RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
तभी मनोज ने कहा, "राज भैया, मैं और शालिनी भी यहाँपर बिलकुल नए हैं और किसी को नहीं जानते. अगर आप लोगोंके साथ हम भी लॉज में एक और कमरा लेकर रहेंगे तो आपको चलेगा क्या?"
"हाँ, हाँ. कोई बात नहीं, चलो पहले कोई गाडी का इंतज़ाम करते हैं ताकि आसपास लॉज ढूंढ सके."
फिर हम तीनो औरते सामान को समेटकर सिर्फ जरूरी चीजे लेने लगी. बाकी का सामान रूपेश के चाचा घर पर रखवा दिया. तब तक राज और मनोज किसी गाडी की तलाश में चल दिए. आधे घंटे बाद दोनों एक बड़ी सी पुरानी फियाट गाडी लेकर दोनों आ गए. ड्राइवर के बाजू में मनोज और उसकी गोद में शालिनी बैठ गए. पीछे हम तीनो बैठे थे. थोड़ी तलाश के बाद एक टूटा फूटा लॉज मिला. अंदर जाकर काफी देर तक इंतज़ार किया मगर शायद मालिक कहीं बाहर गया था.
फियाट के ड्राइवर ने और अधिक समय तक रुकने से मना कर दिया और पैसे लेकर चला गया. राज ने उसे अगले दिन सुबह दस बजे आने के लिए कह दिया.
बीस पचीस मिनट के बाद उस लॉज का मालिक आ गया. मौसम खराब होने के कारण उसके लॉज के लगभग सारे कमरे भरे हुए थे.
"साहब, लगता हैं आप सभी लोग एक ही परिवार के हैं. अगर आप चाहे तो मैं एक डबल बेड वाला कमरा आप लोगोंको दे सकता हूँ. दो कमरे कल रात को मिल जाएंगे," उसने राज से कहा.
अब मरता क्या न करता, उस तूफानी और बरसाती रात में कहीं और जाकर दो कमरे ढूंढना असंभव था. वैसे भी ड्राइवर गाडी लेकर चला भी गया था. अब किसी तरह एक कमरेमें ही गुज़ारा करना था. राज ने उस लॉज के मालिक को पैसे दिए और हम पांचो उस कमरे में दाखिल हुए. कमरे में दो पुराने बेड और एक बाथरूम था. हम लोग साथ में लाया हुआ थोड़ा सा सामान रख ही रहे थे की बिजली चली गयी. बरसाती हवा चलने के कारण हम सब को ठण्ड भी लग रही थी.
जब राज और मनोज ने जाकर मालिक को पूंछा तब उसका जवाब था, "जभी भी तेज़ बारिश होती हैं, तब बिजली काट देते हैं. मैं आप के कमरे में थोड़ा आग का बंदोबस्त कर देता हूँ जिससे आप लोगोंकी ठण्ड काम हो जाए."
मालिक ने तुरंत एक बड़ी कढ़ाई में कोयले और लकडिया और मिटटी का तेल लेकर आ गया. जल्द से कोयले जलाकर आग का प्रबंध हुआ. अब थोड़ी सी गर्मास आ रही थी. धुँआ बाहर जाए इसलिए खिड़किया खुली रखना जरूरी था. अब बाथरूम में जाकर सब फ्रेश होकर और कपडे बदलकर आ गए. मैं और सारिका हमेशा की तरह नाइटी में थी और राज ने कुरता और पैजामा पहना था.
मनोज ने कुरता और लुंगी पेहेन ली और शालिनी भी नाइटी में आ गयी. अब जाहिर था की हम तीनो (मैं, सारिका और राज) को एक बेड और दुसरे कपल को दूसरा बेड मिल गया. शायद मनोज और शालिनी सोच रहे थे की ये पति, पत्नी और साली कैसे एक बिस्तर पर सोयेंगे.
अब हम तीनो ट्रेन के अनुभव के बाद और भी बेशर्म और बिनधास्त हो गए थे. वहांपर जगह की कमी के कारण राज ने हम दोनों बहनोंको एक के बाद एक करके चोदा था. यहांपर एक ही बेड होनेके कारण अब उसे हम दोनों बहनोंको एक साथ चोदना पड़नेवाला था. बिचारा राज!
जैसे ही मैंने और सारिका ने अपनी अपनी नाइटी उतार कर राज को दोनों तरफ से आलिंगन किया, बाजू के बेड पर लेटे मनोज और शालिनी को जैसे ४४० वोल्ट का झटका लग गया.
"सारिका दीदी, आप," मनोज के मुँह से आगे के शब्द ही नहीं निकल पा रहे थे. शालिनी की तो आँखें फटी की फटी रह गयी थी.
