RE: Hindi Porn Story जवान रात की मदहोशियाँ
गुलाबी की बुर को चोदने में अजय को बड़ा मजा आ रहा था। इतनी जारे से अजय धक्के मारता था कि उसका पूरा का पुरा लण्ड धुप से गुलाबी की बुर को चीरता हुआ अंदर घुस जाता था.। अथाह थी गहराई गुलाबी की बुर की ।। ।
इस वक्त गुलाबी भी अपने को खुश किस्मत समझ रही थी। क्योंकि उसके चारों तरफ लण्ड ही लण्ड थे। एक उसकी बुर को चोद रहा था यानी कि चूत के मुँह में था एक दुसरे मुंह में था और दो उसके हाथ में ऐसा महत्वपूर्ण अवसर भी पहली बार मिला था ।इसके पहले वह एक साथ तीन मदों से
चुदवा चुकी थी, लेकिन चार मर्द से चुदवाने का अवसर पहली बार मिला था। इसलिए वह भी अपने अनुभवों की डायरी में एक ओर नया अनुभव जोड़ लेना चाहती थी ।
इन चारों दोस्तों के जीवन में भी यह पहला अवसर था जब ये चारों दोस्त मिलकर एक ही साथ एक ही औरत को चोद रहे थे। बड़ी ही दिलचस्प लग रही थी। उन्हें यह गुलाबी और उसकी बुर की चुदाई . एक ही औरत को उन चारों मित्रों ने चोदा जरूर था, लेकिन एक ही साथ नहीं बल्कि बारी बारी से ।। |
गुलाबी की बुर को चोदते-चोदते अजय बहुत ही जोश में आ चुका था । उसने गुलाबी को कसकर पकड़ लिया था । और दनादन धक्का लगाए जा रहा था । हल्की-हल्की चकचाकच की आवाज भी आने लगी थी बुर और लण्ड के मिलन से . अजय अपनी ही धुन में अपना लंड गुलाबी की चूत में पेले जा रहा था ।। ,
अजय को दनादन गुलाबी की बुर में लण्ड पेलते देखकर मुकेश राजु और संजय के लण्डों का जोश बढ़ता ही जा रहा था । लण्डों मे इस आये ताव को रोकना तीनों के लिए बहुत कठीन हो रहा था। *. लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था सिवाय बर्दास्त करने के अलावा।- ये लोग गुलाबी की.चुचियों पर टूट पड़े थे और चुचियों को बुरी लरह मसले जा रहे थे । .
'' लगता है अब आपके लण्ड में बहुत गरमी आ गई है।'' अजय को जोर-जोर से धक्के मारते देख गुलाबी ने मुस्कुराते हुए कहा ।
'' हां गुलाबी, मेरा लण्ड इस समय पगला गया है तुम्हारी बुर को चोदते चोदते। मेरा लण्ड फाड़ देगा तुम्हारी बुर को इस वक्त '' झुमता हुआ अजय बोला।
''अरे शहरी बाबू औरत की बुर को तो उपर वाला ही फाड़ कर भेजता है, आप क्या फाड़ेंगे । कुछ ही देर में तो आपका लण्ड दम तोड़ देगा और तब आपके लण्ड की हिम्मत ही नहीं होगी मेरी बुर में घुसने की भी! '' गुलाबी ने मुस्कुराते हुए कहा ।। |
( दोस्तो इन दोनों की तकरार को देखते हुए गुलाबी को राजशर्मा की एक कहावत याद आ रही थी कि
'' चूत चूत सब एक सी एक चूत के रंग
इन्हें प्रेम से चोदिये चौड़ी हो या तंग
कहि राज कविराय चूत की ऐसी तैसी
लंड गया मुरझाय चूत वैसी की वैसी '' )
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