RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
तभी पापा ने पीछे से अपने हाथ से अपनी बेटी की गांड को धीरे-धीरे सहलाना चालू कर दिया. मयूरी को भी बड़ा मजा आने लगा और आनन्द में वो अपने मुँह से निकल रही आहों को रोक नहीं पाई- आ… आह… पापा…
पापा बेटी की गांड को सहलाते हुए- क्या हुआ बेटा?
मयूरी- कुछ नहीं पापा… बहुत अच्छा लग रहा है… आई लव यू पापा!
पापा- आई लव टू मेरा बच्चा…
और ऐसा कहते हुए पापा ने मयूरी की गांड की दरार में अपना हाथ डाल दिया. मयूरी की पकड़ और तेज़ हो गयी और उसने और जोर से अपने पापा को बांहों भींच कर दबा लिया. पापा समझ गए कि मयूरी को भी आनन्द आ रहा है और वो इस पापा के इस काम में राजी भी है.
मयूरी- आ… आह… पापा…
अशोक कुछ नहीं बोला और अपने हाथ की एक उंगली मयूरी की गांड की दरार से होते हुए उसकी गांड की छेद में डालने लगा. मयूरी को अब बहुत ज्यादा आनन्द आने लगा, उसने अपने होंठ पापा की होंठों पर रख दिए और जवाब में पापा ने भी अपने होंठों से उसके निचले होंठ को कैद कर लिया.
और इस तरह शुरू हो गया पहली बार एक प्रगाढ़ चुम्बन का दौर एक पिता और पुत्री के बीच …
दोनों बाप बेटी चुम्बन के दौर का पूरी तरह से आनन्द लेने में जुट गए.
इसी दौरान अशोक ने अपने एक साथ से मयूरी की गांड के एक उभार को छोड़ दिया और मयूरी की जादुयी चूचियों पर अपना हाथ फेरने लगा. मयूरी थोड़ा पीछे हटी और अपनी बांहों की पकड़ को थोड़ा ढीला करते हुए अपने पापा को उसने अपनी चूचियों को पकड़ने और मसलने का रास्ता दिया.
इसी बीच अशोक ने अपनी बेटी के टॉप के ऊपर से ही उसकी चूचियों का नाप ले लिया. और फिर उनको नायाब चूचियों को जो कि बड़ी-बड़ी और भारी-भारी होने के साथ-साथ उतनी ही कड़ी और टाइट थीं, को पहले तो दबाने और फिर जोर-जोर से मसलने में लगे.
मयूरी की आहें अब तेज़ हो गयी.
थोड़ी देर ऐसे ही मयूरी के टॉप के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसनले के बाद अशोक उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर कर दिया पर उसको निकाला नहीं!
चूँकि मयूरी ने बिल्कुल ढीला-ढाला टॉप पहना हुआ था वो भी बिना ब्रा के तो इस हिसाब से उसके टॉप को निकलने की कोई जरूरत भी नहीं थी, थोड़ा सा ऊपर करते ही वो पूरी तरह दिख भी रहा था और पकड़ा भी जा सकता था, लगभग उसके उतार देने जैसी ही बात थी.
अब अशोक ने मयूरी की चूचियों को और जोर से पकड़ा और थोड़ी देर दबाने के बाद उसने अपने होंठों को मयूरी के होंठों से अलग कर उसकी चूचियों पर रख दिया. अशोक अब मयूरी की चूचियों को अपने होंठों से जोर-जोर से चूस रहा था. थोड़ी ही देर में उसने अपना दूसरा हाथ, जो बेटी की गांड के छेद में व्यस्त था, को वहां से आजाद कर उसको मयूरी की चूचियों पर लगा दिया, इस तरह से अशोक अब पूरी तरह अपना ध्यान उन विशाल और बहुत ही आकर्षक गोरी चूचियों को चूसने और मसलने में व्यस्त हो गया.
मयूरी की आहें अब और भी तेज़ हो रही थी पर वो अपने पर नियंत्रण रखे हुए थी क्योंकि वो अपनी आवाज़ को बाहर नहीं जाने देना चाहती थी. वैसे अगर घर को कोई सदस्य ये सब सुन ये देख भी लेता तो इस स्थिति में कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला था … पर वो फिर भी सावधानी से आगे बढ़ना चाहती थी.
करीब 15 मिनट तक मयूरी की चूचियों का आनन्द लेने और उनपर जुल्म ढाने के बाद अब अशोक पूरी तरह बेशरम और उत्तेजित हो चुका था. मयूरी इस समय उसकी गोद में बैठी हुई थी, उसका ढीला सा टॉप उसके गले तक ऊपर किया हुआ था जिससे वो अर्धनग्न अवस्था में थी. अशोक ने मयूरी को पीछे धकेल दिया जिस से वो पीछे की तरफ गिर गयी और अशोक ने अपने पैर खींच लिए.
अब मयूरी अशोक के सामने लेटी हुई थी, अशोक ने उसके स्कर्ट को थोड़ा ऊपर किया जिस से वो उसकी चूत के दर्शन कर पाए. मयूरी ने इसमें उसकी पूरी सहायता की और अपने दोनों पैर फैला कर उसका स्वागत किया.
अशोक के सामने अब उसकी बेटी बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी, हालाँकि उसने कपड़े तो पहने हुए थे पर वो मयूरी का शरीर का कोई भी भाग ढकने में कामयाब नहीं था. अशोक ने अपने हाथ से मयूरी की चूत को सहलाया और वो उसकी गुलाबी चूत को देखकर एकदम उस पर मोहित हो गया.
मयूरी की चूत अब तक बहुत गीली हो चुकी थी. उसकी चूत पर कोई बाल नहीं था और वो बहुत ही प्यारी लग रही थी.
अशोक ने मयूरी की चूत को धीरे धीरे सहलाते हुए पूछा- बेटा?
मयूरी- हाँ पापा… आह…
अशोक- क्या तुम्हारी इस प्यारी सी चूत में कभी किसी का लंड गया है या इसकी सील टूट चुकी है?
मयूरी- पापा… मुझे माफ़ कर दीजिये पर मेरी इस चूत की सील टूट चुकी है.
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