RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
कहानी ३ : शादी में धूम धाम
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सुनीता की जुबानी
जैसे की आपने हमारी पहली कहानी में आपने पढ़ा, मेरी छोटी बहन सारिका (२२) और उसका पति रूपेश (२५) हमारे साथ ही रहते हैं. एक बार रूपेश के चचेरी बहन की शादी के लिए हमें सोलापुर जाना था. चारोंके थ्री टायर ए.सी. के टिकट भी बनवा दिए गए थे. रूपेश के एक दोस्त को तीन-चार दिन के लिए दूकान सँभालनेका इंतज़ाम भी कर दिया था. मैं और सारिका दोनों भी खुश थे की हमें शादी में बनने संवरने का मौका मिलेगा और घूमने का मज़ा भी आएगा. शुक्रवार की रात की ट्रेन से हम लोग निकलने वाले थे. जाने की तयारी अच्छे से चल रही थी. राज ने भी अपनी नौकरी से छुट्टी ले ली थी. हम चारों कई दोनोंके बाद एक साथ शहर से बाहर जा रहे थे.
गुरुवार की सुबह अचानक कोई हेल्थ इंस्पेक्टर रूपेश की दूकान पर आ गया. उसने रूपेश पर अवैध (गैरकानूनी) दवाइयां बेचने का आरोप लगाया और दूकान पर सील लगा दिया. रूपेश ने उसे काफी समझाने की कोशिश की मगर वो एक बात नहीं माना. जब घूस देने की कोशिश की, तब वो और भी ज्यादा गुसा हो गया. अब कोर्ट के दरवाज़े खटखटाये बगैर बात नहीं बननेवाली थी.
राज ने कहा, "रूपेश, हम चारोंके टिकट मैं रद्द कर देता हूँ. इस मुसीबत की घडी में तुम्हें यहां अकेला छोड़कर मैं नहीं जाऊंगा."
रूपेश ने कहा, "राज, अब जो भी करना हैं मुझे वकील के साथ मिलकर तय करना हैं. कम से कम आप तीनो तो शादी में जाकर हाजरी लगाकर आ जाओ."
दोनोंके बीच काफी देर तक बातचीत चलती रही. क्योंकि ट्रेन बोरीबन्दर से थी इसलिए शाम के सात बजे तक घर से निकलना जरूरी था. हां ना के बीच आखिर राज ने रूपेश की बात मान ली और हम तीनो टैक्सी में बैठकर बोरीबन्दर के लिए चल दिए. रस्ते में काफी भीड़ होने की वजह से मुश्किल से दस मिनट पहले बोरीबन्दर रेल स्टेशन पर पहुँच पाए. अब बोगी तक पहुँचने का ही समय बचा था, इसलिए रूपेश की टिकट रद्द (कैंसल) करने का मौका ही नहीं मिला.
जैसे तैसे सामान के साथ हम लोग हमारी बोगी में दाखिल हुए. थ्री टायर ए.सी. में जिस तरफ छह सीट होती हैं, उसीमे हमारे चार सीट थे. नीचे के दो और ऊपर के दो. पांचवी और छट्टी सीट पर एक दक्षिण भारतीय जोड़ा आकर बैठ गया. आदमीं ने अपना नाम राव बताया और उसकी पत्नी का नाम था रागिनी। दोनों भी हमसे कुछ साल बड़े लग रहे थे, शायद दोनों भी ३५-३६ की उम्र के होंगे.
दोनों भी पति पत्नी का रंग मुझसे भी ज्यादा डार्क था. मिस्टर राव देखने में ठीक थे, रागिनी का रंग डार्क होने के बावजूद उसके नाक नक़्शे सुन्दर थे. उसके तंग चोलीसे पता चल रहा था की चूचियाँ मध्यम आकार की मगर एकदम उभरी हुई होगी. हम तीनो उनसे यहाँ वहा की बाते करने लगे. उनको हिंदी ख़ास अच्छी आती नहीं थी, इस कारण ज्यादा बातचीत हुई नहीं.
क्योंकि हमने रूपेश का टिकट कैंसिल नहीं कराया था इसलिए उसका बर्थ खाली था. हम तीनोंके पास सामान काफी ज्यादा था और हम लोग नहीं चाहते थे की कोई और हमारे साथ बैठे. इसलिए जब टिकट चेकर आया तब उसे झूठ मूठ में बता दिया की हमारा चौथा साथी बाथरूम गया हैं. वो भी ज्यादा पूछताछ करे बगैर चला गया.
