RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
और विक्रम ने शीतल के कमरे से तौलिया लेकर बाथरूम का दरवाजा खटखटाया- माँ… तौलिया ले लो.
शीतल- दरवाजा खुला है… अंदर आ के रख जा…
विक्रम ने बाथरूम का दरवाजा धीरे से खोला और अंदर गया. विक्रम ने देखा कि माँ ने सिर्फ पेटीकोट पहना हुआ है. शीतल का पेटीकोट उसकी चूचियों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसका नाड़ा शीतल ने अपने दांतों से पकड़ा हुआ है. इस अवस्था में उसकी जांघें और दोनों टाँगें बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी.
शीतल ने अपने एक साथ से साबुन और एक हाथ से लूफा (बदन को रगड़ कर साफ करने वाली चीज़) पकड़ी हुई थी, उसका पूरा शरीर भीगा हुआ था, उसका पेटीकोट भी भीगा हुआ था और उसके भीगे होने की वजह से वो शीतल के पूरे शरीर में चिपका हुआ था. शीतल इस अवस्था में बहुत ही कामुक लग रही थी. उसकी चूचियां और गांड कपड़े से ढके होने के वावजूद भी पूरी दिखाई दे रही थी.
विक्रम अपनी माँ का जिस्म देखकर अवाक् रह गया, फिर अपने आप को वापिस होश में लेकर अपनी माँ से पूछा- माँ… तौलिया कहा रखूं?
शीतल ने बाथरूम के खूंटी तरफ इशारा किया. विक्रम तौलिया रखकर बाहर जाने लगा तो शीतल बोली- अच्छा सुन बेटा!
विक्रम- हाँ माँ…
शीतल- अब जो तू अंदर आ ही गया है तो क्या मेरी पीठ में साबुन लगा देगा?
विक्रम- जरूर माँ…
विक्रम को शीतल ने साबुन दिया, पेटीकोट ऊपर तक होने की वजह से पीठ आधे से ज्यादा ढकी हुई थी. विक्रम ने ऊपर के थोड़े हिस्से जो खुले हुए थे, उनमें साबुन लगाया. उसको अपनी कामुक माँ की पीठ की त्वचा बहुत ही मुलायम लगी, उसको अपनी माँ को साबुन लगाने माँ बहुत मजा आया, वो बोला- माँ…
शीतल- हाँ बेटा?
विक्रम- आपकी पीठ तो ढकी हुई है, नीचे साबुन कैसे लगाऊं?
शीतल- अच्छा रुक… मैं पेटीकोट नीचे करती हूँ.
और शीतल ने अपना पेटीकोट के नाड़े को दांतों से छुड़ाकर हाथ से पकड़ लिया, उसको कमर तक नीचे सरकाया जिससे उसकी माँ की पीठ पूरी नंगी हो गयी. साथ ही साथ आगे से चूचियां भी नंगी हो गयी.
शीतल का चेहरा बाथरूम के शीशे की तरफ था और विक्रम शीतल के पीछे खड़ा था तो जब शीतल की चूचियां पूरी नंगी हो गयी तो वो सामने शीशे में शीतल की खुली चूचियों को साफ़ देख सकता था.
अब विक्रम का लंड उत्तेजना में खड़ा हो गया था. उसकी माँ उसके सामने लगभग नग्न खड़ी थी वो भी भीगी हुई. वो बहुत ही ज्यादा कामुक लग रही थी. शीतल ने उसको अपनी चूचियों को ताड़ते हुए देखा… फिर वो बोली मुस्कुराती हुई- ये तुम्हें बहुत अच्छी लग रही है क्या?
विक्रम हड़बड़ाते हुए- क.. क्या… माँ…
शीतल- यही जो तुम देख रहे हो?
विक्रम- म… मैं.. वो…
शीतल हँसती हुई- अरे कोई बात नहीं… घबरा क्यूँ रहे हो? मैं तुम्हारी माँ हूँ… तुमने इन्हें बहुत बार देखा है. मैं तो बस पूछ रही थी कि ये तुम्हें कैसी लगी?
विक्रम संभलते हुए- ऐसी कोई बात नहीं है माँ… ये अच्छी हैं… बहुत सेक्सी!
शीतल- अच्छा? चलो साबुन लगाओ.
और विक्रम साबुन लेकर अपनी माँ की नंगी पीठ में लगाने लगा, फिर अपने दोनों हाथों से शीतल का पीठ रगड़ने लगा. और वो कुछ देर में अपना हाथ धीरे से थोड़ा सा नीचे ले गया और शीतल की गांड को भी थोड़ा-थोड़ा मसल दिया.
शीतल ने उसको कुछ नहीं बोला तो उसका हौंसला बढ़ गया और वो फिर बड़े आराम से अपनी माँ की गांड में साबुन लगाने के बहाने उसको जोर-जोर से मसलने लगा. शीतल भी खूब आराम से अपने बेटे से अपनी गांड मसलवा रही थी.
फिर थोड़ी देर तक उसकी गांड में साबुन लगाते हुए बेटे ने अपनी एक उंगली माँ की गांड में डाल दी तो शीतल जैसे चिहुँक सी उठी, उसके हाथ से पेटीकोट का नाड़ा छूट गया और पेटीकोट नीचे गिर गया. ऐसी स्थिति में अब शीतल पूरी तरह से नग्न हो गयी थी.
विक्रम ने अपनी माँ को पूरी नंगी देखा तो बस देखता ही रह गया लेकिन उसने अपनी उंगली माँ की गांड से निकाली नहीं, बल्कि उसी क्षण अपना एक हाथ पीछे से शीतल की चूची पर रख दिया और उस पर साबुन लगाने के बहाने उसको भी मसलने लगा.
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