bahan sex kahani बहन की कुँवारी चूत का उद्घाटन
04-23-2019, 12:01 PM,
#10
RE: bahan sex kahani बहन की कुँवारी चूत का उद्...
ऐसा शायद और भी काफ़ी देर तक चलता रहता और शायद बहुत कुछ और भी हो जाता अगर नीचे के दरवाजे की बेल ना बजी होती…



हम दोनो ने एक दूसरे को देखा, कोई बाहर के दरवाजे की बेल लगातार बजाए जा रहा था.. और दोनो के मन का चोर एक साथ बोल पड़ा कि कहीं ये मम्मी तो नही है जो घर वापिस आ गयी है…



दीदी तो नंगी थी, मेरे कपड़े भी थोड़े बहुत गीले हो गये थे उनके पानी से भीगे बदन को बाहों मे लेने की वजह से…



पर फिर भी बाहर जाया जा सकता था… मैने अपना हुलिया ठीक किया और दरवाजा खोने भागा..



पर मन ही मन मेरी हालत खराब हो रही थी.



दरवाजा खोला तो मैं हेरान रह गया, सामने मेरी मौसी की लड़की काजल और उसका भाई जय खड़े थे.. मैं उन्हे देख कर जितना हैरान था उतना ही खुश भी था..



मेरी मौसी आगरा मे रहती है और उनके दोनो बच्चे लगभग हमारी ही उमर के है.. अक्सर छुट्टियों मे हम एक दूसरे के घर पर जाया करते थे, इन दोनो से मिलने के लिए तो मैं हमेशा तैयार रहता था.



उन्हे गले से लगाकर, हाथ मिलाकर अंदर बिठाया मैने, तब तक पायल दीदी भी कपड़े पहन कर नीचे आ गयी, और मेरी तरह वो भी उन्हे देख कर हैरान रह गयी.. पर साथ ही साथ खुश भी काफ़ी हुई.



तब उन दोनो ने बताया कि यहाँ आने के प्रोग्राम के बारे मे हमारी मोम को ऑलरेडी पता था, ये तो बस काजल और जय हम दोनो को सर्प्राइज़ देना चाहते थे, इसलिए हमे नही बताया गया था इस बारे मे.. पर उन दोनो से मिलकर काफ़ी अच्छा लगा.. अब वो अगले 1 हफ्ते के लिए यहीं रहने वाले थे.



मैने पायल दीदी की तरफ देखा, खुश तो वो भी थी उनके आने से पर इस वक़्त उन्होने आकर जिस तरह से हम दोनो को डिस्टर्ब किया था, उसका गुस्सा भी उनके चेहरे पर सॉफ देखा जा सकता था.



पर पायल दीदी समझदार थी, वो जान चुकी थी कि जहाँ तक हम दोनो इस गेम के ज़रिए निकल आए है, वहाँ से सिर्फ़ आगे जाया जा सकता है, पीछे नही और एक ही घर मे रहने की वजह से ऐसे कई मोके और मिलेंगे जिसमे हम दोनो भाई बहेन ऐसी मस्तियाँ जारी रख सकते है.



अब मैं आपको काजल के बारे मे बता देता हूँ, वो मुझसे 2 महीने छोटी है, और मैं उसे अपनी छोटी बहेन की तरह ही मानता था.. मानता था मैने इसलिए कहा क्योंकि वो 2 साल पहले तक छोटी ही लगती थी. बाल बिखरे हुए से, चेहरे पर कोई रोनक नही होती थी.. बात-2 पर लड़ती झगड़ती रहती थी.. देखने मे वो थोड़ी काली थी और बॉडी बिल्कुल फ्लॅट थी उसकी..



