RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
रूपेश और सारिका भी खुश थे की उन्हें एक पूरा बैडरूम मिल गया था. तीसरा बैडरूम भी हमने अच्छे से सजाके रख दिया ताकि अगर कोई और कपल भी रात को रुकना चाहे तो उसका सारा इंतज़ाम हो.
राज की नौकरी ठीक चल रही थी. चार महीने के बाद पता चला की रोहित की पत्नी माधुरी की डिलीवरी में कुछ दिक्कत हो गयी और वो अपनी संतान खो बैठी.
अब इस सदमे के कारण वह अपने मैके में और दो महीने के लिए रुक गयी. राज से पता चला की रोहित ने कुछ महीनोंसे अपनी २० साल की उम्र वाली सेक्रेटरी डॉली के साथ सम्बन्ध बना लिए थे.
मैं ये सुन कर खुश हुई, "चलो अच्छा हैं, अब रोहित कमसे कम मुझे फिर से तंग नहीं करेगा!"
जब माधुरी लौट कर आयी तब दो हफ्ते के बाद राज ने रोहित और माधुरी को हमारे घर पर भोजन के लिए बुलाया.
पिछली बार की तरह आज भी बढ़िया खाना बना, अब की बार बाहर से एक रसोईया भी बुलाया था. उसने सारा मेहनत का काम किया और पांच बजे एक हज़ार रुपये लेकर चला गया.
पिछली बार की तरह आज भी मैंने सारिका को रूपेश के दुकानपर भेज दिया था. राज आज बैंक से जल्दी आ गया था. हम दोनों साथ में नहाकर तैयार हो बैठे थे. राज ने डार्क ब्राउन सूट और मैंने लाल रंग का स्लीवलेस गाउन पहना था.
रोहित और माधुरी साढ़े पांच बजे आ गए. माधुरी को हम दोनोंने आज पहली बार ही देखा था. वो दिखने में सुन्दर और गोरी थी मगर बहुत ही पतली थी. उसके वक्ष भी शायद ३२ इंच के ही होंगे.
रोहित ने लाल रंग की टी-शर्ट और खाकी जीन्स पहनी थी. माधुरी काले रंग का स्लीवलेस और बैकलेस ब्लाउज और केसरिया रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी थी.
उन दोनोंका हमने आदर सत्कार किया और अच्छे से स्वागत किया.
माधुरी बड़ी मुश्किल से बात चीत कर रही थी. मैं समझ सकती थी की, उसके हालात ही ऐसे थे. ऐसे में वो घर से निकलकर हमारे घर पर मिलने के लिए आयी यही बड़ी बात थी.
रोहित हमारे घर पर पहले आ चूका था मगर माधुरी अभी तक नहीं आयी थी, इसलिए उसे मैंने सारा घर दिखाया. फिर साथ में बैठ कर यहाँ वहां की बाते करने लगे. मैंने और राज ने पूरी कोशिश की जो माधुरी के साथ हुआ उसका गलती से भी जिक्र न हो. थोड़ी देर के बाद माधुरी भी थोड़ा घुल मिल गयी और हंसी मजाक करने लगी. यह देखकर रोहित को बड़ी प्रसन्नता हुई.
वाइन और नमकीन के दो राउंड चले, फिर भोजन हो गया. इतना सारा और स्वादिष्ट खाना देखकर और खाकर दोनों मेहमान खुश हो गए. मुझे भी अच्छा लगा की मेरी दिन भर की मेहनत रंग लायी. रात के नौ बजे के आसपास वो चले गए. उन्हें नीचे कार तक छोड़ने के लिए हम दोनों गए.
आने वाले दिनोंमे दो-तीन बार ऐसे ही हमने किसी न किसी बहाने से रोहित और माधुरी को हमारे घर पर बुलाया. अब माधुरी को भी हमारे घर आना और मेरे और राज के साथ समय बिताना अच्छा लगने लगा. इस बात से रोहित भी खुश हुआ और उसने राज को ऐसे ही एक्स्ट्रा बोनस में ७५,००० रूपए दिला दिए. अब हम चारो अच्छे दोस्तोंकी तरह मिलने लगे. मालिक और नौकर सिर्फ बैंक के हदतक ही सिमित था, बैंक के बाहर हम घनिष्ठ मित्र बन गए.
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