभ से उसकी नंगी चूत को देख रहा था और उसकी गुलाबी सुंदरता मे खोकर उसके मुँह से लार निकल कर उसकी चूत पर जा गिरी…
काजल को ऐसा लगा जैसे गर्म तवे पर पानी की बूँद आ गिरी है.अभी तक जय को रोकने मे लगी काजल मे ना जाने कैसी ठरक चढ़ि की उसने उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींचा और ज़ोर से चिल्लाई
”अहह चुसूओ नाआआअ भाईईईईईईईई.”
और जैसे ही जय का मुँह अपनी बेहन की चूत पर आकर लगा , दोनो के मुँह से एक कंपा देने वाली सिसकारी निकल गयी. ऐसा लगा जैसे देसी घी का तड़का लग गया है, ऐसी सनसनाहट सी निकल रही थी दोनो की सांसो से.
ये उन भाई बेहन का वो मिलन था , जिसकी वजह हम दोनो भाई बेहन बन चुके थे.
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