RE: bahan sex kahani बहन की कुँवारी चूत का उद्...
मेरी आँखे कभी उनके और कभी काजल के मम्मों का अवलोकन करने लगी..
वो बोली : “इट्स ओके… तुम स्टाचु की पोज़िशन मे हिल तो नही सकते पर बोल सकते हो… बोलो…”
मुझे थोड़ी राहत मिली..
मैं बोला : “दी… आपके ही सही लग रहे है अभी तो…”
वो तुनक सी गयी मेरा जवाब सुनकर , और बोली : “अभी तो से क्या मतलब है… मेरे ही अच्छे है… उसके तो छोटे है… देख ले..”
उसने टी-शर्ट के उपर से ही काजल के मम्मों को उभार कर उपर कर दिया.. मेरी तो फट कर हाथ मे आ गयी, ऐसे मे अगर काजल जाग गयी तो उसने सब देख लेना था, मैं दीदी के उपर ही लेटा सा हुआ था और वो इस वक़्त टॉपलेस थी, हम दोनो को ऐसी हालत मे देख कर अगर उन्होने शोर मचा दिया तो सारा खेल खराब हो जाएगा…
पर ऐसा हुआ नही, वो अभी भी गहरी नींद मे थी, उसे तो कोई फ़र्क ही नही पड़ा दीदी के हाथ लगाने से, उसके खर्राटे पहले की तरह निकलते रहे..
मैने एक बार और चैन की साँस ली..
और बोला : “दीदी… ऐसा मत करो.. वो जाग गयी तो सब गड़बड़ हो जाएगा…”
पायल : “वो नही जागेगी, मुझे पता है कि वो कितनी गहरी नींद मे सोती है.. इसके सारे कपड़े भी उतार दे तो भी ये ऐसे ही सोती रहेगी…”
मैं : “सच मे…”
पायल : “और नही तो क्या… देखना चाहता है… रुक…”
इतना कह कर उन्होने पहले तो मुझे रिलीस कहा, ताकि मैं स्टाचु की पोज़िशन से बाहर निकल आउ और फिर धीरे से उन्होने काजल की टी शर्ट को उपर करना शुरू कर दिया.. पूरी उतारना तो मुश्किल था पर उन्होने उसे उपर लेजाकर उसकी छातियो से उपर ज़रूर कर दिया…
नीचे उसने ब्लॅक कलर की एक ब्रा पहनी हुई थी.. दीदी ने उसकी ब्रा का कप्स को नीचे कर दिया और उसकी नन्ही बूबीयाँ बाहर खींच कर निकाल दी…
एक तो पहले ही दीदी अपनी छातियों का जलवा दिखाकर मुझे ललचा रही थी और अब काजल को भी उन्होने अपने जैसा टॉपलेस बनाकर मेरी हालत पतली करने मे कोई कसर नही छोड़ी थी..
अब आप ही बताओ दोस्तो, जिसने आज तक कोई नंगी लड़की ना देखी हो, उसे एक ही दिन मे 2-2 नंगी लड़कियाँ देखने को मिल जाए, उसका क्या हाल होगा… और उपर से वो दोनो उसकी सेक्सी बहने हो…
बस वही हाल मेरा हो रहा था… समझ नही आ रहा था कि किसकी छातियो पर नज़र जमा कर रखूं.. दीदी की ब्रेस्ट थोड़ी बड़ी थी, पर काजल की एकदम कड़क और अन्छुई सी थी.. उसके निप्पल्स बहुत लंबे थे, सोए होने के बावजूद वो दीदी के निपल्स से बड़े लग रहे थे, उन्हे चूसने मे कितना मज़ा आएगा, ये बस मैं ही जानता था…
पायल : “अब बोलो … किसके बढ़िया है…”
अब मैं इस अवस्था मे भला क्या बोलता.. काजल के बूब्स की तारीफ करने का मतलब था कि दीदी को एक बार फिर से नाराज़ करना.. इसलिए मैने कहा : “दीदी.. आपके… इनसे अच्छे बूब्स किसी के हो ही नही सकते…”
ये सुनकर दीदी मुस्कुरा दी… उनके चेहरे पर एक अभिमान सा आ गया.. जैसे कोई जंग जीत ली हो उन्होने…
और अब मैं अच्छी तरह से जान चुका था कि दीदी को इसी तरह मक्खन लगा कर अपना काम निकलवाया जा सकता है… और इस काम मे तो मैं माहिर था..
