RE: Hindi Porn Story जवान रात की मदहोशियाँ
यह ‘सुनते ही वह औरत घर के अंदर चली गई । झोपड़ी के अंदर से दूसरी झोपड़ी में जाने का रास्ता था ।
गुमसुम से चारों दोस्त थोड़ी देर तक बैठ रहें कि वह औरत चाय चार ग्लास में लेकर चली आई। एक-एक ग्लास उसने सबों को पकड़ा दिया और फिर अंदर चली गई । इस बार बाहर आई तो उसके एक हाथ में लालटेन था और दूसरे हाथ में चाय का एक ग्लास । लालटेन को उसने टाँग दिया और खुद फर्श पर बैठकर चाय पीने लगी ।
‘’आप अकेले रहती है क्या ?’’ मुकेश ने पुछा ।
‘’नहीं, मैं अपने पति के साथ रहती हूँ ‘’ उस औरत ने जबाव दिया
‘’सुबह लौटकर आएंगे ।‘’ बोली वह औरत
‘’अकेले मैं आपने हमें मेहमान बना लिया । क्या आपको डर नहीं लगता ?’’ मुकेश ने सवाल किया। ।
‘’डर किस बात का ? औरत होकर मर्द से क्या डरना ।‘’ बड़ी बेफ़िक्री से उस औरत ने जवाब दिया ।
‘’ और फिर आपलोग कोई चोर-उचक्के ता हैं नहीं । चलता हुआ मुसाफ़िर हैं। आपकी गाड़ी का पेटोले खत्म हो गया अन्यथा आपलोग इस झोपड़ी की ओर ताकते नहीं । यह तो इस झोपड़ी का सौभाग्य है कि आपकी गाड़ी का तेल खत्म हो गया’’ महिला बोली ।
यह सुनकर चारों दोस्त अवाक रह गए। कुछ भी जवाब नहीं दे पाए । और एक-दूसरे का मुंह देखने लगे खामोश होकर ।। |
चाय जब खत्म हो गई तो सभी ग्लासों को समेटने के बाद वह । औरत पूछी, ‘’ रात में आप लोग क्या खाना पसंद करेंगे ? ‘’
‘’जो मिल जाए। खा लेंगे ‘’ मुकेश बोला ।
‘’जो मिल जाए नहीं, जो इच्छा हो सो बोलिए।‘’ उस औरत ने जवाब दिया
‘’इच्छा को छोड़िए ।‘’ राजू बोला
‘’छोडिए क्यों ? इच्छा हो तो सब कुछ है यहाँ "" औरत ने शरमाते हुए जवाब दिया ''
'' क्या यहां हर चीज उपलब्ध है ?'' अजय ने उस औरत की आँखों में आखे डाल कर पूछा
''बिल्कुल उपलब्ध है और जो नहीं है वह पड़ोस के घर से ले आउंगी सुनते हैं शहरी बाबुओं को मुर्गे अधिक पसंद आते हैं'' महिला बोली ।
''मुर्गे है क्या ? '' संजय ने पूछा ।
''मुर्गे तो अपने पास ही आठ-दस हैं। शराब चाहिए तो वह भी मिल जाएगी लेकिन देशी । औरत चाहिए वह भी मिल जाएगी देशी।'' उस औरत अपना होंठ दाँतों मे दबाते हुए कहा
तब तो रात मुर्गा मस्ती में गुजरेगी । संजय ने आंख दबाते हुए अजय से धीरे से कहा ।
चुप रह, तुम्हें तो औरत ही खाली सुझती है। अजय ने धीरे से डांटा उसे ।
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