हमने थोड़ी देर तक राव और रागिनी से बातचीत की. उन्हें पता चल गया की मैं (सुनीता) और राज पति और पत्नी हैं और सारिका मेरी छोटी बहन. भोजन होने के बाद साढ़े दस बजे के करीब हम सब लोग सोने का इंतज़ाम करने लगे.
अब सोने का इंतज़ाम कुछ यूँ था: मैं और सारिका दोनों नीचे के बर्थ पर. मिस्टर राव और रागिनी बीच के बर्थ पर और राज ऊपर के बर्थ पर. दुसरे ऊपर के बर्थ पर सारा सामान रखा गया. बत्ती बुझाई गयी और सब एक दुसरे को शुभ रात्रि (गुड नाईट) कहकर अपने अपने बर्थ पर लेट गए.
अब राज को नीचे दो दो रसीली चूत के होते हुए नींद कहाँसे आती. पांच मिनट के बाद वो कूद कर नीचे आ गया और मेरे बदन से लिपट गया.
जैसे ही राज ने मुझे बाहोंमें लिया, राव और रागिनी की निगाहें हमारे बर्थ की तरफ हो गयी. राज ने मेरी नायटी ऊपर उठायी और मेरी मुलायम मांसल सांवली जांघोंको सहलाने लगा. वो नज़ारा देखकर राव और रागिनी हमें बेझिझक घूरने लगे. अब मैं और राज तो दोनों बेशर्म थे ही. राजने अपना टी-शर्ट और पैजामा उतार दिया और मेरी नायटी को सर के ऊपर से पूरा निकल दिया. अब हम दोनोंके शरीर पर सिर्फ अंडरवियर ही थी.
अब तो राव और रागिनी बिना किसी झिझक के अपने अपने बर्थ से मुंडी बाहर निकालकर हमें देखने लगे. शायद दोनों लाइव ब्लू फिल्म देखकर उत्तेजित भी हो रहे थे. मेरे भरपूर और कठोर वक्ष, नुकीले निप्पल्स और मांसल जाँघे उस बोगी के थोड़ी सी रौशनी में चमक रहे थे. जैसे ही राजने हम दोनोंके अंडरवियर निकाल दिये, राव और रागिनी से रहा नहीं गया. दोनों पति पत्नी अपने अपने बर्थ से नीचे उतर गए.
राव ने बिना कुछ कहे दोनों मिडिल बर्थ ऊपर उठा दिए. अब राज को मेरे ऊपर चढ़कर चोदना आसान हो गया. जैसे ही राज ने अपना सख्त हथियार मेरी योनि में घुसाया, रागिनी से रहा नहीं गया. उसने अपने पति की लुंगी ऊपर उठायी और उसके लंड को बाहर निकालकर सहलाने लगी. अब यह सब नज़ारा देखकर बाजू के बर्थ पर लेटी हुई सारिका भी दोनों कपल्स को देखने लग गयी.
अब राजने मेरे वक्ष सहलाते हुए राव की तरफ देखा. जैसे की कोई इशारा समझ में आ गया हो ऐसे राव ने अपनी पत्नी रागिनी की नायटी को सर के ऊपर से उठा दिया और अब रागिनी भी सिर्फ पैंटी में थी. उसके वक्ष मेरे वक्षोंसे आकार में थोड़े छोटे थे मगर अमरुद के जैसे सख्त थे. वहा रागिनी ने भी जोश में आकर राव की लुंगी खोल दी. उसका लिंग लगभग छे इंच लम्बा और कड़क था. सारिका अपने बर्थ पर से उठ गयी और राव और रागिनी को उस खाली बर्थ की तरफ इशारा किया. अब रात के समय उस ट्रैन में बाकी के सभी लोग सोये हुए थे, इसलिए यह सारा मामला बिना कोई आवाज़ या बातचीत किये सिर्फ ईशारोंमें हो रहा था.
राव ने रागिनी को मेरे बाजू के बर्थ पर लिटा दिया और उसकी पैंटी खींचकर निकाल दी. अब ऐसा लग रहा था की रागिनी भी पूरी तरह गरम हो गयी थी. उसने अपनी गांड उठाकर पैंटी को निकालनेमें सहायता की. दोनों नीचे के बर्थ पर कायदे से चुदाई होने लग गयी. राव तो मुझे देखता जा रहा था और रागिनी को चोदता जा रहा था. राज भी बीच बीच में रागिनी की तरफ नजर डाल रहा था. एक दो बार तो मुझे लगा की रागिनी ने राज की तरफ मुस्कुराके भी देखा.
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