पर पिछले साल जब मैं मौसी के घर रहने गया था तो उसका बदला हुआ रूप देख कर मैं हैरान रह गया था, वो भी 12थ मे आ चुकी थी और उसके पहनावे मे तो ज़मीन आसमान का अंतर आ चुका था…



हमेशा वेस्टर्न कपड़े पहनती थी वो जिनमे उसके शरीर के कटाव सॉफ नज़र आते थे और तभी मुझे पता चला था कि उसके बदन मे कहाँ-2 और कैसे-2 बदलाव आ चुके है… उसकी छातियाँ निकल आई थी जो करीब 32 के साइज़ की थी… गान्ड वाला हिस्सा भी उभरकर उतना ही बाहर आ चुका था जितनी छातिया बाहर थी..



उपर से उसकी अदाए, उसका चलने का तरीका और बोलने का अंदाज, सब बदल चुका था… उसकी सेक्सी आँखो मे एक अलग ही शरारत झलकने लगी थी… और उस शरारत को महसूस करके कई बार मेरा मन उसके लिए बेईमान हुआ था… और तभी से मैं उसके बारे मे गंदा सोचने लगा था और तभी से मैं उसे अपनी बहेन की तरह नही बल्कि एक कच्ची कली की तरह देखने लगा जो कभी भी फूल बन सकती थी.



वहीं जय, दीदी से 2 साल बड़ा था, वो कॉलेज के 2न्ड एअर मे था, उसकी और दीदी की हमेशा लड़ाई हुआ करती थी, पर पिछले 1-2 सालो मे काफ़ी कुछ बदल चुका था, शायद उनकी लड़ाई भी ख़त्म हो चुकी थी.



शाम को जब मोम आई तो सभी ने मिल जुलकर धमाल किया… पापा हम सभी को एक अच्छे से रेस्टोरेंट मे ले गये.. मैने नोट किया कि जय की नज़रें दीदी के उपर ही थी, शायद वो भी उनके शरीर मे आए बदलाव को देख कर हैरान था.. हालाँकि दीदी को इस बात का इल्म नही था कि जय उन्हे घूर रहा है, वो तो मुझे ही देखने मे लगी हुई थी… जबकि मैं काजल को ताड़ रहा था..



मेरे मन मे ये विचार भी आया की काश ऐसा हो जाए कि हम सभी भाई बहेन आपस मे एक दूसरे के साथ मज़े कर सके… जय मेरी दीदी के साथ और मैं जय की बहेन यानी काजल के साथ…



पर ये सोचने मे ही इतना अटपटा लग रहा था कि करने मे कैसा लगेगा वो… खैर ये तो मेरे दिमाग़ मे चल रहे गंदे ख़याल थे, जो सच होंगे या नही इसका कोई अता-पता नही था..



पर एक बात तो पक्की थी, काजल के दिल मे ज़रूर कुछ चल रहा था मेरे लिए.. इसलिए जब भी हम दोनो की नज़रें आपस मे मिलती तो वो मुस्कुरा देती.. और एक लड़का होने की वजह से मुझे पता था कि ऐसी मुस्कुराहट का मतलब क्या होता है… उसकी आँखो की चमक भी एक अलग ही इशारा कर रही थी, एक बार तो उसने मुझे आँख भी मारी.. और उसी वक़्त मैने निश्चय कर लिया कि मैं उसपर भी हाथ आजमा कर ही रहूँगा..



इस बीच मैं थोड़ी देर के लिए भूल चुका था कि मेरा और पायल दीदी का खेल अधूरा सा रह गया है, जिसकी मुझसे ज़्यादा उन्हे चिंता थी शायद.



रात को जल्दी सोने का कोई मतलब नही था, छुट्टियां जो चल रही थी, इसलिए हम चारो ड्रॉयिंग रूम मे बैठकर मूवी देखने लगे..


जय अपने साथ पेन ड्राइव मे हॉरर मूवी कॉंज्रिंग 2 लेकर आया था, और पायल दीदी को हमेशा से ही हॉरर मूवीस पसंद थी, इसलिए सभी देखने बैठ गये..
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