RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
मयूरी समझ गई थी कि इस 48 साल के आदमी ने अभी अभी अपने बच्चों आपस में सेक्स करते हुए देखा है और इसके मुँह से एक आवाज़ तक नहीं निकली थी, इसका मतलब ये जरूर कुछ न कुछ सोच रहा था, जोकि इस घर में हो रही चुदाई की पक्ष में था.
और मयूरी ने मोहन लाल के स्थिति का लगभग बिल्कुल सही अंदाजा लगाया था. वो बेचारा कई वर्षों से सेक्स का भूखा था. कुछ बात जिसका अंदाजा मयूरी नहीं लगा पा रही थी, वो था मोहन लाल का अतीत या उसका गुजरा हुआ कल.
मोहन लाल अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था. पर जब वो जवान थी तो उसको प्यार करने वाला वो अकेला इंसान नहीं था. मोहन लाल की पत्नी के पिता यानि के मोहन लाल के ससुर भी उसको उतना ही प्यार करते थे, जितना वो उसको करता था. मोहन लाल और उसकी पत्नी के पिता दोनों अक्सर मिल कर उसकी चुदाई किया करते थे. वैसे भी कई सालों तक मोहन लाल की पत्नी को दो लोगों से चुदने की आदत हो चुकी थी. वैसे वो चरित्रहीन नहीं थी, क्योंकि अपने पिता के एक दुर्घटना में गुजर जाने के बाद उसने किसी और मर्द की तरफ नज़र भी नहीं उठाया. पर जब तक वो जिन्दा थे, उसको चुदाई का मजा सबसे ज्यादा तभी आता था, जब उसके पिता और पति दोनों एक साथ उसको जोर जोर से चोदते थे.
मोहन लाल के इस राज का किसी को यहाँ पता नहीं था, क्योंकि उसकी पत्नी और ससुर पहले ही गुजर चुके थे. इन सब बातों की वजह से उसके लिए अपने परिवार के सदस्यों के बीच चुदाई कोई नई बात नहीं थी. वो इन सबको आपस में चुदाई करते हुए देख कर थोड़ा आश्चर्यचकित जरूर था, पर उसे कुछ बुरा नहीं लग रहा था.
इधर अपनी बहू मयूरी को देख देख कर वो अक्सर उसके नाम का मुठ मारा करता था. कितनी बार वो उसकी ब्रा पैंटी को चोरी-छुपे छू कर मजे लेते लेते मुठ मार लिया करता था.
और आज साक्षात् वही मयूरी उसके सामने नंगी खड़ी होकर उसको रिझा रही थी. उसको पता था कि थोड़ी ही देर में उसका लंड मयूरी की चूत की ठुकाई कर रहा होगा. ये सब उसके लिए जैसे सपने के साकार होने जैसा था.
कुछ पल बाद मयूरी दरवाजे को ठीक से अन्दर से बंद करने के बाद वापिस मोहन लाल के पास आई, उसने दुपट्टे का एक भाग अपने सर पर रखा और उसके पैर छूती हुई बोली.
मयूरी- बाबूजी, मुझे आशीर्वाद दीजिये.. अभी थोड़ी देर पहले ही मैं मंदिर से पूजा करके आई हूँ. बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद के बिना पूजा पाठ कभी पूरा नहीं होता.
मोहन लाल- बहू, ईश्वर तुमको दुनिया की सारी खुशियां दे.. तुम तो बहुत ही चरित्रवान हो, इस घर की देवी हो. अभी चुदाई करते करते भी तुमने मेरा कितना मान-सम्मान रखा. नंगी होने के वावजूद तुमने पहले अपनी पैंटी पहनी और अपनी चूचियों पर दुपट्टा डाला, उसके बाद ही मेरे पास आई. और अब इस अवस्था में भी मेरे से आशीर्वाद ले रही हो जबकि तुम्हें अच्छी तरह पता है कि कुछ ही देर में मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डालकर तुम्हें जबरदस्त चोदने वाला हूँ. तुम्हें बहू के रूप में पाकर मैं धन्य हो गया!
|