आज की रात मुझे इसी बात का ध्यान रख कर उनके साथ पूरी तरह से मज़े लेने थे और मैं झुलस भी रहा था, इतना कि मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था, उसमे दर्द होने लगा, ऐसा लग रहा था जैसे वो फट ही जाएगा..
मेरी मनोदशा शायद वो समझ चुकी थी, इसलिए उनके हाथ सीधा मेरे पाजामे के उपर आकर मेरे लंड को टटोलने लगे.. वो तो पहले से ही उनके हाथो मे जाने के लिए कुलबुला रहा था, उन्होने एक ही झटके मे मेरे पाजामे को नीचे किया और उसे आज़ाद करा लिया.
पिछली बार की तरह आज भी जैसे ही उन्होने मेरे लंड को अपनी नर्म हथेली मे पकड़ कर ज़ोर से मसला, मेरे मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकल गयी.
”अहह डीईईईईईई.. आप इसको धीरे पकड़ा करो.. नाआ.. अहह’
पर उन्हे शायद मेरे दर्द को देख कर कुछ अलग ही मज़ा मिलता था, वो मुस्कुरा दी, मैं समझ गया कि शेतानी प्रवृति की इंसान है वो.. मैं भी कम नही था, मैं भी उनके नंगे स्तनों पर टूट पड़ा और अपने पैने दांतो से उनके निपल्स को काट डाला…
वो तड़प उठी.. और अपना शरीर उन्होने कमान की भाँति हवा मे उठा लिया, मेरा खड़ा हुआ लंड बुरी तरह से उनकी चूत वाले हिस्से पर घिस्से लगा रहा था.
एक बार फिर से दीदी के पाजामे ने उन्हे चुदने से बचा लिया वरना इस वक़्त मेरा खड़ा हुआ लंड सीधा उनकी चूत मे उतर गया होता..
दीदी की चूत मे लंड घुसने की कल्पना मात्र से मैं सिहर उठा… काश ऐसा हो जाए कभी… पर अपनी ठरक को मैं खुद दिखाकर वो गंदा काम नही करना चाहता था, क्या पता दीदी सिर्फ़ उपर के मज़े लेना चाहती हो, चुदाई करने की बात बोलकर मैं उनके सामने कोई गुस्ताख़ी नही करना चाहता था, पता चले कि ये जो मिल रहा है वो भी हाथ से निकल जाए…
इसलिए उस बात की फिकर छोड़कर मैं उन्हे चूमने मे लग गया… इनकी नारंगियो मे काफ़ी माल भरा हुआ था, जिसे मसल्ने मे काफ़ी मज़ा मिल रहा था..
अचानक दीदी की गहरी सांसो मे डूबी आवाज़ सुनाई दी मुझे… वो मेरे लंड को पकड़ कर बोली : “उम्म… ये कितना सख़्त है… आइ वॉंट टू सक इट.. मुझे ये चूसना है… अभी के अभी..”
इतना कहते हुए उन्होने मुझे अपनी जगह पर लिटा दिया और खुद उठकर मेरी टाँगो के बीच बैठ गयी… मेरा पाजामा तो पहले ही नीचे तक गिर चुका था, अपनी दोनो टाँगो के बीच बैठी हुई पायल दीदी इस वक़्त मुझे ऐसी लग रही थी जैसे झील मे कोई नंगा कमल खिल गया हो… उनके उपर नीचे हो रहे बूब्स देख कर मेरी उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच चुकी थी.
फिर उन्होने मेरी आँखो मे देखते-देखते मेरे लंड पर अपने होंठों का रिंग लगा दिया… ऐसा लगा जैसे मेरे लंड पर कोई गुब्बारा बाँध दिया हो, जिसके अंदर पानी भरा हुआ था..
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