"हां, हम तीनो एक साथ मिलकर सेक्स का आनंद लेते हैं. और जब रूपेश साथ में हो, तब मैं राज के साथ चुदती हूँ और सुनीता रूपेश के साथ!" सारिका ने एकदम बेबाकी से जवाब दिया और राज का कुरता और पैजामा उतार दिया. अब वो राज के खड़े लंड को सहलाने लगी. तब तक मैं अपने निप्पल्स राज के मुँह में देकर उन्हें चुसवाने का आनंद ले रही थी. अगले आधे घंटे तक मैं, राज और सारिका के बीच फोरप्ले और उसके बाद अलग अलग पोज में चुदाई का किस्सा चलता रहा. मनोज और शालिनी आँखें फाड़ फाड़ कर वह नजारा देखते रहे. शायद ज़िन्दगी में पहली बार वो दोनों किसी और को सम्भोग सुख लेते और देते हुए देख रहे थे.
जब मैं राज का कड़क लौड़ा चूस रही थी, तब राज बड़े प्यार से सारिका की मीठी चुत को चाट रहा था. यह सब नज़ारा देखकर स्वाभाविकतः मनोज और शालिनी भी उत्तेजित होकर आपस में सहलाना, चूमना और कपडे उतारने में लग गए. क्योंकि मैं और सारिका दोनों पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इसलिए शालिनी को भी अपने कपडे उतारने में ज्यादा शर्म नहीं आयी. वैसे मनोज भी हम दोनों बहनोंकी नग्न और भरपूर जवानी देखकर पागल हुए जा रहा था. वो देखने में दुबला था मगर उसका भी हथियार लम्बा और कड़क था.
अब मनोज और शालिनी पूर्ण रूप से नंगे होकर एक दुसरे को सिक्सटी नाइन की पोज में सुख देने लग गए. शालिनी भी दुबली और सांवली थी मगर उसके भी वक्ष कठोर और नितम्ब मादक थे, जिन्हे देखकर राज भी उत्तेजित हो रहा था. आखिर शालिनी की दोनों टाँगे खोलकर मनोज उसको चोदने लग गया. यहाँ दुसरे बेड पर मैं टाँगे खोलकर अपनी छोटी बहन से चुत चटवा रही थी और राज सारिका को घोड़ी बनाकर उसको चोदे जा रहा था.
पूरा कमरा "आह चोदो और जोर से आह" ऐसी आवाजों से गूँज रहा था. अब हम पांचो पूरी तरह निढाल होकर लेटे हुए थे. हमारी देखादेखी शालिनी ने भी अपने पति के लौड़े को चूस कर उसकी सारी मलाई पी डाली थी. अब कोई शर्म बाकी नहीं रही थी. मनोज हिम्मत कर के बोला, "क्या हम पार्टनर बदल कर.." उसे आगे कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि सारिका मुस्कुराते हुए हमारे बेड पर से उठकर उन दोनोंके बेड तक चली गयी. फिर शालिनी ने मनोज की तरफ देखा और उसकी आज्ञा आखों ही आखों में लेकर वह मेरे और राज के पास आ गयी. आखिर राज भी मर्द था, उसे भी एक नयी और जवान लड़की को पूर्ण नंगे बदन अपने करीब देखकर रहा नहीं गया. उसने शालिनी को बाहों में लिए और उसके होठोंपर अपने होंठ रख दिए.
वहाँ दुसरे बिस्तर पर, मनोज और सारिका चूमते और एक दुसरे के अंगोंको सहलाते हुए लेटकर मजे ले रहे थे. मनोज को इतनी गोरी और मदमस्त लड़की के शरीर से खेल ने का सौभाग्य पहली बार मिल रहा था. वो सारिका के उन्नत वक्षोंको सहलाकर चाटने लगा और फिर बारी बारी दोनों निप्पल्स मूंहमें लेकर चूसने लगा. सारिका ने मनोज के लौड़े से खेलना शुरू किया और कुछ ही पलोंमें वो एकदम सख्त हो गया. अब मनोज सारिका की दोनों टाँगे खोलकर उसकी गुलाबी चूत को चूमने और चाटने लगा. वहाँ की सुगंध लेकर वो पूरा उत्तेजित हुआ और दो उंगलियोंसे सारिका की चूत को चोदने लगा. बीच बीच में दोनों उँगलियाँ चाटकर सारिका के योनि रस का आस्वाद लेता रहा. फिर उससे रहा न गया और उसने सारिका की दोनों टाँगे पूरी खोलकर उसे चोदने लग गया. नया और सख्त लंड पाकर सारिका भी मजे लेने लगी.
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