RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
अब राज पलट कर सिक्सटी नाइन की पोजमें आ गया और मेरी गीली चुत चाटने लगा. जैसे की राव और रागिनी हमसे चुदाई की शिक्षा ले रहे थे, इसलिए अगले ही पल वो दोनों भी सिक्सटी नाइन की पोजमें आकर लंड चुसाई और चुत चाटने का आनंद लेने लगे. अब ये सब देखकर सारिका भी पूर्ण रूपसे एक्साइट हो गयी. उसने भी अपनी नाइटी उतार दी. सारिका का सुन्दर, गोरा और सेक्सी बदन देखने के बाद तो राव जैसे पागल हो गया. अब वो सिक्सटी नाइन से उठकर बैठ गया और रागिनी को घोड़ी बनाकर चोदने लगा. वो चोद तो अपनी पत्नी को था, मगर उसकी हवस से भरी निगाहें हम दोनों बहनोंको ही देख रही थी.
आधे घंटे तक यही चलता रहा, फिर राव ने अपना वीर्य रागिनी की चुत में छोड़ दिया. कुछ मिनट के बाद राज भी स्खलित होने वाला था, इसलिए हमेशा की तरह अपना लौड़ा मेरी योनिमें से निकालकर मेरे मुँह के पास ले आया. मैंने एक नज़र राव और रागिनी की तरफ फेंकी और राज का लंड चूसने लगी. अगले ही पल उसके लंड से नमकीन वीर्य निकलने लगा, जिसे मैं मुँह खोलकर पीती गयी. ये नज़ारा देखकर तो राव और रागिनी की अंदर की वासना फिर से भड़क उठी.
अब रागिनी अपने पति के लौडेको सहलाती और चूमती गयी, जिससे राव का लंड धीरे धीरे कड़क होने लगा. अब उनको और ज्यादा उत्तेजित करने के इरादे से मैं बर्थ पर से उठ गयी और सारिका का हाथ पकड़कर उसे राज के बाजू में लिटा दिया. जैसे ही राज ने सारिका को बाहोंमें लिया, वहा बाजू के बर्थ पर राव का लंड एकदम से उछल कर खड़ा हो गया. दोनों पति पत्नी हमारी इस हरकत को देखकर परेशान और उत्तेजित हो गए थे.
अब जैसे ही राज ने सारिका को चूमना और उसके गोरे गोरे वक्षोंको चूसना आरम्भ किया, राव और रागिनी फिर से आवेश में आ गए और एक दुसरे को सम्भोग सुख देने लग गए. मैं बीच में खड़ी होकर अपनी चुत में ऊँगली करते हुए मजे ले रही थी. दोनों बर्थ पर घमासान चुदाई चल रही थी. दोनों पुरुष बाजू के बर्थ की औरत को देखकर और भी जोश में आके चूतमें ठोकर मार रहे थे. अब सारे इतना ज्यादा उत्तेजित हो गए थे की ऐसा लगा बाजू की बर्थ से कोई उठकर आ न जाए.
आखिर राज ने अपना वीर्य सारिका की योनि में छोड़ दिया. इस बार रागिनी ने अपने पति का लौडा मुँह में लिया और उसका सारा वीर्य गटक गयी. फिर उसने राज और सारिका की तरफ देखा और अपने होठोंपर से जीभ फिरायी। कुछ समय के बाद, सभी थोड़ा नॉर्मल हो गए और फिर धीरे से उठकर राव ने दोनों बीच के बर्थ उठाये. सब लोग अपने अपने बर्थ पर जाकर सो गए, जैसे की पिछले दो घंटे कुछ हुआ ही नहीं.
मैं सोचती रह गयी की जबसे मैं और राज पार्टनर बदल कर चुदाई करने लगे हैं, हमने क्या क्या कर लिया. पहले मैंने अपनी खुद की बहन और बहनोई के साथ पार्टनर बदल कर सम्भोग किया. फिर पडोसी जोड़ा (नीरज और निकिता) के साथ वही खेल खेला. कई सालोंतक नीरज और निकिता के साथ जबरदस्त सेक्स का सुख पाया. आज चलती हुई ट्रेन में एक अनजान कपल के सामने मैंने राज के साथ और फिर राज ने सारिका के साथ सम्भोग कर लिया. हम जैसे की सेक्स के मामले में ज्यादा माहिर होते जा रहे थे.
सुबह हमारी नींद खुली और हम तीनो अपना सामान ठीकसे बांधकर सोलापुर स्टेशन पर उतरने के तैयारी में लग गए. जब मिस्टर राव बाथरूम की तरफ गए, तब रागिनी ने एक कागज़ का टुकड़ा मुझे थमाया और इशारों में छुपाने के लिए कह दिया. मैंने झट से उसे अपनी पर्स में रख दिया. स्टेशन आते ही हम लोग उतर गए और कुली की मदद से सामान नीचे उतार लिया. आगे जाकर मैंने जब वो पर्ची देखि तब उसमे रागिनी ने अपना फ़ोन नंबर और पता लिखा हुआ था. इसका मतलब वो हम तीनों (मैं, राज और सारिका) के साथ संपर्क बनाना चाहती थी.
शादी का स्थल सोलापुर से तीस किलोमीटर दूर एक छोटे से गाँव में था. वहाँ के लिए एक मैटाडोर में हमें सवारी मिल गयी. करीब घंटे भर के बाद शादी की जगह पहुँच गए. रूपेश के चाचा भी गरीब ही थे, इसलिए इंतज़ाम ठीक ठाक ही था. मई महीने के आखरी के दिन थे, इसलिए खुले मैदान में ही सारी व्यवस्था की गयी थी. जिस दिन हम लोग पहुंचे उस दिन कुछ शादी के पहले के विधि थे और शादी अगले दिन होनेवाली थी. वहां आये हुए लोगोंमें मेरे और राज के पहचान के कोई ख़ास लोग नहीं थे. रूपेश का एक दूर का भाई मनोज और उसकी नववधू पत्नी शालिनी से सारिका की थोड़ी जान पहचान थी. बाकी के ज्यादा तर लोग ज्यादा उम्र के होने के कारण, मनोज और शालिनी थोड़ी देर हमारे साथ ही बातचीत करते रहे. दोनों भी सांवले रंग के और दुबले थे. शालिनी मुश्किल से २० साल की होगी, मनोज शायद २३ साल का होगा.
दिन तो जैसे तैसे कट गया, शाम के भोजन के समय आंधी शुरू हो गयी. बड़ी मुश्किल से हम तीनो ने थोड़ा सा खाना खा लिया और तभी बिन मौसम की बरसात शुरू हो गयी. हम तीनो आसरा लेकर थोड़ी देर तक इंतज़ार करते रहे. हमने रात को सोने की सुविधा के बारे में पूछताछ की. पता चला की जिस धर्मशाला में सभी मेहमानोंको ठहराने वाले थे, वहाँ की छत से पानी गिर रहा था.
अब राज ने मुझसे कहा, " सुनीता रानी, लगता हैं अपना रात का सोने का इंतज़ाम हम को खुद ही करना पड़ेगा. सिर्फ जरूरी सामान साथ में लेकर कोई लॉज में कमरा ढूंढते हैं."
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